- January 5, 2016
वर्षान्त समीक्षा 2015 : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
पेसूका (नई दिल्ली) —————–केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इस वर्ष महिलाओं और बच्चों की समस्याओं को हल करने के लिए तेज कदम उठाए। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के मामलों को हल करने , बच्चों विशेषकर लड़कियों के संरक्षण, गोद लेने में सुधार , लापता बच्चों की खोज पुनर्स्थापना/पुनर्वास के लिए कार्यक्रम, महिला सशक्तिकरण और गुड गवर्नेंस के कदमों पर विशेष बल दिया गया ।
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) विधेयक 2015
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) विधेयक 2015 का राज्य सभा में 22 दिसंबर, 2015 को पारित किया जाना महत्वपूर्ण उपलब्धि है। लोक सभा ने इस विधेयक को 7 मई, 2015 को पारित कर दिया था। इसके साथ ही यह विधेयक संसद द्वारा पारित है । राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ ही यह विधेयक अधिनियम का रूप ले लेगा ।
यह कानून देखभाल के लायक बच्चों तथा कानून के प्रतिकूल स्थित में पड़े बच्चों दोनों के लिए प्रावधानों को मजबूत बनाएगा। सेक्शन 15 के अंतर्गत 16-18 आयुवर्ग में जघन्य अपराध करने वाले किशोरों अपराधियों से निपटने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं ।
किशोर न्याय बोर्ड को ऐसे बच्चों द्वारा किए गए जघन्य अपराधों के मामलों को प्रारंभिक मूल्यांकन के बाद बाल न्यायालय(सत्र न्यायालय) को स्थानांतरित करने का विकल्प दिया गया है । 21 वर्ष की आयु तक न्यायिक कारर्वाई के दौरान और उसके बाद बच्चे को सुरक्षित स्थान पर रखने के लिए प्रावधान है । इसके बाद बाल न्यायालय द्वारा बच्चे का मूल्यांकन किया जाएगा । मूल्यांकन के बाद बच्चे को परिवीक्षा पर रिहा कर दिया जाता है । यदि बच्चे में किसी तरह का सुधार नहीं आया है तो बच्चे को शेष अवधि के लिए जेल भेज दिया जाएगा।
आशा है कि यह कानून बनने से बच्चों द्वारा किए जाने वाले बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी और पीड़ित के अधिकारों की रक्षा होगी।
अनाथ बच्चों , परित्यक्त बच्चों तथा समर्पित बच्चों को गोद लेने की प्रक्रियाओं को सहज बनाने के लिए वर्तमान केंद्रीय गोद संसाधन प्राधिकार(सीएआरए) को संवैधानिक दर्जा दिया गया है ताकि यह और अधिक कारगर तरीके से अपना काम कर सके । एक बच्चे को कानूनी रूप से गोद लेने के लिए मुक्त घोषित करने सहित देश में या विदेशी गोद प्रक्रिया को समयसीमा के अंदर पूरा करने के लिए व्यवस्था की गई है ।
अभी तक बच्चों के विरुद्ध किए जाने वाले नए अपराधों को किसी कानून के अंतर्गत नहीं लाया गया है । ऐसे अपराधों को भी इस कानून का हिस्सा बनाया गया है। इनमें अवैध रूप से गोद लेने के लिए बच्चों की बिक्री और खरीद, बाल देखभाल संस्थानों में शारीरिक दण्ड, आतंकी समूहों द्वारा बच्चे का इस्तेमाल , निःशक्त बच्चों के विरुद्ध अपराध तथा बच्चों का अपहरण शामिल है ।
बेटी बचाओ –बेटी पढ़ाओः
सरकार के लिए राज्यों में गिरता लिंगानुपात चिंता का विषय है । यह अनुपात 2001 में 927 था जो 2011 में गिरकर 918 हो गया । महिला और बाल विकास मंत्रालय ने गिरते अनुपात को नियंत्रित करने के लिए इस वर्ष बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम (बीबीबीपी) प्रारंभ किया । प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को सोनीपत, हरियाणा में इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया था। महिला और बाल विकास मंत्रालय तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय मिलकर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम को लागू करने का काम कर रहे हैं । बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम (बीबीबीपी) का उद्देश्य लिंग चयन को रोक कर तथा लड़की की जीवन सुरक्षा और शिक्षा को सुनिश्चित करते हुए प्रत्येक राज्य /केंद्र शासित प्रदेश में 100 चुनिंदा जिलों में बाल लिंगानुपात के वर्तमान स्तर 918 से गिरावट की स्थिति में सुधार करना है ।
