- September 24, 2015
लोक सेवा गारंटी अधिनियम: 72 सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध
मध्यप्रदेश में आम नागरिकों को समय-सीमा में लोक सेवाएँ देने के लिए लागू अधिनियम में अब तक 2 करोड़ 95 लाख 34 हजार से अधिक आवेदक को इसका फायदा पहुँचाया गया है। समय-सीमा में सेवाएँ न देने वाले 253 अधिकारी-कर्मचारियों पर 13 लाख से ज्यादा का जुर्माना किया गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 में शुरू की गयी इस अभिनव जन-हितकारी पहल को देश के तकरीबन 20 राज्य ने अपनाया है।
लोक सेवाओं की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये लागू लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम में अभी तक 23 विभाग की लगभग 155 सेवा को दायरे में लाया जा चुका है। इनमें से लगभग 72 सेवा के ऑनलाइन आवेदन प्रदेश में संचालित 336 लोक सेवा केन्द्र के जरिये प्राप्त किये जा रहे हैं।
अपनी तरह के इस अनूठे कानून के जरिये प्रदेश में लगभग 486 आवेदक को प्रतिकर के रूप में 4.50 लाख रुपये से अधिक की राशि का भुगतान किया जा चुका है। इस व्यवस्था की नियमित मॉनीटरिंग भी की जा रही है।
नई कार्य-संस्कृति
उल्लेखनीय है कि आम-जनता के दैनंदिन के कार्यों को समय पर करने के प्रति लोक सेवक सतर्क रहें और सेवा प्रदान करने के लिये अपने दायित्व का प्रभावी निर्वहन कर सकें इसके लिये हरेक चिन्हित सेवा को प्रदान करने की समय-सीमा निर्धारित की गई है। मध्यप्रदेश संभवत: देश का ऐसा पहला राज्य है जिसने अधिसूचित सेवाओं को समय-सीमा में नागरिकों को मुहैया करवाने के लिये कानूनी गारंटी दी है। इस प्रकार इस कानून के जरिये मध्यप्रदेश में एक नई कार्य-संस्कृति विकसित हुई है। मध्यप्रदेश के बाद इस कानून को 20 अन्य राज्य यथा बिहार, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, झारखण्ड आदि ने भी अपनाया है।
लोक सेवा गारंटी अधिनियम में सेवाओं को प्रदान करने की निश्चित समय-सीमा तय की गई है। समय-सीमा में पदाभिहित अधिकारी को यह सेवा प्रदान करनी होती है। समय-सीमा में काम न करने या अनावश्यक विलंब करने वाले अधिकारी एवं कर्मचारी पर दण्ड का प्रावधान है। यह दण्ड 250 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक का है। दण्ड के रूप में मिलने वाली राशि आवेदक को क्षति-पूर्ति के रूप में दी जाती है।
इस कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये राज्य शासन ने लोक सेवा प्रबंधन विभाग के अंतर्गत ‘राज्य लोक सेवा अभिकरण’ का गठन किया है। प्रदेश में 336 में से 120 लोक सेवा केन्द्र के भवन बनकर तैयार हो चुके हैं। सभी लोक सेवा केन्द्रों को स्वॉन (स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क) कनेक्टिविटी उपलब्ध करवाई जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र संघ का अवार्ड
उल्लेखनीय है कि लोक सेवा गारंटी अधिनियम के सफल क्रियान्वयन के लिये लोक सेवा प्रबंधन विभाग को जून, 2012 में बेहतर प्रबंधन एवं बेहतर लोक सेवा के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ का पब्लिक सर्विस अवार्ड प्राप्त हो चुका है। लोक सेवा गारंटी अधिनियम को लागू करने के लिये प्रदेश को स्कॉच अवार्ड एवं स्टेट आई.टी. ई-गवर्नेंस अवार्ड भी मिल चुका है।
अधिनियम में अधिसूचित सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध करवाने के लिये प्रदेश में 12 हजार से अधिक अधिकारियों के डिजिटल सिग्नेचर बनवाए गए हैं। कई सेवाओं के ऑनलाइन डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। डिजिटल हस्ताक्षरित सर्टिफिकेट एक कॉमन रिपॉजिटरी वेबसाइट www.mpedistrict.mp.gov.inपर उपलब्ध हैं।
प्रदेश में गव्हर्नमेंट प्रोसेस री-इंजीनियरिंग के अंतर्गत शासकीय प्रक्रियाओं को सरल बनाने एवं पुनर्निर्धारण के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय साधिकार समिति द्वारा सेवा प्रदाय की प्रक्रिया को सरल बनाने के प्रस्ताव रखे गये थे।
इसके अनुसार स्व-घोषणा-पत्र के आधार पर स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र एवं आय प्रमाण-पत्र जारी करने की व्यवस्था शुरू की गई है। इसी प्रकार शपथ-पत्र के स्थान पर स्व-प्रमाणित घोषण-पत्र के आधार पर सेवाओं के प्रदाय की शुरुआत की गई है। इसके अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं।