- December 6, 2016
राम के देश में विभिषण की खोज —
अयोध्या से लेकर लंका तक विभिषण नाम से बैर क्यों !
नई दिल्ली। रावण ने श्री राम से मृत्यु के पहले एक सच कहा- प्रभु! आपसे मैं ज्यादा ताकतवर था उसके बाद भी मैं आपसे क्यूं हारा !
सिर्फ इसलिए कि इस युद्ध में जहां एक ओर मेरा भाई (विभिषण) मेरे साथ नहीं था वही दुसरी ओर आपका भाई (लक्ष्मण) आपके साथ था जिसने मेरी सबसे बड़ी कमजोर और सबसी बड़ी ताकत के बारे में आपको एक – एक बात बता दी लेकिन मैं आपकी कमजोर कड़ी और सबसे बड़ी ताकत को जान नहीं सका। मेरा भाई घर का भेदी और कुल द्रोही था जबकि आपका भाई आपकी परछाई।
त्रेतायुग सें राम का साथ देने के कारण विभिषण लंका का राजा बनने तथा राजा राम को भरत से भी अधिक प्रिय होने के बाद भी आज तक अपने ऊपर लगे दागो को धो नहीं सका। आज भी विभिषण लंका से लेकर अयोध्या तक कुलद्रोही – घर का भेदी के रूप में ही पहचाने जाने लगा है। उसे एक राजा या मित्र के रूप में न तो लंका में सम्मान मिला न राम के देश भारत में जहां पर आज भी रोम – रोम में राम बसते है।
स्थिति तो विकट यह है कि लोग अपने बच्चो का नाम विभिषण रखने से भी डरने लगे है और यही कारण है कि सवा अरब के देश हिन्दुस्तान में विभिषण नाम के लोगो की आज तक पहचान नही हो सकी है। राजा राम / मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम / भगवान श्री राम / विभिषण के मित्र राजा राम के देश (भारतभूमि आर्यावत) में आज इस घोर कलयुग में जयचंद / रावण / मेघनाथ / कुंभकरण / कंस / शकुनी/ जरासंघ/ दुर्योधन / दु:शासन / धृतराष्ट्र / बाली / सुग्रीव नाम के लोग मिल जाएगे लेकिन सम्राट अशोक के देश में विभिषण नाम का व्यक्ति अपने आप में एक रहस्य है।
मध्यप्रदेश सरकार कुछ साल पहले रामपथ को खोजने का एक प्रोजेक्ट लेकर सामने आई थी। इस बार केन्द्र सरकार राम के नाम पर राम सर्किल (अयोध्या से लेकर लंका तक ) बनाने जा रही है। इसमें वह स्थान भी है जहां पर विभिषण राम के समक्ष रामेश्वरम में शरणागत हुए थे।
राम के देश में विभिषण की खोज के लिए अखण्ड भारत के केन्द्र बिन्दू बैतूल जिले के एक आरटीआई एक्टीविस्ट रामकिशोर पंवार ने बकायदा आरटीआई का सहारा लिया है। श्री पंवार ने सरकारी दस्तावेजो में विभिषण एक खोज शुरू की है।
इस खोज के प्रथम चरण में पत्रकार एवं आरटीआई एक्टीविस्ट रामकिशोर पंवार ने दिनांक 5 सितम्बर 2016 को पंजीकृत डाक से भारत निर्वाचन आयोग एवं भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (आधार कार्ड) को सूचना का अधिकार कानून के तहत आवेदन पत्र प्रस्तुत करके भारत के विभिन्न राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशो में विभिषण नाम के व्यक्तियोंके नाम एवं पहचान की जानकारी मांगी है।
श्री पंवार के उक्त पत्र पर भारत निर्वाचन आयोग ने संज्ञान लेते हुए 13 / 1० / २०१६ को जन सूचना अधिकारी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्धितीय तल टावर वन जीवन भारतीय बिल्डींग कनाट पैलेस नई दिल्ली को पत्र लिख कर सीधे उक्त जानकारी आवेदक को देने के लिए आवेदन पत्र को धारा 6 / 3 के तहत अंतरीत कर दिया है।
दोनो विभाग एक दूसरे को पत्र अंतरीत करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि उन्होने अब आवेदक को सीधे सलाह दे डाली कि वे प्रथक – प्रथक राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशो के लोक सूचना अधिकारियों के समक्ष आवेदन लगाए।
यदि ऐसा हुआ तो राज्य सरकार जिला सरकार को तथा जिला ग्राम इकाई को और ग्राम इकाई वार्ड इकाई को आवेदन लगा कर जानकारी मांगने की सलाह देगा। श्री पंवार ने इस मामले में द्धितीय अपील प्रस्तुत करने का इरादा किया है क्योकि इंडेक्स वार जानकारी ग्राम इकाई से केन्द्र तक पहुंचती है और केन्द्र के पास पूरी जानकारी इंडेक्सवार मौजूद रहती है। उसे चाही गई जानकारी के लिए सिर्फ सर्च करके जानकारी प्राप्त करना है।
इधर बैतूल पहुंचे मशहूर भजन गायक लखवीर सिंह लख्खा ने कहा कि विभिषण घर का भेदी था इसलिए कोई भी माता – पिता अपने बच्चो का नाम विभिषण नही रखेगे। बरहाल कागजो में विभिषण की खोज में जूटे रामकिशोर पंवार अपनी चाही गई जानकारी को पाने के लिए तटस्थ है।
अपने देश में यह एक विचित्र प्रकार का मामला है जिसमें राम के बदले विभिषण की खोज की जा रही है और सहारा लिया जा रहा है आरटीआई का ताकि राष्ट्रीय मतदाता सूचि एवं आधार कार्ड सूचि में विभिषण के नाम की खोज के लिए निर्वाचन आयोग के साथ – साथ यूआईडी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (आधार कार्ड) के माध्यम से देश में ऐसे व्यक्तियों की पहचान हो जो कि नाम के विभिषण हो ताकि उन विभिषणो से जान सके कि वे लंका के विभिषण की तरह तो नही है। सोचने लायक बात तो यह है कि भाई कितना भी प्रिय हो लेकिन विभिषण जैसा नहीं चाहिए।
रामकिशोर पंवार
आरटीआई एक्टीविस्ट