जनवरी 2015 में हिमायत और मानसिक सोच में बदलाव के लिए एक राष्ट्रीय मीडिया अभियान लांच किया गया । रेडियो( हिन्दी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में ). टीवी , एसएमएस अभियान, 96 बीबीबीपी जिलों में मोबाइल प्रदर्शनी वाहन तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के गीत और नाटक प्रभाग(4309 कार्यक्रम) फील्ड पब्लिसिटी महानिदेशालय( 114 कार्यक्रम) के समर्थन से फील्ड पब्लिसिटी के माध्यम से पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित किए गए। वर्ष 2014-15 तथा 2015-16 के दौरान प्रचार अभियान पर 48.10 करोड़ रुपए खर्च किए गए। 2015-16 के लिए अभियान में ऑनलाइन डिजिटल मीडिया , रेडिया और टीवी अभियान, सिनेमा घर, आईवीआर आधारित रेल पूछताछ सेवा नंबर 139 पर प्रचार अभियान तथा गीत और नाटक प्रभाग के कार्यक्रम शामिल किए जाएंगे।
महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने चुने गए गांवों में बाल लिंग अनुपात में सुधार के लिए बेटी बचाओ-बेटा पढ़ाओ योजना को आदर्श ग्राम योजना के साथ जोड़ने के लिए संसद सदस्यों को पत्र लिखा है । मंत्रालय द्वारा प्रचार के लिए बीबीबीपी के अंतर्गत श्रेष्ठ व्यवहार-कार्यों की डिजिटल इंडिया सप्ताह प्रदर्शनी, बीबीबीपी पर मोबाइल एप, फेसबुक , ट्वीटर , यूट्यूब, वेबसाइट , माईजीओवी,विकासपीडिया आदि मंचों का उपयोग भी किया जा रहा है ।
सभी राज्यों में बहु-क्षेत्रीय जिला कार्य योजनाएं चालू हो गई हैं। जिला कलक्टर कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे हैं और कुछ श्रेष्ठ कार्य-व्यवहार सामने आए हैं । वर्ष 2013-14 में जन्म पर लिंग अनुपात की तुलना(एचएमआईएस के अनुसार) में जनवरी-मार्च 2015 की अवधि में कम से कम 50 प्रतिशत बीबीबीपी जिलों में वृद्धि की प्रवृत्ति दिखी। इस बारे में जिला अधिकारियों तथा अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों की क्षमता को मजबूत बनाने के लिए मास्टर प्रशिक्षकों को क्षमता सृजन प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। इस विषय पर मिल कर काम करने के लिए विभिन्न संगठन आगे आए हैं।
ग्राम सहायता और कनवर्जेंस सेवाएं
ग्राम सहायता और कनवर्जेंस सेवाएं नई हैं और इनका उद्देश्य केंद्र/ राज्य सरकार द्वारा लागू की जा रही योजनाओं/ कार्यक्रमों यथा बीबीबीपी, सबला , जन धन योजना, स्वच्छ भारत आदि से महिलाओं को जोड़ना है। बीबीबीपी के अंतर्गत आने वाले लैंगिक दृष्टि से महत्वपूर्ण 100 जिलों में इसे शुरु में प्रारंभ किया जा रहा है ।
वन स्टॉप सेंटर
हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए चिकित्सा, कानूनी तथा मनोवैज्ञानिक समर्थन सहित एकीकृत सेवा तक पहुंच के लिए वन स्टॉप सेंटर स्थापित करने की योजना लांच की गई। इसका धन पोषण निर्भया कोष से किया जाएगा। वन स्टॉप सेंटर 181 तथा अन्य चालू लाइनों के साथ जोड़ दिए जाएंगे। पायलट आधार पर सेंटर प्रत्येक राज्य /केंद्र शासित प्रदेश में स्थापित किए जाएंगे। पहले चरण में 36 वन स्टॉप सेंटर, प्रत्येक राज्य /केंद्र शासित प्रदेश में 1 , स्थापित किए जाएंगे। अभी तक 30 वन स्टॉप सेंटरों को स्वीकृति दी गई है। । इसमें से 10 पूरी तरह काम कर रहे हैं।
निर्भया कोष उपयोग
निर्भया कोष के अंतर्गत 600 करोड़ रुपए से अधिक के प्रस्तावों की सिफारिश की गई है। इनमें शामिल हैः-
