राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बिल को कानून में तब्दील करना सर्वोच्च प्राथमिकता: कानून मंत्री

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बिल को कानून में तब्दील करना सर्वोच्च प्राथमिकता: कानून मंत्री
नई दिल्ली  – केन्द्रीय विधि व न्याय मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा आज पत्रकारों से रूबरू हुए। इस दौरान विधि विभाग के सचिव, विधायी विभाग और न्याय विभाग के सचिव उपस्थित थे। इस दौरान विधि और न्याय मंत्री ने बजट सत्र के दौरान मंत्रालय द्वारा लाए जाने वाले विभिन्न मुख्य बिन्दुओं पर चर्चा की।

मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बिल संसद में पारित हो चुका है। कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों द्वारा इसका जरूरी था चार राज्यों ने हाल ही में अनुमोदित किया है और आशा है कि गुजरात भी जल्द ही अनुमोदित कर देगा। श्री गोड़ा ने कहा कि उन्होंने कई मुख्यमंत्रियों और राज्यों के सचिवों से बातचीत कर इस बिल को जल्द से जल्द अनुमोदित करने को कहा है।

प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय मुकदमेबाजी नीति बनाना, मोटर वाहन अधिनियम और नेगोशिएबल लिटिगेशन एक्ट और समझौता अधिनियम में संशोधन करना इनमें शामिल है। राष्ट्रीय मुकदमेबाजी नीति के तहत सरकारी विभागों, सरकारी निकायों से अनावश्यक मुकदमेबाजी को खत्म करना प्रमुख कार्य है। उन्होंने कहा कि लंबित पड़े मामलों का निपटारा भी उनकी प्राथमिकता में शामिल है। एक वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र की स्थापना करके इस मामले में तेजी लाई जाएगी। उच्च न्यायालय से आग्रह किया गया है कि वे न्यायिक अधिकारियों को इस बात के लिए प्रेरित करें कि प्रशासनिक क्षेत्र अपने विवादों का निपटारा मध्यस्थता के द्वारा निपटाएं। उन्होंने आगे कहा कि 13वां वित्त आयोग मध्यस्थता केन्द्रों के निर्माण के लिए धन देगा और सरकार इसमें पूरा सहयोग करेगी।

मंत्री ने कहा कि मंत्रालय विधि आयोग से रिपोर्ट मिलने के बाद न्यायालयों में व्यवसायिक खंड बनाने के लिए तैयार है। हाई कोर्ट में जजों की संख्या 906 से बढ़ाकर 1112 करने की योजना सरकार की प्राथमिकता में है। इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने अपनी स्वीकृति दे दी है।

पूर्वोत्तर राज्यों के लिए अलग हाई कोर्ट की मांग के सवाल पर मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा के लिए अलग हाई कोर्ट की स्थापना हो चुकी है और अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के लिए फैसले लिए जा रहे है। पहले चरण में ई-न्यायालयों 935 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो चुके है और दूसरे चरण में ई-न्यायालयों के निर्माण पर 2765 करोड़ रुपए खर्च किए जाने की योजना बनाई गई है।

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