विंध्य में काजू की खेती !

विंध्य में काजू की खेती  !
सीधी- विंध्य में काजू और बड़ी इलायची की खेती ? सुनकर आश्चर्य लगता है। लेकिन पेशे से शिक्षक  रमेश तिवारी के जुनून से उनके पेड़ों में फल – फूल आने लगे हैं।
सीधी जिले के गोपद बनास तहसील के ग्राम ओबरहा में श्री तिवारी ने 7 एकड़ भूमि खरीदी। केहंजुआ पहाड़ से लगी यह भूमि बलुई मिट्टी वाली थी। परम्परागत् कृषि के लिये नलकूप से सिंचाईं का साधन बनाया, किन्तु उपज से घाटा अधिक आ रहा था। 1
मृदा परीक्षण  प्रयोगशाला का लाभ उन्हें नहीं मिल सका। इस जिले का दुर्भाग्य है कि मृदा परीक्षण प्रयोगशाला यहां कागजों में संचालित है। कृषि और उद्यानिकी  विभाग भी कार्यालयीन कार्य तक सीमित रह गये हैं।
स्व- प्रेरणा से श्री तिवारी ने 4 साल पहले सीधी शहर की एक निजी नर्सरी ‘‘नूरी नर्सरी’’ से काजू, बड़ी इलायची, आम के 20 पौधे खरीदे। रोपण के बाद कुछ पौधे सूख गये। शेष बचे पौधों को श्री तिवारी ने देशी विधि से सेवा की।
श्री तिवारी ने बताया कि बरसात में पौधों के नीचे की खर-पतवार से सुरक्षा तथा बरसात के बाद गुड़ाई व गर्मी में हर तीसरे दिन पानी की वजह से 20 में से सात पेंड़ बचे। उन्होने बताया कि किसी तरह की रासायनिक खाद या कीट नाशक  का उपयोग अभी तक नहीं किया है। गोबर की सड़ी हुई खाद वह साल में 2 बार डालते हैं।
इसी प्रकार उन्होने हर साल 5 पौधे रोपने का लक्ष्य निर्धारित किया है। क्योंकि निजी नर्सरी के पौधों की कीमत अधिक होने व उनकी क्षति होने पर काफी नुकशान होता था। 4 साल पहले लगाये गये काजू में फल तथा बड़ी इलायची में फूल आ गये हैं।
श्री तिवारी ने बताया केहजुंआ पहाड़ के बंदरों की वजह से सभी फसलें प्रभावित होती हैं। बंदरों से सुरक्षा, मुश्किल हो रही है। इस हेतु सरकार मदत् व तकनीक की आवश्यकता है। जिले के उद्यानिकी विभाग द्वारा ओबरहा के शिक्षक रमेश तिवारी के प्रयास को प्रोत्साहन व सहयोग की
आवश्यकता है, जो दी जानी चाहिये, ताकि इस क्षेत्र के किसान उद्यानिकी से जुड़कर उन्नति कर सकें। श्री रमेश तिवारी के जुनून को सलाम। क्योंकि विंध्य में काजू की खेती ? हंथेली में बाल उगाने के प्रयास के समान है।
विजय सिंह
स्वतंत्र पत्रकार
राज्य स्तरीय अधिमान्य
19, अर्जुन नगर, सीधी

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