1. 18.58 करोड़ रुपए की कुल परियोजना लागत के साथ वन स्टाप सेंटर ।
2. महिला और बाल विकास मंत्रालय के 69.49 करोड़ रुपए के साथ सार्वभौमिक महिला हेल्पलाइन
गृह मंत्रालय के प्रस्तावों में शामिल हैः-
1. 200.00 करोड़ रुपए की पीड़ित मुआवजा योजना को लागू करने के लिए राज्य /केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को समर्थन देने के लिए केंद्रीय पीड़ित मुआवजा कोष बनाना ।
2. देश के सभी पुलिस जिलों में 324.00 करोड़ रुपए की लागत से महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की जांच के लिए जांच इकाइयां बनाना ।
वन स्टॉप सेंटरों के लिए 10.71 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं और महिला हेल्पलाइन के लिए 13.92 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है। गृह मंत्रालय धन जारी करने के लिए निर्भया कोष के अंतर्गत आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मत्रालय के निर्देशों के अनुसार प्रस्तावों की जांच कर रहा है ।
महिला हेल्पलाइन
पूरे देश में समान नंबर 181 के साथ महिला हेल्पलाइन बनाने का प्रस्ताव है। यह हेल्पलाइन महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा स्थापित किए जाने वाले वन स्टॉप सेंटर से जुड़ेगी। अभी तक 21 राज्यों को वित्तीय सहायता दी गई है और ये हेल्पलाइन चालू हो गई हैं।
कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोक, निषेध और समाधान) अधिनियम 2013
इस अधिनियम पर मंत्रालय ने एक पुस्तिका जारी की है। यह www.wcd.nic.in. पर भी उपलब्ध है । यह पुस्तिका सभी कार्य स्थलों , संस्थानों तथा संगठनों के लिए है ताकि कार्य स्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के बारे में बुनियादी समझ विकसित हो सके । यह पुस्तिका कानून के अंतर्गत बनी आंतरिक शिकायत समितियों / स्थानिय शिकायत समितियों के लिए भी तैयार की गई है ताकि कार्य स्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित सूचना सरल रूप में मिल सके । शिकायत समितियों से समाधान की आशा की जाती है और जांच प्रक्रिया तथा परिणाम की भी आशा की जाती है । यह पुस्तिका हितधारकों तथा विशेषज्ञों की सलाह से तैयार की गई है ।
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कार्य स्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न अधिनियम के अंतर्गत कंपनियों के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में आंतरिक शिकायत समिति के गठन को बताना अनिवार्य कर दिया है । भारत सरकार के मंत्रालयों / विभागों से अधिनियम का परिपालन करने को कहा गया है । एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कार्मस एण्ड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) , भारतीय वाणिज्य उद्योग मंडल(फिक्की) , भारतीय उद्योग परिसंघ(सीआईआई) तथा नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर तथा सविर्स कंपनीज (नास्कॉम) से अधिनियम का कड़ाई से पालन करने का अनुरोध किया गया है।
पुलिस में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण
यह कदम पुलिस बल को लैंगिक दृष्टि से संवेदी बनाना है ताकि लैंगिक रूप से संवेदी मामलों में पुलिस के संपूर्ण कार्य में सुधार हो सके। अभी तक 7 राज्य /केंद्र शासित प्रदेश इस कार्यक्रम में शामिल हुए हैं और इन राज्यों ने अतिरिक्त महिला पुलिस बल की भर्ती शुरु कर दी ही है। अनेक राज्य इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
विशेष महिला पुलिस स्वयंसेवी कार्यक्रम
