- November 9, 2015
राज्य सरकार की गाय व ऊँट के संरक्षण व कल्याण के लिए काम करने की मंशा – गोपालन राज्य मंत्री
जयपुर – गोपालन राज्य मंत्री ओटाराम देवासी ने कहा कि राज्य सरकार गाय व ऊँट के संरक्षण व कल्याण के लिए काम करने की मंशा रखती है।
गोापलन राज्य मंत्री रविवार को पाली जिले के राजपुरा में मारवाड़ केमल कल्चरल फेस्टिवल के समापन समहारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने उन्होंने कहा कि यदि पशुओं को आय का साधन बनाया जाए तो उनके संरक्षण में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि इस ओर हमें प्रयास करने होंगे और पशुओं को आय का साधन बनना होगा। उन्होंने कहा कि गाय और ऊँट दोनों ही महत्वपूर्ण पशु हैं । उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इनके संरक्षण के लिए कार्य कर रही है।
गोपालन राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार ऊँट की चराई क्षेत्र व विकास के कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि ऊँट की तस्करी को रोकने के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि रेबारी समाज में परम्परा है कि दूल्हा तोरण पर ऊँट पर बैठ कर आता है।
ऊँट के दूध को भी फूड एक्ट में लेने ओर इसके मिगंणा से कागज बनाने एवं उसकी ऊन से कई उत्पाद तैयार कराने के कार्य हो रहे है । जब तक ऊँट से आय के साधन नहीं बनेंगे तब तक समस्या का समाधान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि ऊँट के दूध के अनुसंधान से कई बीमारियों के ईलाज करने में भी सहायता मिलेगी। राज्य सरकार इस दिशा में प्राथमिकता से कार्य कर रही है और ऊँट व गाय के लिए दिसम्बर के बाद बीमा योजना भी शुरू करने के प्रयास किये जायेंगे।
फेस्टिवल में उपस्थित पूर्व नरेश श्री गजसिंह ने कहा कि मारवाड़ की संस्कृति में ऊँटों का विशेष महत्व है। इस पशु के संरक्षण की दिशा में ठोस प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कहा कि मारवड़ की संस्कृति में ऊँट विशेष पहचान रखता है। ऊँट निगरानी के समय बीएसएफ व सेना में काम लिया जा रहा है परेड में भी कहीं जगह ऊँटों का प्रयोग होता है और केमल बैंड का भी अपना महत्व है।
उन्होंने कहा कि पर्यटन के क्षेत्र में भी राजस्थान में ऊँटों ने करतबों से पर्यटकों को आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि बीकानेर व जोधपुर में ऊँट के दूध व अन्य उत्पादों पर शोध कार्य चल रहा है। ऊँट के दूध की महत्ता से लोगों को जागरूक करना है साथ ही आईस्क्रीम व पनीर भी ऊँट के दूध से बनाने की पहल हो रही है। डेयरी व फूड एक्ट में भी ऊँट के दूध की उपयोगिता के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जानकारी देनी होगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान में ऊँटों के संरक्षण व संवर्धन के लिए अलग से विभाग की आवश्यकता है।
इस अवसर पर लोकहित पशुपालन संस्था के निदेशक हंवतसिंह ने कहा कि ऊँट का दुध विशेष गुणों से युक्त है ऊँट की ऊन से भी कई उत्पाद बनाये जाते है। मारवाड़ की संस्कृति में ऊँट का विशेष महत्व है परन्तु वर्तमान समय में ऊँटों की संख्या कम होती जा रही है। ऊँटों के संरक्षण व कल्याण के लिए संस्था ने यह तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें 32 जिलों के लगभग 400 व्यक्तियों ने हिस्सा लिया है।
समारोह में अतिथियों ने ऊँट से संबंधित उत्पादों का निरीक्षण किया। ऊँट की ऊन की रिफाईनिंग मशीन की कार्यप्रणाली को समझा, प्रदर्शनी का अवलोकन किया जिसमें ऊँटों की किस्म उनमें पाई जाने वाली बीमारियां उनके ईलाज के तरीके व अन्य जानकारी बारिकी से हासिल की।
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