• January 18, 2015

रात ठिठुरती काटती वो , आसमां की चादर ओढ़े -जग मोहन ठाकन (राजस्थान)

रात ठिठुरती काटती वो , आसमां की चादर ओढ़े -जग मोहन ठाकन (राजस्थान)

चुरू – ऊपर आसमां ,नीचे धरती . देश के सर्वाधिक ठण्ड वाला मैदानी क्षेत्र जिला चुरू का उपखंड मुख्यालय राजगढ़ का गुलपुरा मोड़ . दिसम्बर , जनवरी का शुन्य से चार डिग्री के मध्य उतरता चढ़ता पारा . कोहरे का हाथ को हाथ न दिखाई देने वाला आवरण .शरीर को चीर देने वाली शीत लहर .सर्दी की 1मार को न झेल सकने के कारण मुरझा चुके आक के पौधे . ऐसे में खुले आसमां के नीचे जान लेवा सर्दी को चुनौती देती एक बूढी जान .पिछले दस  से अधिक वर्षों से इन्हीं विपरीत परिस्थितियों में अपनी जीवन डोर को बिना किसी लक्ष्य के आगे बढाती ” मौसी “, गुलपुरा मोड़ पर आने वाले हर शख्स को उद्वेलित तो करती ही है . गुलपुरा मोड़ पर ढाबा संचालक बहलवाला बतातें हैं कि लगभग दस वर्ष पूर्व गोगा जी के ददरेरा मेले  में यूपी –बिहार से  आनें वाले जत्थे से बिछुड़ी मानसिक रूप से विक्षिप्त यह औरत , जिसे अब यहाँ के लोग मौसी कहते हैं , गुलपुरा मोड़ पर ही खुले आसमान के नीचे अपना जीवन गुजार रही है . इसे अपनी  दैहिक आवश्कताओं की कोई सुधि नहीं है .खाना आसपास के ढाबे वाले दे देते हैं . ढाबों पर चाय पीने  वाले बाहर के लोग इसकी व्यथा सुनकर कुछ न कुछ दे ही जाते हैं .परन्तु यह औरत आगंतुकों द्वारा दी जाने वाली भोजन सामग्री जमा नहीं करती , अपितु आसपास विचरने वाले कुत्तों व गायों को डाल देती है .हाँ दिलबाग की पुडिया को बड़े चाव से खाती है . सर्दी  में आसपास के लोग कम्बल चद्दर वगैरह इसको दे जाते हैं .

       क्या सरकार के किसी अधिकारी ने इसकी तरफ कभी कोई ध्यान नहीं दिया ?

इस प्रश्न पर ढाबे पर चाय पी रहे एक बुजुर्ग ने प्रतिप्रश्न किया – कहाँ है सरकार ? ऐसी बदहाली झेल रही यह कोई अकेली थोड़े ही है . हर रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड के आसपास अनेको मिल जायेंगे .

   प्रश्न उद्वेलित करता है , क्या रामराज्य का दावा करने वाली सरकार राम के लिए ही आश्रयस्थल बनाने की धुन अलापती रहेगी या कभी राम को बेर खिलाने वाली भीलनी की दुर्दशा पर भी  दृष्टि डालेगी ?

Related post

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…
पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…

Leave a Reply