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने महिला पुलिस स्वयंसेवियों के संचालन के लिए दिशा-निर्देश विकसित किया है। इसे गृह मंत्रालय के पास अपनाने के लिए भेजा गया है । महिला पुलिस स्वयंसेवी पुलिस और समुदाय के बीच सेतु का काम करेंगी और पीड़ित महिला की सहायता करेंगी । महिला पुलिस स्वयंसेवी महिलाओं के विरुद्ध अपराध, घरेलू हिंसा अपराध तथा दहेज उत्पीड़न के मामले की रिपोर्ट करेंगी। उन्हें पुलिस के साथ काम करने के बारे में परिचय पत्र दिया जाएगा । महिला पुलिस स्वयंसेवियों के योगदान को प्रोत्साहित किया जाएगा।
शैक्षणिक संस्थानों में जेंडर चैंपियन के माध्यम से लड़के, लड़कियों को संवेदी बनाना
लैंगिक समानता के विषय पर लड़के, लड़कियों को संवेदी बनाने के लिए स्कूल स्तर से ही जेंडर चैंपियन योजना की शुरुआत की गई है । इस योजना का उद्देश्य इस विषय पर कानूनों, विधानों, कानूनी अधिकारों तथा जीवन कौशल शिक्षा के बारे में लड़के, लड़कियों में जागरूकता फैलाना है। आठवीं कक्षा से ऊपर प्रत्येक कक्षा में जेंडर चैंपियन की पहचान की जाएगी और शैक्षणिक संस्थानों में जेंडर चैंपियन को संस्थागत बनाया जाएगा। महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा विकसित जेंडर चैंपियन दिशा-निर्देशों को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से लागू किया जा रहा है । उच्च शिक्षा विभाग ने इस मामले पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) से बातचीत की है । यूजीसी ने 3 अगस्त 2015 को एक अधिसूचना जारी कर जेंडर चैंपियन कार्यक्रम लागू करने के बारे में कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों से अनुरोध किया है । यह कार्यक्रम सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए है जहां लड़के और लड़कियों की पहचान जेंडर चैंपियन के रूप में होगी । उद्देश्य इस आयु में लैंगिक समानता के बारे में युवाओं को शिक्षित करना है ।
महिला एचीवर्स के लिए मान्यता और पुरस्कार
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने महिलाओं के जीवन में परिवर्तन, उनकी आकांक्षा तथा उपलब्ध अवसर के उपयोग के लिए महिलाओं की उपलब्धियों को मान्यता देने और उन्हें पुरस्कृत करने की योजना को आगे बढ़ाया है । जिला तथा राज्य स्तर पर असाधारण और निःस्वार्थ किए गए कार्य को मान्यता देने के लिए नए पुरस्कार गठित किए गए हैं । इन पुरस्कारों का निर्णय राज्य /केंद्र शासित प्रदेश स्तर पर होगा । ये पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिए जाएंगे ।
महिला और बाल विकास मंत्रालय पहली बार फेसबुक के सहयोग से नामांकन और वोटिंग के माध्यम से 100 महिला एचीवर्स को चुनने के लिए प्रतियोगिता चला रहा है । अपने समुदाय की स्थिति को सुधारने तथा आसपास के लोगों पर प्रभाव छोड़ने वाली महिलाओं को मंत्रालय द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
मंत्रालय ने महिला एचीवर्स को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए मीडिया से भी सहयोग किया है । फोकस टीवी . ईटीवी तथा दूरदर्शन द्वारा संयुक्त रूप से ‘अबके बरस मोहे बिटिया ही दिजो’ कार्यक्रम चला रहे हैं ।
सबला
यह कार्यक्रम विशेष रूप से स्कूल से बाहर की किशोरियों को जीवन कौशल , पूरक पोषण तथा बुनियादी स्वास्थ्य जांच प्रदान करने के लिए बनाया गया है । अभी यह योजना देश के 210 जिलों में चल रही है । अगले वित्त वर्ष में इसे देश के सभी जिलों में चालू करने की योजना है । सबला का उद्देश्य 11-18 वर्ष आयु वर्ग की किशोरियों को आत्म निर्भर बनाकर उनका समग्र विकास करना है । सबला कार्यक्रम से 98.98 लाख किशोरियों को लाभ मिला है
एसटीईपी(स्टेप) के लिए संशोधित दिशा निर्देश
महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम(स्टेप) को समर्थन देने के लिए दिशा निर्देश संशोधित किए गए हैं और आवेदन पत्र को सरल बनाया गया है । लाभार्थी के लिए धन दृद्धि भी की गई है । योजना का उद्देश्य वैसा कौशल प्रदान करना है जो महिलाओं को रोजगार के लिए पात्र बनाए और उन्हें स्वरोजगार/उद्यम के लिए आत्मनिर्भर बनाए।
