- December 11, 2014
लीमा में उच्च स्तर की मंत्री स्तरीय बैठक :- श्री प्रकाश जावडेकर
600 अमरीकी डॉलर से 1500 अमरीकी डॉलर की जरूरत है।
सच्चाई यह है कि आर्थिक प्रबन्ध के बारे में हमारी उच्च स्तरीय बातचीत इस सीओपी- संयोजन, शमन, प्रौद्योगिकी, चरम घटनाओं के लिए हानि और नुकसान और क्षमता निर्माण के सभी अन्य मोर्चों पर फैसलों के बारे में आगे बढ़ने में पूंजी के महत्व की ओर इशारा करती है। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि सम्बद्ध पक्षों ने अगले कुछ वर्षों में जलवायु कोष के लिए प्रारंभिक संसाधनों में दस अरब अमरीकी डॉलर देने की प्रतिज्ञा की है।
मैं आपका ध्यान इस तथ्य की ओर दिलाना चाहता हूं कि सार्वजनिक वित्तीय संसाधनों का आकार बड़ा करने की जरूरत है। विकासशील देशों को शमन और संयोजन के लिए एक वर्ष में 600 अमरीकी डॉलर से 1500 अमरीकी डॉलर की जरूरत है।
अध्यक्ष महोदय आर्थिक प्रबन्ध महत्वाकांक्षा और कार्य की प्रमुख जरूरत है। यदि विकासशील देशों के पास 2020 तक वार्षिक तौर पर 100 अरब डॉलर नए और अतिरिक्त वित्तीय संसाधन प्रदान करने के लिए सार्वजनिक संसाधनों के प्रावधान के बारे में स्पष्ट रोड मैप नहीं होगा तो एक सुरक्षित विश्व के लिए इसके नतीजे गुणवत्तापूर्ण नहीं होंगे।
संयोजन कोष उत्कृष्ट कार्य कर रहा है लेकिन इसके पास धन की कमी है। जीसीएफ के पास एक संभावना संयोजन कोष को धन देना है। यह फैसला कठिन हो सकता है और मैं संयोजन का कार्यान्वयन शुरू करने को लीमा का परिणाम बनाने की सिफारिश करता हूं। हमें ऐसे कदम उठाने और सफलताओं की जरूरत है।
लेकिन जीसीएफ को जिस तरह से धनराशि मिल रही है वह अपने सीमित आकार से हर काम नहीं कर सकता इसलिए हमें 2020 तक वार्षिक 100 अरब अमरीकी डॉलर के लक्ष्य की तरफ तेजी से आगे बढ़ना चाहिए।
भारत में हमने हाल में स्वच्छ वायु, जल, नदियों, ऊर्जा और निवास के लिए अपने कार्यों में तेजी लाने की घोषणा की है। विकसित देशों के निवेशक इन व्यावसायिक अवसरों का लाभ उठाने के लिए खड़े हुए हैं। यह वैश्विक सार्वजनिक जलवायु पूंजी को 2020 तक 100 अरब अमरीकी डॉलर करने के संसाधनों से परे होगा जिसे मैंने वैश्विक प्रयासों के लिए न्यूनतम बताया है।
विकासशील देशों को अपने वित्तीय बाजारों, अपने दीर्घकालिक पेंशन कोषों और बांड बाजारों को सामूहिक रूप से पकड़ने, लागत और जोखिम कर करने और अन्य विकासशील देशों की तरह हमारे राष्ट्रीय प्रयासों में शामिल होने के लिए अधिक रचनात्मक तरीके से सोचना चाहिए।