- February 14, 2017
वर्षांत समीक्षा – कोयला -कोयला उत्पादन 391.10 मिलियन टन हुआ, अप्रैल-नवंबर, 2016 के दौरान 1.6 प्रतिशत की समग्र वृद्धि
पेसूका ——कोयला मंत्रालय द्वारा पिछले वर्ष की प्रगति को और आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं। 2015 में हुई कोयला खदानों की नीलामी के अनुरूप अब तक आवंटित 83 कोयला खदानों की नीलामी/आवंटन से खदान की जीवन अवधि/पट्टे की अवधि में 3.95 लाख करोड़ रूपये से अधिक की प्राप्ति होने का अनुमान है।
अक्टूबर, 2016 तक इन कोयला खदानों की वास्तविक राजस्व उगाही 2,779 करोड़ रूपये (रॉयल्टी, चुंगी तथा करों को छोड़कर) रही। 9 कोयला ब्लॉकों की विद्युत क्षेत्र को की गई नीलामी से उपभोक्ताओं को बिजली शुल्क में कमी के संदर्भ में लगभग 69,310.97 करोड़ रूपये के लाभ की संभावना है।
देश में अप्रैल-नवंबर, 2016-17 के दौरान कच्चे कोयले का उत्पादन 391.10 मिलियन टन हुआ। पिछले वर्ष की इसी अवधि में कच्चे कोयले का उत्पादन 385.11 मिलियन टन हुआ था। अप्रैल-नवंबर ,2016 के दौरान कोयला उत्पादन में 1.6 प्रतिशत की समग्र वृद्धि दर्ज की गई।
30.11. 2016 को एनएलसीआईएल की लिग्नाइट खनन क्षमता 30.6 मिलियन टन वार्षिक रही। कंपनी ने अपनी विद्युत उत्पादन क्षमता 4275.50 मेगावाट (मार्च ,2016 में) से बढ़ाकर 4293.50 मेगावाट कर ली। इसमें 10 मेगावाट सौर विद्युत और 43.50 मेगावाट पवन विद्युत शामिल है।
कोयला मंत्रालय ने देश में कोयला आयात में कमी लाने पर विशेष बल दिया है। सरकार ने 2015-16 में 20,000 करोड़ रूपये और चालू वर्ष के पहले 4 वर्षों में 4,844 करोड़ रूपये की बचत की है। इस मोर्चे पर किए जा रहे प्रयासों से मार्च 2017 तक आयातित कोयले की 15.37 एमटी मात्रा कम हो जाएगी।
प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अनुरूप कोयला मंत्रालय ने अक्टूबर 2016 में ई-ऑफिस एप्लीकेशन को पूरी तरह लागू किया और अब मंत्रालय का फाइल कार्य इलेक्ट्रॉनिक तरीके से हो रहा है।
डिजिटीकरण प्रक्रिया से मंत्रालय के कामकाज में पारदर्शिता और दक्षता आई है और इससे फाइलों की गति में तेजी आएगी और तेजी से निर्णय लिए जा सकेंगे। इससे फाइलों/रिकॉर्डों की तेजी से वापसी हो सकेगी और फाइलों और रिकॉर्डों के गुम या लापता होने की गुंजाइश कम रहेगी।
वर्ष के दौरान अनेक आईटी कार्यक्रम शुरू किए गए। इनमें प्रत्यक्ष लाभांतरण के माध्यम से सीएमपीएफओ में ई-सेवा लागू करना, सीएमपीएफ में कंप्यूट्रीकरण-ई-सेवाएं (आंतरिक विकास), आधार संख्या को सीएमपीएफ खाता संख्या मानना, सीएमपीएफ योजना के अंतर्गत ठेके के श्रमिकों को कवर करना, शिकायत निवारण प्रणाली का नवीकरण तथा बाधारहित पेंशन के लिए स्व-प्रमाणित जीवन प्रमाण-पत्र शामिल हैं।
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के छोटे एवं मझौले क्षेत्र के उपभोक्ताओं के लिए कोयला आवंटन निगरानी प्रणाली (सीएएमएस) तथा घरेलू कोयले के उपयोग में लचीलापन लाने के लिए कोल मित्र वेब पोर्टल जैसे अनेक नए पोर्टल लांच किए गए ताकि छोटे तथा मझौले क्षेत्र के लिए कोयला वितरण में पारदर्शिता लाई जा सके और कारोबार सहज बनाया जा सके।
कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2015 के अंतर्गत कोयला खदानों का आवंटन
माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा रद्द/आवंटन निरस्त 204 कोयला ब्लॉकों के प्रबंधन और पुन:आवंटन के लिए सरकार ने कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2015 लागू किया ताकि नीलामी या सरकारी कंपनी को आवंटन के माध्यम से नए आवंटियों को खदानों/ब्लॉकों में जमीन तथा अन्य संबद्ध खनन अवसंरचना के साथ अधिकार, स्वामित्व और अभिरूचि का हस्तांतरण सरलता से हो सके।
कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2015 की अनुसूची IV ने कोयला खदान (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम 1973 तथा खदानों और खनिज (विकास और नियमन) 1957 में संशोधन किया ताकि कुछ विशेष कोयला ब्लॉकों के मामलों को छोड़कर कोयला खनन की पात्रता की बाधा दूर की जा सके।
कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2015 के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों को कोयला बिक्री के लिए कोयला/ब्लॉकों के आवंटन के लिए अग्रिम भुगतान या सुरक्षित मूल्य के निर्धारण के तरीकों को सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है।
वाणिज्यिक खनन की दिशा में पहले कदम के रूप में राज्य के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों द्वारा कोयले की बिक्री/वाणिज्यिक खनन की आवंटन के लिए 16 कोयला खदानों की पेशकश की गई। इन 16 कोयला खदानों में से 8 कोयला संपदा को कोयला खदान वाले मूल राज्य के लिए निर्धारित किया गया जबकि शेष कोयला खदानों को गैर-अतिथि राज्यों की सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के लिए रखा गया।
5 कोयला खदानों का कोयला वाले राज्यों के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को आवंटित किया गया तथा 2 कोयला खदान गैर-अतिथि राज्यों के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को कोयले की बिक्री के लिए आवंटित किया गया। उपरोक्त 7 कोयला खदानों के मामले में आवंटियों के साथ आवंटन समझौता पूरा किया गया है।
जनवरी, 2016 से नवंबर, 2016 की अवधि के दौरान कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2015 के अंतर्गत विद्युत क्षेत्र के लिए 3 तथा गैर-नियमन क्षेत्र के लिए 2 यानी 5 कोयला खदानों के मामले में आवंटन समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। एक कोयला खदान यानी अमेलिया कोयला खदान का आवंटन बिजली के अंतिम उपयोग के लिए किया गया है और इसके आवंटन समझौते पर हस्ताक्षर होना बाकी है।