राष्ट्रीय महिला कोष(आरएमके)
राष्ट्रपीय महिला कोष को कारगर तरीके से लागू करने के लिए आरएमके ऋण पर ब्याज दर में कमी की गई है । ब्याज दर इस वर्ष 14 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत कर दी गई है। आरएमके ऋण दिशा निर्देशों को कारगर बनाने के लिए ऋण संबंधी दिशा निर्देश में इस वर्ष फिर संशोधन किया गया है।
भारतीय महिला प्रदर्शनी
दस्तकार महिलाओं को बाजार से जोड़ने के लिए नया कार्यक्रम भारतीय महिला प्रदर्शनी प्रारंभ किया गया है । दिल्ली में थीम आधारित दो प्रदर्शनी सह बिक्री कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुए हैं। नई दिल्ली के दिल्ली हाट में एक आयोजन महिला तथा आर्गेनिक उत्पाद विषय पर किया गया। इस प्रदर्शनी में लेह से कन्याकुमारी तथा कोहिमा से कच्छ तक की 600 से अधिक महिला दस्तकारों ने भाग लिया और उन्होंने चावल , ब्लैक राइस , राजमां, दालें , मसाले, शहद, चाय तथा लेमन टी, आर्गेनिक मशरूम, बी वैक्स, हस्तकलाकृति, एथेनिक फूड, अचार , सब्जी ,फल, डाइज, ड्रेसेज, सौंदर्य सामग्री, आर्गेनिक तरल कीटनाशक जैसे उत्पाद पेश किए। इस योजना का विस्तार अन्य राज्यों में किया जा रहा है। यह योजना ई-कार्मस प्लैटफार्म से भी शीघ्र लांच की जाएगी।
वैवाहित वेबसाइटों का नियमन
वैवाहिक वेबसाइटों पर पंजीकरण कराने वाली महिलाओं का पीछा करने तथा उनके उत्पीड़न की शिकायतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक नियामक ढांचा बनाने का निर्णय लिया गया है। वैवाहिक वेबसाइट कंपनियां इस मामले में आगे आई हैं और आचार संहिता संयुक्त रूप से बनाने पर सहमत हुई हैं। इस संहिता का अनुपालन स्वनियमन आधार पर किया जाएगा।
मोबाइल फोन पर पैनिक बटन
संकट की स्थिति में महिला की रक्षा के लिए मोबाइल फोन में पैनिक बटन लगाने के बारे में फोन बनाने वाली और सेवा देने वाली कंपनियां सहमत हुई हैं। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से आवश्यक नियम जारी किए जाएंगे। इस बीच , मोबाइल फोन कंपनियां वर्तमान फोन में तथा आने वाले फोन सेटों में पैनिक बटन की व्यवस्था करने पर काम कर रही हैं । यह सेवा मार्च 2016 से शुरु हो जाएगी।
मातृत्व अवकाश विस्तार
महिला कर्मचारी को उसके बच्चे के जन्म के बाद 6 महीने तक दूध पिलाने के लिए मंत्रालय मातृत्व अवकाश की अवधि बढ़ाकर 7 महीने करने पर काम कर रहा है। श्रम मंत्रालय ने इसे तीन महीने से बढ़ाकर 6.5 महीना करने का निर्णय लिया है । इसके लिए प्रासंगिक श्रम कानून में संशोधन की तैयारी की जा रही है।
वृंदावन में विधवाओं के लिए आश्रय गृह
वृंदावन में खराब स्थिति में रह रही विधवाओं के लिए बड़ी सुविधा की स्वीकृति दी गई है।
मृत्यु प्रमाण पत्र पर विधवा का नाम देना आवश्यक
मंत्रालय पति की मृत्यु के बाद विधवा को उसके सभी हक दिलाने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल तथा राज्य सरकारों के साथ काम कर रहा है ताकि पति के मत्यु प्रमाण पत्र पर विधवा का नाम आवश्यक रूप से लिखा जा सके।
राष्ट्रीय महिला नीति
राष्ट्रीय महिला नीति तैयार की जा रही है। इसके लिए गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय हितधारकों से विचार-विमर्श करके अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। मार्च 2016 तक यह नीति अधिसूचित कर दी जाएगी।
लापता बच्चों पर उठाए गए कदम
खोए, लापता तथा अवैध कार्य में धकेले गए बच्चों की खोज, पुनर्वास तथा उनको पुनःस्थापित करने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं।
