वित्त वर्ष 23 में 3.6 लाख करोड़ रुपये जुटाएगा नाबार्ड

वित्त वर्ष 23 में 3.6 लाख करोड़ रुपये जुटाएगा नाबार्ड

बिजनेस स्टैंडर्ड —- राष्ट्र्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने चालू वित्त वर्ष में करीब 3.5 से 3.6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है। इसमें दीर्घावधि बॉन्ड के माध्यम से 45,000 करोड़ रुपये जुटाया जाना शामिल है। शेष राशि प्राथमिकता वाले क्षेत्र की उधारी (पीएसएल) की कमी और अल्पकालिक साधनों से जुटाई जाएगी। इसका मकसद विभिन्न योजनाओं का वित्तपोषण करना है।

नाबार्ड के चेयरमैन जीआर चिंताला ने कहा कि वित्त वर्ष 23 में धन जुटाने की मात्रा उतनी ही है, जितनी बीते वित्त वर्ष 2022 में थी। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 21 में फंड की औसत लागत 5.24 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 22 में घटकर 4.86 प्रतिशत रह गई और हम नहीं जानते कि वित्त वर्ष 23 में यह कितना रहेगा।

दरों के चक्र में बदलाव और महंगाई दर के कारण बाजारों में दीर्घावधि पत्र पर मुनाफा कम हुआ है। बकाया दीर्घावधि उधारी मार्च 2022 में बढ़कर 2.8 लाख करोड़ रुपये हो गई है, जो मार्च 2021 में 2.18 लाख करोड़ रुपये थी। कम अवधि की उधारी में तेजी से कमी आई है और यह मार्च 2021 के 2.41 लाख करोड़ रुपये से तेजी से घटकर मार्च 2022 में 1.14 लाख करोड़ रुपये रह गई है। लेकिन पीएसएल शॉर्टफाल डिपॉजिट मार्च 2021 के 0.99 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2022 में 2.52 लाख करोड़ रुपये हो गया।

बैंकों ने ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास (आरआईडीएफ) में धन रखा है और उसी अनुपात में नाबार्ड जैसी संस्थाओं में पीएसएल लक्ष्य बदला है। इसके बैलेंस सीट का आकार 31 मार्च, 2021 के 6.57 लाख करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर 31 मार्च, 2022 को 7.57 लाख करोड़ रुपये हो गया और वित्त वर्ष 2022 में 15.22 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। इसने वित्त वर्ष 23 में बैलेंस सीट बढ़ाकर 8.57 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है।

ऋण पोर्टफोलियो मार्च 2021 के 6.03 लाख करोड़ रुपये से 12.89 प्रतिशत बढ़कर मार्च 2022 के अंत में 6.80 लाख करोड़ रुपये हो गया। दीर्घावधि वित्त (निवेश क्रेडिट) की हिस्सेदारी 2.39 लाख करोड़ रुपये थी, जो 31 मार्च 2021 को 1.99 लाख करोड़ रुपये थी।

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