- June 22, 2016
लोक अदालत : 51 वर्ष पुराना मामला निपटा
जयपुर, 21 जून। राजस्व लोक अदालत अभियान न्याय आपके द्वार उदयपुर जिले में सफलता के चलते निरन्तर ऎतिहासिक उपलब्धियों की ओर अग्रसर है। इन शिविरों में बरसों पुराने मामलों का हाथों हाथ निपटारा हो रहा है। दशकों के काम चन्द मिनटों में हल हो रहे हैं और ग्रामीणों को अपार हर्ष के साथ दिली सुकून का अहसास हो रहा है।
सच में ये शिविर ग्रामीणों के लिए अपने द्वार आया न्याय साबित हो रहे हैं। ग्राम्यांचलों में राजस्व मामलों के त्वरित समाधान से लेकर ग्राम्य समस्याओं के निराकरण तक के कामों के चलते ये शिविर लोक कल्याण की भगीरथी बहा रहे हैं। ग्राम्यांचलाें में जहां-जहां शिविरों का आयोजन हो रहा है वहाँ ग्रामीण शिविरों से लौटते समय सरकार को धन्यवाद देना नहीं भूलते।
ग्रामीणों का मानना है कि इन शिविरों ने पारिवारिक एवं ग्राम्य समस्याओं से मुक्ति दिलाकर सौहार्द्र की धाराओं का वेग बढ़ाया है। इसी श्रृंखला में न्याय आपके द्वार अभियान 2016 के तहत उदयपुर जिले की ऋषभदेव तहसील अन्तर्गत भूधर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर मंगलवार को आयोजित लोक अदालत आपसी विवादों को निपटाने की दृष्टि से ऎतिहासिक रही। इस लोक अदालत में दो पक्षकारों के मध्य सन 1965 से चल रहे जमीन संबंधित विवाद को दोनों पक्षों के राजीनामा से सुलझाया।
प्रकरण के संक्षिप्त तथ्यों के अनुसार ग्राम थापड़ावली पटवार मण्डल पादेडी में अवस्थित कृषि भूमि क्षेत्रफल 1.0700 हेक्टेयर भूमि पर मालिकाना हक व कब्जे का विवाद धुला, भेरा, सोमा पिता वागा मीणा निवासी भूधर तहसील ऋषभदेव तथा कल्लाराम पिता कानाजी मीणा निवासी भूधर तहसील ऋषभदेव के मध्य न्यायालय उपखंड अधिकारी सलूम्बर में मुकदमा नं. 3/1965 के रूप में दर्ज हुआ था। इस मामले में न्यायालय द्वारा 12 अप्रेल 1966 को निर्णय कर वादग्रस्त भूमि कल्लाराम पिता कानाजी मीणा के नाम राजस्व रेकार्ड में दर्ज करने के आदेश दिये। लेकिन न्यायालय के निर्णय के बावजूद दोनों पक्षों के मध्य विवाद मौके पर चलता रहा।
इसी विवाद के चलते दोनों पक्षों के मध्य मारपीट, हत्या आदि के फौजदारी प्रकरण भी दर्ज हुए जिसमें धुला पिता वागा मीणा को कई वर्ष जेल में भी बिताने पड़े तथा कल्लाराम भी कई वर्षों तक अपनी कृषि भूमि पर खेती नहीं कर सका। यह प्रकरण पिछले वर्ष भी न्याय आपके द्वार अभियान 2015 के तहत प्रस्तुत हुआ था, तब भी दोनों पक्षों के मध्य राजीनामा कराने के प्रयास किये गये थे, लेकिन सफलता नहीं मिल पायी।
इस वर्ष न्याय आपके द्वार शिविर के दो हफ्ते पहले ही उपखंड अधिकारी शैलेश सुराणा द्वारा संबंधित पटवारी को उक्त मामले में दोनों पक्षों के मध्य राजीनामा कराने हेतु नियुक्त किया। पटवारी गोपाल प्रजापत द्वारा दोनाें पक्षों के साथ लगातार बातचीत की गई, मौका निरीक्षण किया तथा अन्ततः दोनो पक्षों को विवाद को आपसी राजीनामे से निपटाने हेतु तैयार किया।
खूब समझाईश के बाद आखिरकार मंगलवार को लगे शिविर में दोनों पक्षों ने उपखंड अधिकारी के समक्ष अपने अदालती विवाद को इसी स्तर पर समाप्त कर देने में सहमति दी तथा वादग्रस्त भूमि आधे-आधे हिस्से में दोनो पक्षों के मध्य राजस्व रेकार्ड व मौके पर बांटने में सहमति हुई।
इस प्रकार 51 वर्ष पुराने एक गम्भीर विवाद का अंत हुआ। इस विवाद को निपटाने में पटवारी गोपाल प्रजापत की सराहनीय भूमिका रही। सभी पक्षों ने पांच दशक से भी अधिक पुराने इस मामले के शिविर में निस्तारण को उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि इस प्रकरण की वजह से उनके परिवारों में लम्बे समय से गहराया हुआ तनाव खत्म हो गया और अब शेष जिन्दगी आराम से कट पाएगी।
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