अब तक आवंटित 83 कोयला खदानों की नीलामी और आवंटन से खदान जीवन अवधि/पट्टे की अवधि में 3.95 लाख करोड़ रूपये से अधिक की प्राप्ति होगी और यह राशि पूरी तरह कोयला संपदा संपन्न राज्यों को मिलेगी। अक्टूबर, 2016 तक इन कोयला खदानों से 2,779 करोड़ रूपये (रॉयल्टी,चुंगी शेष तथा करों को छोड़कर) 2,779 करोड़ रूपये की वास्तविक राजस्व की प्राप्ति हुई। विद्युत क्षेत्र को 9 कोयला ब्लॉकों की नीलामी से विद्युत शुल्क में कमी आई और इस कमी से उपभोक्ताओं को 69,310.97 करोड़ रूपये की लाभ की संभावना है।
खदान और खनिज (विकास तथा नियमन) अधिनियम, 1957 के अंतर्गत कोयला/लिग्नाइट ब्लॉकों का आवंटन
कोयला ब्लॉकों के आवंटन की प्रक्रिया को पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ बनाने के लिए खदान और खनिज (विकास और नियमन) अधिनियम 1957 को 2010 में संशोधित किया गया। इस संशोधन के माध्यम से कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए ‘नीलामी’ के तौर-तरीकों का प्रावधान प्रमुख कानून में करने के लिए सेक्शन 11ए तथा सेक्शन 13 (2) (डी) जोड़े गए।
सरकारी कंपनियों को कोयला ब्लॉक आवंटित करने के लिए सरकार ने कोयला खदानों की स्पर्धी बोली नियम 2012 को अधिसूचित किया।
कोयला खदान स्पर्धी बोली नियम 2012 द्वारा नीलामी के प्रावधानों के अंतर्गत 5 कोयला ब्लॉक विद्युत के अंतिम उपयोग के लिए सरकारी कंपनियों/निगमों को आवंटित किए गए और जनवरी 2016- नंवबर, 2016 की अवधि के दौरान वाणिज्यिक खनन के लिए दो कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए। विद्युत के अंतिम उपयोग के लिए 4 कोयला ब्लॉकों के मामले में केंद्र सरकार ने आवंटी कंपनी के साथ कोल ब्लॉक विकास तथा उत्पादन समझौते पर हस्ताक्षर किया है।
इसी अवधि के दौरान तीन लिग्नाइट ब्लॉक गुजरात की कंपनियों को आवंटित किए गए। इनमें से एक लिग्नाइट ब्लॉक विद्युत के अंतिम उपयोग के लिए आवंटित किया गया है और आवंटी कंपनी के साथ केंद्र सरकार ने लिग्नाइट ब्लॉक विकास तथा उत्पादन समझौते पर हस्ताक्षर किया है। शेष दो लिग्नाइट ब्लॉक वाणिज्यिक खनन के लिए आवंटित किए गए।
कोयला खदानों की स्पर्धी बोली नियम 2012 द्वारा नीलामी के नियम 4 के अंतर्गत 7 कोयला ब्लॉकों को सरकारी कंपनियों/6 राज्यों के निगमों को आवंटित करने के मामले में आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इस संबंध में नोटिस जारी किया गया।
कोयला उत्पादन
देश में 2016-17 के अप्रैल-नवंबर के दौरान 391.10 मिलियन टन कच्चे कोयले का उत्पादन हुआ पिछले वर्ष की इसी अवधि में 385.11 मिलियन टन कच्चा कोयले का उत्पादन हुआ था। अप्रैल-नवंबर, 2016 के दौरान कोयले के उत्पादन में 1.6 प्रतिशत की समग्र वृद्धि हुई।
कुछ बिजली कंपनियों, विशेषकर खदानों से दूर की बिजली कंपनियों, द्वारा कोयले के कम उठाव से तथा एसईसीएल में ऊंचे दर्जें के कोयले की मांग में कमी से प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ा है।
2015-16 के दौरान कोयले के उत्पादन में देखी गई उच्च वृद्धि के कारण 01 अप्रैल, 2016 को ताप विद्युत परियोजना में 27 दिनों का कोयला भंडार जमा हो गया। सीआईएल ने 57.7 एमटी के प्रारंभिक स्टॉक के साथ चालू वित्त वर्ष (2016-17) की शुरूआत की। इसके परिणाम स्वरूप खदान निकास पर कोयले भंडारों के एकत्रीकरण की समस्या उत्पन्न हुई है।
कोयले के एकत्रित स्टॉक को समाप्त करने के लिए स्पॉट ई-नीलामी और लिंकेज को तर्कसंगत बनाने जैसे विशेष उपाय किए गए हैं। इस तरह 323.64 मिलियन टन उत्पादन की तुलना में अप्रैल-नवंबर, 2016 के दौरान 340.03 मिलियन टन कोयला सीआईएल द्वारा रवाना किया गया। एमसीएल तथा सीसीएल में कानून और व्यवस्था की समस्या के कारण उत्पादन और उठाव पर असर पड़ा है।
इस वर्ष कोयला खदान वाले अधिकतर क्षेत्रों में भारी वर्षा हुई और इससे जून और सितंबर के बीच उत्पादन में कमी आई।
कोयला भेजने के मामले में निम्नलिखित विशेष अन्य कारण रहे:
अनेक सीमेंट संयंत्रों, एसईसीएल के कोरिया-रेवा खदान क्षेत्र के ऊंचे दर्जे के कोयला के पारंपरिक उपयोगकर्ताओं द्वारा पेट्रोलियम कोक को अपनाना
उच्च लॉजिस्टिक लागत के साथ स्रोत पर कोयले की कम मांग
कुछ खदानों में परिवहन की समस्या आदि
कोयला आयात प्रतिस्थापन –
कोयला कम्पनियों का उत्पादन नौ प्रतिशत की दर से बढ़ा है और आत्मनिर्भर होने के लिए पर्याप्त कोयला उपलब्ध है। आयातित कोयले का प्रतिस्थापन घरेलू कोयले से करने के कारण विदेशी मुद्रा की बचत होती है। देश ने वर्ष 2015-16 में बीस हजार करोड़ रुपये बचाया और चालू वर्ष के पहले चार महीनों 4,844 करोड़ रुपये की बचत हुई। इस मोर्चे पर किए गए प्रयास से मार्च 2017 तक 15.37 एमटी आयातित कोयले की जगह घरेलू कोयला लेगा।
कोयले की बाजार आवश्यकता विशेषकर छोटे उपयोगकर्ताओं की बाजार आवश्यकता की नियमित समीक्षा
प्रति वर्ष 4200 टन से कम आवश्यकता वाले मझोले और छोटे उद्योगों के लिए नई कोयला वितरण नीति (एनसीडीपी), 2007 के अन्तर्गत राज्य नामित एजेंसियों से कोयला लेना होगा। नई कोयला वितरण नीति (एनसीडीपी), 2007 में 27.9.2016 को संशोधन किया गया और राज्य नामित एजेंसियों से कोयला लेने की मात्रा प्रतिवर्ष 4200 टन से बढ़ाकर 10 हजार टन कर दी गई।
एनसीडीपी, 2007 में दिए गए नाम छोटे और मध्यम क्षेत्र को संशोधित कर छोटे, मध्यम तथा अन्य कर दिया गया है। छोटे, मध्यम तथा अन्य उद्योगों को कोयला वितरण करने के लिए प्रतिवर्ष आठ मिलियन टन निर्धारित किया गया है और इस मात्रे का बंटवारा पिछले उपयोग को देखते हुए विभिन्न राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में किया गया है।
टेक्नालॉजी के साथ आगे बढ़ना
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के छोटे तथा मध्यम उपभोक्ताओं के लिए कोयला आवंटन निगरानी प्रणाली (सीएएमएस) से संबंधित वेब पोर्टल को माननीय कोयला, विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) द्वारा 17 मार्च, 2016 को किया गया ताकि कारोबार में सहजता आए और एसएमई क्षेत्र को कोयला वितरण में पारदर्शिता लाई जा सके।
कोल मित्र वेब पोर्टल की डिजाइन घरेलू कोयला उपयोग में लचीलापन के उद्देश्य से की गई है। ऐसा सुरक्षित भंडार में से अधिक लागत सक्षम राज्यों/केन्द्र के स्वामित्व वाले या निजी क्षेत्र के उत्पादन स्टेशनों को कोयला अंतरण के माध्यम से किया जाता है। परिणाम स्वरूप उत्पादन लागत में कमी आती है और अन्तत: उपभोक्ताओं को बिजली की कम कीमत चुकानी पड़ती है।
वेब पोर्टल का इस्तेमाल राज्य/केन्द्र की उत्पादन कम्पनियों द्वारा किया जाएगा ताकि तय मानक के बारे में सूचना तथा पिछले महीने के लिए बिजली के परिवर्तनीय शुल्क के साथ-साथ अतिरिक्त उत्पादन के लिए उपलब्ध मार्जिन प्रदर्शित हो। इसका उद्देश्य कोयल अंतरण के लिए उपयोग स्टेशनों की सहायता करना है।
पोर्टल पर प्रत्येक कोयला आधारित स्टेशन को संचालन और वित्तीय मानकों, मात्रा तथा बिजली संयत्र को कोयला सप्लाई को स्रोत और खदान से बिजली संयंत्र की दूरी का डाटा होस्ट किया जाएगा।
कोयला लिंकेज को और तर्कसंगत बनाना तथा तीन फेज प्रगति को लागू करना
परिवहन लागत का अधिकतम लाभ लेने के उद्देश्य से वर्तमान कोयला संसाधनों तथा इन संसाधनों की संभाव्यता की विस्तृत समीक्षा के लिए जून 2014 में अंतर मंत्रालय कार्यबल का गठन किया गया। कार्यबल ने कोयला विद्युत, रेल, इस्पात, शिपिंग मंत्रालय तथा डीआईपीपी, सीईए, एनटीपीसी, सीआईएल, एससीसीएल, सहायक कोयला कम्पनियों तथा केपीएमजी के प्रतिनिधियों से अनेक दौर की बातचीत की।
विद्युत क्षेत्र में कोयला लिंकेज को तर्कसंगत बनाने से खदान से बिजली संयंत्र तक कोयला पहुंचाने की परिवहन लागत में कमी आई है और कोयला आधारित बिजली उत्पादन में सक्षमता बढ़ी है। विभिन्न खदानों से उपलब्धता के आधार पर कोयला लिंकेज आवंटन किया गया है।
तर्कसंगत बनाने की प्रक्रिया के भाग के रूप में 2015-16 के अंत तक 1,512.85 करोड़ रुपये की संभावित बचत की क्षमता वाले 29.818 एमटी कोयला लिंकेज को तर्कसंगत बनाया गया है। एनटीपीसी के आतंरिक संयंत्रों तथा इसकी संयुक्त उद्यम कम्पनियों को पुनर्गठित करने के लिए सीआईएल द्वारा एनटीपीसी के साथ कार्य किया गया। 8.05 एमटी रेल समर्थित टीपीपी से खदान टीपीपी के सुधार से 800 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत होगी।
उत्तरप्रदेश राज्य के 1.459 एमटी कोयला को तर्कसंगत रूप दिया गया और इससे 60.15 करोड़ रुपये की सालाना बचत होने की संभावना है। सीआईएल ने महाराष्ट्र राज्य (महाजेनको) की तीन इकाइयों की 1 एमटी कोयला को सुनयोजित रूप दिया गया और इससे 90.57 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत होगी।
सरकार ने नवाचारी कदम उठाते हुए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उत्पादकों को ईंधन उपयोग सुनिश्चित करके बिजली की कीमत कम करने के लिए कोयले सप्लाई की अदला-बदली करने की अनुमति दे दी है। यह सुविधा भविष्य में अन्य कोयला खपत वाले उद्योगों को भी मिल सकती है।
निजी और सरकारी कम्पनियों के बीच सप्लाई अदला-बदली का उद्देश्य उद्योग द्वारा मुख्य रूप से बिजली क्षेत्र द्वारा घरेलू कोयले की खपत में सुधार करना है, क्योंकि उत्पादन अधिक हो रहा था और बिजली संयंत्रों के ट्रेक्शन के लिए मांग में कमी आ रही थी।
कोयला लिंकेज का पारदर्शी आवंटन
