- May 24, 2016
लू- तापाघात के मौत से प्रशासन के कान खडे
जयपुर —————— प्रदेश में बढ़ती गर्मी के कारण लू-तापाघात के रोगियों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के लिए समस्त राजकीय चिकित्सा केन्द्रों में विशेष व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिये गये हैं। दवाइयों की समुचित व्यवस्था के साथ ही मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध चिकित्सालयों में 10-10 बेड्स एवं अन्य चिकित्सा संस्थानों में 4-4 बेड्स लू और तापाघात के रोगियों के लिए आरक्षित रखने के निर्देश दिये गये हैं।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ की अध्यक्षता में सोमवार को अपरांह् स्वास्थ्य भवन में आयोजित मौसमी बीमारियों की समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी गयी। बैठक में प्रदेश के सभी हिस्सों में लू-तापाघात की स्थिति की विस्तार से समीक्षा की गयी एवं सभी जिलों में मौसमी बीमारियों के लिए स्थािपत किये गये नियंत्रण कक्षों को अनवरत् 24 घंटे चालू रखने एवं किसी भी प्रकार की बीमारी फैलने की जानकारी प्राप्त होते ही तत्काल रैपिड रेसपोंस टीमें भिजवाने के निर्देश दिये गये।
श्री राठौड़ ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों तथा प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों की नियमित रूप से समीक्षा कर स्थिति का जायजा लेने एवं राजकीय चिकित्सा संस्थानों में उपचार की सभी व्यवस्थायें सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। उन्होंने पेयजल के नियमित रूप से नमूने लेकर गुणवत्ता जांच कराने की भी आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्होंने ग्रामस्तर पर गठित 44 हजार से अधिक ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समितियों को सक्रिय कर लू-तापाघात की परिस्थितियों से बचाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ आवश्यक इंतजाम करवाने के निर्देश दिये।
चिकित्सा मंत्री ने मलेरिया, डेंगू, स्वाईन फ्लू, चिकनगुनिया, स्क्रब टाईफस आदि की स्थिति की भी विस्तार से समीक्षा की एवं इन बीमारियों के सम्बन्ध में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिये। बैठक में बताया गया कि इन सभी बीमारियों की स्थिति पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। इस वर्ष मलेरिया के 729 पीवी व 40 पीएफ केस सामने आये हैं।
डेगूं के 68, स्वाईन फ्लू के 41 एवं स्क्रब टाईफस के 48 केस पॉजीटिव पाये गये हैं। स्वास्थ्य विभाग में मच्छरों के रोकथाम हेतु पर्याप्त मात्रा में डीडीटी कीटनाशक, पायरेथ्रम कीटनाशक सहित पर्याप्त जांच के किट एवं क्लोरोक्वीन सहित सभी आवश्यक दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
इस वर्ष अब तक लू-तापाघात के 324 मामले सामने आये हैं, इनमें से चित्तौड़ के 80, धौलपुर के 69, नागौर के 42, टोंक के 26, बूंदी के 34, भीलवाड़ा के 25, बांसवाड़ा के 10 एवं चूरू के 7 मामले शामिल हैं।
अब तक जोधपुर में 7 एवं जालौर में 1 व्यक्ति की लू-तापाघात से मृत्यु की सूचना है। निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ.बी.आर.मीणा ने बताया कि लू व तापाघात के लक्षणों में सिर का भारीपन व सिरदर्द, अधिक प्यास लगना, थकावट, जी मचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान अत्यधिक (105 एफ या अधिक) हो जाना, पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना, त्वचा का सूखा होना, अत्यधिक प्यास लगना एवं बेहोशी जैसी स्थिति का होना शामिल हैं।
तेज धूप में निकलना आवश्यक हो तो ताजा भोजन करके उचित मात्रा में ठंडे जल का सेवन करके ही बाहर निकलना चाहिए। थोड़े-थोड़े अंतराल के पश्चात ठंडे पानी, शीतल पेय, छाछ, ताजा फलों का रस का सेवन करने, तेज धूप में छाते का उपयोग अथवा कपड़े से सिर व बदन को ढ़ककर रखने एवं श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया एवं पानी का पूर्ण प्रबन्ध रखना आवश्यक है।
लू-तापाघात से प्रभावित रोगी को तुरन्त छायादार ठंडे स्थान पर लिटाया जाये एवं रोगी की त्वचा को गीले कपड़े से करने के साथ ही रोगी के कपड़ों को ढीला कर दिया जायेे। रोगी को ठंडे पेय पदार्थ दिया जाये एवं रोगी को तत्काल नजदीक के चिकित्सा संस्थान में उपचार हेतु ले जाया जाये।
बैठक में प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा श्री मुकेश शर्मा, विशिष्ट शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ.पृथ्वी, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.यू.एस.अग्रवाल, निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ.बी.आर.मीणा एवं अतिरिक्त निदेशक डॉ.सुनील सिंह सहित संबंधित अधिकारीगण मौजूद थे।