1. खोया पाया- महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इलेक्ट्रानिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से ने खोया पाया पोर्टल लांच किया है । यह लापता बच्चों की खोज के लिए है। इस वेबसाइट पर खोए और लापता हुए बच्चों की जानकारी होती है। अब तक लगभग 2700 यूजरों ने अपना पंजीकरण कराया है और लगभग 1500 ने अपने मोबाइल फोन से मोबाइल एप्लीकेशन डाउनलोड किए हैं। खोये-दिखे बच्चों से संबंधित 1500 मामले दर्ज किए गए हैं और पोर्टल पर 140 लापता बच्चों के मामले निपटाए गए हैं।
रेलवे के साथ समझौता
महिला और बाल विकास मंत्रालय तथा रेल मंत्रालय ने घर से भागे हुए बच्चों , परित्यक्त, अपहृत तथा अनैतिक काम में धेकेले गए बच्चों को रेलवे के माध्यम खोजने के लिए विशेष संचालन प्रक्रिया बनाई है । ऐसे बच्चों के पुनर्वास के लिए देश के 20 प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्पलाइन सेंटर स्थापित किए गए हैं। इन रेलवे स्टेशनों पर स्वयंसेवी संगठनों, चाइल्ड हेल्पलाइन समूहों के कार्यकर्ता होंगे जो ऐसे बच्चों को उनके माता-पिता /अभिभावकों को सौंपने का काम करेंगे। खोए/ लापता बच्चों की जानकारी देने के बारे में लोगों को संवेदी बनाने के लिए रेल कोचों तथा रेलवे स्टेशनों पर पोस्टर लगाए जाते हैं। लोगों तथा बच्चों की सूचना के लिए रेलवे स्टेशनों पर घोषणाएं भी की जाएंगी ।
चाइल्डलाइन का विस्तार
बच्चों को बचाने तथा उन्हें संकट से बाहर निकालने के लिए चाइल्डलाइन देशव्यापी पहल है। पिछले 18 महीनों में चाइल्डलाइन का विस्तार 386 शहरों में किया गया है । अगले वर्ष के मध्य तक इसे 500 शहरों तक बढ़ाना है ।
गोद लेने की प्रक्रिया में सुधार
महिला एवं बाल विकास विभाग ने गोद लेने के संबंधी सुधार के लिए बच्चों को गोद लेने संबंधी संशोधित दिशा-निर्देश 2015 को अधिसूचित किया है। यह 01 अगस्त, 2015 से प्रभावी हुआ। संशोधित दिशा-निर्देश आईटी सहज गोद लेने की प्रणाली-केयरिंग के साथ गोद लेने की पारदर्शी प्रक्रिया का प्रावधान करता है और इसके तहत बच्चों की देखभाल करने वाले देश के संस्थानों को एकीकृत प्रणाली के अंतर्गत लाया गया है। इस दिशा-निर्देश को गोद लेने की संपूर्ण प्रक्रिया को बाधा रहित बनाने के लिए प्रभावी बनाया गया ताकि विभिन्न स्तरों पर विलम्ब में कमी लाई जा सके। इसमें अनाथ, परित्यक्त, तथा समर्पित बच्चों को बाल कल्याण समिति द्वारा गोद लेने के लिए कानूनी रूप से समयबद्ध रूप में मुक्त घोषित करने का प्रावधान है। इसमें निर्दिष्ट करने तथा मिलान करने के लिए पीएपी के ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था है, एक महीने की अवधि के अंदर पीएपी की गृह अध्ययन रिपोर्ट बनाने की व्यवस्था है। नए दिशा-निर्देशों में जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू) को गोद लेने वाली विशेषज्ञ एजेंसी (एसएए) तथा बच्चे की देखभाल करने वाले संस्थान (सीसीआई) के बीच संपर्क स्थापित करने सहित सभी गोद लेने योग्य बच्चों के प्लेसमेंट में तेजी लाना है।
गोद लेने की बाधा रहित प्रक्रिया के लिए केयरिंग में गोद लेने योग्य बच्चों तथा पीएपी का एक केन्द्रीयकृत डाटा बैंक होता है। ऐसे बच्चों को शीघ्र संस्थान रहित सुनिश्चित करने के लिए घरेलू तथा अंतर-देशीय गोद लेने के लिए स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित की गई है। घरेलू गोद लेने वाले अभिभावकों, भारतीय गोद लेने वाली एजेंसियों तथा गोद लेने के संबंध में जन साधारण की मदद के लिए सीएआरए ने टोल फ्री गोद लेने संबंधी हेल्पलाइन नंबर 1800-111-311 शुरू किया है।
गोद लेने संबंधी डाटा (देशीय तथा अंतर-देशीय) अप्रैल 2012 से मार्च 2015
वर्ष |
देशीय |
अंतर-देशीय |
कुल |
2012-2013 (अप्रैल 12 से मार्च, 13) |
4694 |
