- January 11, 2019
रेणुकाजी बहुउद्देषीय बांध परियोजना समझौते पर हस्ताक्षर
लखनऊ :—-उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अषोक गहलोत, हिमाचल प्रदेष के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल ने रेणुकाजी बहुउद्देषीय बांध परियोजना के कार्यान्वयन हेतु नई दिल्ली में समझौते पर हस्ताक्षर किये।
यह समझौता केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गड़करी, केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री श्री सत्यपाल सिंह एवं केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्यमंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल की उपस्थिति में हस्ताक्षरित किया गया।
इसके अतिरिक्त, हाइब्रिड वार्षिकी मोड और वन सिटी वन आॅपरेटर काॅन्सेप्ट के तहत प्रयागराज शहर हेतु नमामि गंगे परियोजना के लिए भी समझौते पर हस्ताक्षर किये गये। यह समझौता उत्तरप्रदेष जलनिगम,एन0एम0सी0जी0 और प्रयागराज वाॅटर प्रा0 लिमिटेड के मध्य हस्ताक्षरित किया गया।
रेणुकाजी बांध परियोजना हिमांचल प्रदेष के सिरमौर जिले में यमुना नदी की सहायक नदी गिरी नदी पर क्रियान्वित की जाएगी। परियोजना के अंतर्गत गिरी नदी पर 148 मी0 राॅकफिल्ड बांध का निर्माण किया जायेगा, जिसमें 498 मिलियन क्यूबिक मीटर जल संग्रहण की क्षमता होगी।
परियोजना से पीक फ्लो के दौरान 40 मेगावाट बिजली भी पैदा होगी। परियोजना का निष्पादन हिमाचल प्रदेष पावर काॅरपोरेषन लि0 द्वारा किया जाना प्रस्तावित है। रेणुकाजी एम0पी0पी0 का लाइव भण्डारण 0.404 एमएएफ है और हिमाचल प्रदेष में कुल डूब क्षेत्र लगभग 150 हेक्टेयर है।
इस बांध के निर्माण के पश्चात् गिरी नदी का प्रवाह लगभग 110 प्रतिशत बढ़ जायेगा, जो उत्तर प्रदेष सहित अन्य बेसिन राज्यों की पेयजल जरूरतों को कुछ हद तक पूरा कर सकेगा।
रेणुकाजी बांध के संग्रहीत पानी का उपयोग उत्तर प्रदेष, हरियाणा व दिल्ली द्वारा हथनीकुंड बैराज से, उत्तर प्रदेष, हरियाणा व राजस्थान द्वारा ओखला बैराज से तथा दिल्ली द्वारा वजीराबाद बैराज से किया जायेगा।
रेणुकाजी बांध प्रोजेक्ट का कार्य वर्ष 1976 मंे प्रारम्भ किया गया था,
किन्तु कतिपय अपरिहार्य कारणों से निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। वर्ष
2015 के मूल्य के अनुसार प्रोजेक्ट की लागत 4596.76 करोड़ रुपये थी, जिसमें से सिंचाई व पेयजल कम्पोनेन्ट 4325.43 करोड़ रुपये तथा बिजली कम्पोनेन्ट 277.33 करोड़ रुपये सम्मिलित है। सिंचाई व पेयजल कम्पोनेन्ट प्रोजेक्ट का 90 प्रतिशत अथवा 3892.83 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार द्वारा प्रदान किया जायेगा।
शेष 10 प्रतिशत काॅस्ट अर्थात 432.54 करोड़ रुपये बेसिन राज्यों-उत्तर प्रदेष, उत्तराखण्ड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेष, राजस्थान व दिल्ली द्वारा वहन किया जायेगा, जैसा कि 12 मई, 1994 को ओखला बैराज तक यमुना जल के सतही जल के आवंटन के संबंध मंे बेसिन राज्यांे के मध्य एमओयू हस्ताक्षरित है।
उक्त समझौते में उत्तर प्रदेष व उत्तराखण्ड को 33.65 प्रतिशत, हरियाणा को 47.82 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश को 3.15 प्रतिशत, राजस्थान को 9.34 प्रतिशत और दिल्ली को 6.04 प्रतिशत हिस्सा आवंटित है। इस प्रोजेक्ट की पावर कम्पोन्ट की लागत की 90 प्रतिशत धनराषि दिल्ली सरकार प्रदान करेगी।
उक्त प्रोजेक्ट के अन्वेषण एवं भूमि अधिग्रहण हेतु अब तक केन्द्र सरकार द्वारा 446.96 करोड़ रुपये, दिल्ली सरकार द्वारा 214.84 करोड़
रुपये तथा हरियाणा सरकार द्वारा 25 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। रेणुकाजी बांध परियोजना के संबंध में सभी अनिवार्य स्वीकृतियां, स्टेज-2 की एक स्वीकृति को छोड़कर, प्राप्त की जा चुकी हैं।
नमामि गंगे परियोजा के अन्तर्गत प्रयागराज में ट्रान्स गंगा व यमुना
क्षेत्र में सीवेज प्रबन्धन के लिए 02 परियोेजनाओं और वर्तमान सीवरेज परिसंपत्तियों के आपरेषन व रख-रखाव के लिए 908.16 करोड़ रुपये मंजूर किये गये है।
इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के फलस्वरूप आई0 एण्ड डी0 नेटवर्क और 72 एम0एल0डी0 कुल क्षमता के 03 एस0टी0पी0 बनकर तैयार होंगे। नैनी मंे 42 एम0एल0डी0, फाफामऊ में 14 एम0एल0डी0 तथा झूंसी मंे 16 एम0एल0डी0 के एसटीपी तैयार होंगे। सभी सीवरेज परिसम्पत्तियों के आॅपरेषन व रखरखाव का कार्य 15 वर्ष के लिए होगा।
यह दोनों परियोजनायें प्रयागराज शहर के सीवरेज प्रबंधनके लिए टिकाऊ व जवाबदेह तरीके से हाइब्रिड वार्षिकी आधारित पी.पी.पी.मोड पर तथा कार्यान्वयन के लिए वन सिटी-वन आॅपरेटर अवधारणा पर आधारित हैं। इन परियोजनाओं के पूर्ण हो जाने पर 72 एम0एल0डी0 क्षमता के तीन नये एस0टी0पी0 का निर्माण, 80 एम0एल0डी0 का सुदृढीकरण, 254 एम0एल0डी0 क मौजूदा क्षमता के एस0टी0पी0 का बेहतर संचालन व रखरखाव तथा 10 नये पम्पिंग स्टेषन का निर्माण होगा।
इस अवसर पर केन्द्रीय जल संसाधन व नदी विकास और गंगा संरक्षण सचिव श्री उपेन्द्र प्रताप सिंह सहित केन्द्र व राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।