नियामक क्षेत्र के दायरे से बाहर के लिंकेज यानी सपोंज आयरन, सीमेंट, सीपीपी तथा अन्य क्षेत्र के लिए नीलामी का पहला भाग पूरा कर लिया गया है।
वैकल्पिक विवाद समाधान व्यवस्था (एडीआरएम)
कोयला मंत्रालय ने वैकल्पिक समाधान व्यवस्था (एडीआरएम) फोरम बनाया है। इस फोरम में कोयला मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव और संबंधित राज्य का एक सचिव स्तर के अधिकारी रहते हैं और राज्य की बिजली कम्पनियों तथा सीआईएल और इसकी सहायक कम्पनियों के बीच उत्पन्न विवाद का समाधान करते हैं।
जनवरी 2016 से उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा हरियाणा ने एडीआरएम में भाग लिया है और एडीआरएम समिति ने राज्य की बिजली कम्पनियां तथा सीआईएल और इसकी सहायक कम्पनियों के बीच कुल 58 विवादों का समाधान निकाला है।
कोयला खदान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफओ) जनवरी से सितम्बर 2016 तक भविष्य निधि से संबंधित 24976 दावों में से 24928 दावों का निपटान किया गया। एक जनवरी 2016 से 30 सितम्बर 2016 तक कुल 25,134 पेंशन दावों का समाधान और निष्पादन किया गया।
सीएमपीएफओ में ई-सेवायें:
ईपीएफओ के अनुरूप सीएमपीएफओ में ई-सेवाएं लागू की गई हैं। इन सेवाओं में अनेक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी है। इन सेवाओं में निम्नलिखित हैं-
(क) प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी):
प्रत्यक्ष नकद अंतरण पर बनी राष्ट्रीय समिति ने एक जनवरी 2013 से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) लागू करने का निर्णय लिया। एक अगस्त 2016 से सभी तरफ के पीएफ और पेंशन भुगतान सदस्य के खाते में ऑनलाइन आरटीजीएस/एनईएफटी के माध्यम से करना आवश्यक है। चेक भुगतान प्रणाली पूरी तरह समाप्त कर दी गई है।
(ख) सीएमपीओ में कम्प्यूटीकरण – ई-सेवाएं(इनहाउस विकास) मोबाइल एप- सीएमपीएफओ द्वारा अपने ग्राहकों के लिए मोबाइल एप विकसित किया गया है। सदस्य अपना पीएफ जमा राशि देख सकते हैं। अपने दावों तथा शिकायतों की स्थिति जान सकते हैं।
(ग) आधार संख्या को सीएमपीएफ खाता संख्या मानना
इस उद्देश्य के सीएमपीएफओ ने यूआईडीएआई तथा एनएसडीएल के साथ सीएमपीएफ सदस्यों तथा पेंशनभोगियों का आधार संख्या सत्यापन के लिए ई-केवाईसी लागू करने का समझौता किया है। इससे सदस्यों को ऑनलाइन भुगतान में मदद मिलेगी और सीएमपीएफ पेंशनभोगियों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
(घ) सीएमपीएफ योजना के अन्तर्गत ठेका श्रमिकों को कवर करना
3317 ठेकेदारों का उपपंजीकरण किया गया है और अब 30-9-2016 तक 79579 ठेका श्रमिकों को सीएमपीएफ अधिनियम और योजना में कवर कर लिया गया है।
(ड़) बाधा रहित पेंशन के लिए स्वप्रमाणित जीवन प्रमाण पत्र।
सीएमपीएफओ वेब पोर्टल पर स्वप्रमाणित जीवन प्रमाणपत्र का संशोधित प्रारूप अपलोड कर दिया गया है। पेंशनभोगी इस प्रमाण पत्र को डाउनलोड कर सकते हैं और स्वप्रमाणित करके संबंधित बैंक को प्रस्तुत कर सकते हैं। किसी राजपत्रित अधिकारी से प्रमाणित कराने की आवश्यकता नहीं है।