308 |
5002 |
2013-2014 ( अप्रैल, 13 से मार्च, 14) |
3924 |
430 |
4354 |
2014-2015 (अप्रैल 14 से मार्च 15) |
3988 |
374 |
4362 |
|
|
|
गोद लेने संबंधी देशीय लैंगिक डाटा
वर्ष |
पुरूष |
महिला |
कुल |
अप्रैल 2012 – मार्च 2013
|
1848 |
2846 |
4694 |
अप्रैल 2013 – मार्च 2014
|
1631 |
2293 |
3924 |
अप्रैल 2014 – मार्च 2015
|
1688 |
2300 |
3988 |
पोषक देखभाल दिशा-निर्देश
बच्चों को पोषक देखभाल के लिए एक नई प्रणाली स्थापित की गई है और नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। यह प्रणाली व्यक्तिगत परिवारों को पोषक अभिभावक के रूप में बच्चों की देखभाल की अनुमति देती है। इससे बाल देखभाल संस्थानों की तुलना में बच्चों की बेहतर तरीके से देखभाल और सुरक्षा हो सकेगी।
बाल देखभाल संस्थानों में बच्चों के लिए आधार कार्ड
यह कदम यूआईडीएआई के सहयोग से बाल देखभाल संस्थान में रहने वाले बच्चों को आधार कार्ड देने के लिए उठाया गया है ताकि भविष्य के लिए बच्चों की स्थायी पहचान हो सके। इससे बड़ा होने पर बच्चों की विभिन्न सरकारी सेवाओं तक पहुंच हो सकेगी।
सभी बाल देखभाल संस्थानों के लिए पंजीकरण आवश्यक
राज्य सरकारों को प्रत्येक बाल देखभाल संस्थान को पंजीकरण के दायरे में लाने को कहा गया है ताकि बच्चों को देखभाल तथा सुरक्षा की न्यूनतम मानक मिल सके। अधिकतर राज्यों में गैर-पंजीकृत संस्थानों की पहचान की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इससे और अधिक बच्चों को गोद लेने के दायरे में लाया जा सकता है और उनके लिए परिवार मिल सकता है।
बाल डाटा पर त्वरित सर्वेक्षण
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने 2013-14 के दौरान 29 राज्यों में बाल डाटा पर त्वरित सर्वेक्षण प्रारंभ किया। 02 जुलाई, 2015 को सरकार द्वारा सर्वे पर अस्थायी राष्ट्रीय स्थिति जारी की गई। ये महिला और बाल विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 2013-14 में बच्चों पर कराए गए त्वरित सर्वेक्षण के अनुसार पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में कम वजन के 29.4 प्रतिशत बच्चें पाए गए जबकि यह प्रतिशत एनएफएचएस-3 (2005-06) में 42.5 प्रतिशत था। इसी तरह त्वरित सर्वेक्षण में गंभीर रूप से कम वज़न वाले 9.5 प्रतिशत बच्चे पाए गए जबकि यह एनएफएचएस-3 में यह प्रतिशत 15.8 प्रतिशत था।
राष्ट्रीय पोषण मिशन
कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए मार्च 2016 तक यह मिशन लॉन्च किया जा रहा है ताकि लक्षित रूप से बच्चों को पूरक पोषण दिया जा सके और जमीनी स्तर पर इसकी आईटी आधारित निगरानी हो सके। इसके लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है और मंत्रिमंडल की स्वीकृति के लिए व्यापक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है। विभिन्न रूप में सहायता देने के लिए राष्ट्रीय तथा बहु-राष्ट्रीय कंपनियों की भागीदारी के साथ मिशन तैयार किया गया है। जून 2014 में वित्त मंत्री के बजट भाषण में इस संबंध में संकल्प व्यक्त किया गया था। इसी के अनुसार नया राष्ट्रीय पोषण मिशन तैयार किया गया है और इसे शीघ्र लॉन्च किया जाएगा। इससे कुपोषण की जटिल समस्या का समाधान करने तथा परिणाम की निगरानी, प्रशिक्षण और क्षमता सृजन के लिए व्यापक कदम उठाए जा सकेंगे।
आंगनबाड़ी अवसंरचना विस्तार
