- December 10, 2014
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन : पुरूष नसबंदी पर विशेष बल
जयपुर – केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक श्री सी.के मिश्रा ने मंगलावार को स्वास्थ्य भवन में प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत संचालित विभिन्न योजनाओं की विस्तार से समीक्षा की एवं इनके क्रियान्वयन की सराहना की। उन्होंने घटते लिंगानुपात एवं परिवार कल्याण गतिविधियों को बढ़ाने के साथ ही पुरूष नसबंदी पर विशेष बल देने की आवश्यकता प्रतिपादित की।
श्री मिश्रा ने प्रदेश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के साथ ही समग्र स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्तापूर्ण सुधार के लिये किये जा रहे कार्यो की विस्तार से समीक्षा की एवं इन पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने मातृ मृत्युदर एवं शिशु मृत्युदर को कम करने के उद्देश्य से संचालित योजनाओं को विशेष प्राथमिकता देने पर बल दिया। उन्होंने कहा स्वास्थ्य केन्द्रों में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
केन्द्रीय अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव ने प्रदेश में संचालित अभिनव स्वास्थ्य योजनाओं एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के बारे मेें विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने कहा कि चिकित्सा संस्थानों में प्रसव सेवाओं को अधिक व्यवस्थित व कारगर बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराने के लिए आधारभूत ढं़ाचे को सुदृढ़ करने के साथ ही बेहतर मानव प्रबंधन भी आवश्यक है। उन्होंने जिला अस्पतालों के सुदृढ़ीकरण की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए कहा कि जिला अस्पतालों में आवश्यक चिकित्सा सेवायें सुलभ कराने से जिले के लोगों को ईलाज के लिए बाहर जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
विशिष्ट शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य व मिशन निदेशक एनएचएम श्री नवीन जैन ने प्रदेश में संचालित स्वास्थ्य योजनाओं एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि नवीनतम आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में मातृ मृत्युदर एवं शिशु मृत्युदर में निरन्तर कमी आ रही है। एसआरएस 2010-12 के अनुसार मातृ मृत्युदर 255 एवं एसआरएस 2013 के अनुसार शिशु मृत्युदर 47 रह गयी है। उन्होंने बताया कि टीकाकरण एवं संस्थागत प्रसव में भी आशातीत वृद्घि हो रही है।
श्री जैन ने प्रदेश में हाल ही में प्रारम्भ की गयी नयी स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी देते हुये आशा सॉफ्ट, ई-शुभलक्ष्मी, पेन्टावेलेन्टी वैक्सीन, मातृ मृत्यु की सामाजिक अंकेक्षण, दुर्गम क्षेत्र प्रोत्साहन योजना, कार्य आधारित प्रोत्साहन योजना, जननी एक्सप्रेस का जीपीएस ट्रेकिंग आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है एवं यहां 60 प्रतिशत क्षेत्र रेगिस्थानी एवं गर्म जलवायु का क्षेत्र है। इन क्षेत्रों में गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवायें सुलभ कराने में अधिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है। जैसलमेर जैसे जिलों में एक उपकेन्द्र 300 वर्ग किलोमीटर तक के क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवायें प्रदान कर रहा है। इसे देखते हुये राजस्थान को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत अधिक राशि उपलब्ध कराये जाने की आवश्यकता है।
अतिरिक्त मिशन निदेशक एनएचएम श्री नीरज के पवन ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र के समक्ष मौजूद चुनौतियों को चिन्हित कर इनका समाधान करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। इन चुनौतियों में शिशु मृत्युदर को कम करना, मातृ मृत्युदर को कम करना, जनसंख्या स्थिरीकरण, लिंगानुपात, टीकाकरण, दवा आपूर्ति प्रबंधन एवं मानव संसाधन प्रबंधन शामिल है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में प्रदेश में बालिकाओं की औसत विवाह की आयु मात्र 17 वर्ष है एवं 46 प्रतिशत महिलायें 20-24 वर्ष की आयु में दो या अधिक बच्चों की मॉ बन चुकी होती है। इसके अतिरिक्त प्रिगनेन्सी एण्ड चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम, कलेवा योजना, स्किल बर्थ अटेन्डेंट आदि के साथ ही आयुष चिकित्सकों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था कर मातृ मृत्युदर को कम करने के प्रयास किये जा रहे हंै।
बैठक में निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. बी.आर.मीणा, निदेशक आरसीएच डॉ. हरिओम नारायण शर्मा सहित संबंधित अधिकारीगण मौजूद थे।
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