विश्व बैंक सहायता से सुदृढ़ीकरण तथा पोषण सुधार कार्यक्रम से संबंधित आईसीडीएस प्रणाली के 8 राज्यों (आंध्रप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश) 2,534 सर्वाधिक पिछड़े ब्लॉकों में 2 लाख एडब्ल्यूसी भवन बनाने की योजना है। इसके अतिरिक्त असम, ओडिशा तथा तेलंगाना में ग्रामीण विकास मंत्रालय के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत अगले चार वर्षों में प्रतिवर्ष 50,000 एडब्ल्यूसी भवन बनाने की योजना है। एडब्ल्यूसी भवन निर्माण को एमजीएनआरईजी अधिनियम के अंतर्गत स्वीकृत गतिविधि के रूप में शामिल किया गया है। 13 अगस्त, 2015 को महिला तथा बाल विकास मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से एमजीएनआरईजी के अंतर्गत आंगनबाड़ी केन्द्र बनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। पहले चरण में आईसीडीएस योजना का एमजीएनआरईजी से मेल के अंतर्गत आईपीपीई ब्लॉकों/असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना तथा उत्तर प्रदेश को उच्च भार वाले जिलों में 20 नवंबर, 2013 तक 28,619 स्थलों की पहचान की गई है।
अगली पीढ़ी की आंगनबाड़ी स्थापित करने के लिए अपने सामाजिक दायित्व गतिविधियों के अंतर्गत निजी क्षेत्र की कंपनियां भी शामिल हुई है। इन आंगनबाड़ियों में 50 प्रतिशत समय बच्चों की शिक्षा में दिया जाएगा और शेष समय में महिलाओं के कौशल विकास को समर्थन दिया जाएगा। आधुनिक आंगनबाड़ी में सौर ऊर्जा, ई-लर्निंग के लिए टेलीविज़न, स्वच्छ शौचालय तथा शुद्ध पेयजल सप्लाई व्यवस्था होगी।
30 सितंबर, 2015 को देश में कार्यरत आंगनबाड़ियों की संख्या 13,47,890 थी।
अस्वास्थ्यकर खाद्य दिशा-निर्देश
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने एनआईएन हैदराबाद के निर्देशक की अध्यक्षता में एक कार्यसमूह का गठन किया। इस कार्य समूह ने विश्व के 23 देशों में अस्वास्थ्यकर खाद्य के नियामक ढांचे की जांच की और अपनी सिफारिशें दी। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कार्य समूह की सिफारिश/रिपोर्ट को अधिसूचित करने के लिए तथा इसे स्कूलो में लागू करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा है। मंत्रालय ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकार (एफएसएसएआई) की दिशा-निर्देशों में इसे शामिल करने के लिए लिखा है। इस रिपोर्ट में बच्चों के संदर्भ में अस्वास्थ्यकर खाद्य की व्यापक परिभाषा दी गई है और सुझाव दिया गया है कि स्कूल कैंटीन में अस्वास्थ्यकर खाद्य की परिभाषा के अंतर्गत आने वाली सभी खाद्य सामग्रियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। सुझाव दिया गया है कि किसी स्कूल के 200 मीटर के दायरे में स्कूल समय में इन अस्वास्थ्यकर खाद्य सामग्रियों की बिक्री की अनुमति वेंडरों को नहीं दी जानी चाहिए। यह सुझाव भी दिया गया है कि स्कूल के 200 मीटर के दायरे में आने वाली दुकानों और रेस्तराओं को अस्वास्थ्यकर खाद्य सामग्री स्कूली परिधान में बच्चों को नहीं बेची जानी चाहिए। सुझाव दिया है कि स्कूल कैंटीन में वांछित सामग्रियों की सूची दी जानी चाहिए।
गुडटच, बैड टच पर फिल्म- कोमलः
राष्ट्रीय सुरक्षा विजेता एनीमेशन फिल्म ‘कोमल’ यौन दुराचार पर बच्चों को शिक्षित करने के लिए बनाई गई है। सभी स्कूलों में यह फिल्म दिखाने के लिए स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं।
मातृत्व तथा नवजात शिशु देखभाल पर फिल्म
यह फिल्म अस्पतालों के मातृत्व वार्ड में दिखाने के लिए बनाई गई है ताकि माताओं को नवजात शिशुओं की देखभाल के बारे में शिक्षित किया जा सके और नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।
ई-ऑफिस का कार्यान्वयनः
मंत्रालय ने दक्षता में सुधार तथा सरकार के कारगर उत्तर के लिए कागज रहित ई-ऑफिस प्रणाली लागू की है। लगभग 12,000 फाइलों का डिजिटीकरण किया गया है, सर्विस बुक, रिकॉर्ड रूम फाइलों का डिजिटीकरण किया गया है। इससे स्टेशनरी सामग्रियों की खरीद में भारी कमी आई है और पारदर्शिता तथा दायित्व में वृद्धि के अतिरिक्त मामलों की प्रोसेसिंग के लिए गुणवत्ता तथा समय में सुधार हुआ है।