- September 22, 2015
राज्य सड़कों के तीव्र विकास की राह पर -सानिवि मंत्री
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जयपुर -सार्वजनिक निर्माण मंत्री श्री यूनुस खान ने कहा है कि राज्य में पीपीपी के जरिए 20 हजार किलोमीटर स्टेट हाईवे के विकास के मामले में राज्य तेजी से आगे बढ़ रहा है और अभी तक इस दिशा में किए गए प्रारम्भिक प्रयासों के परिणाम इसी सप्ताह से मिलने शुरू हो जाएंगे। एन्यूटी आधार पर एशियन डवलपमेंट बैंक से कोटा, जयपुर, भरतपुर एवं अजमेर डिविजन में 1072 किलोमीटर लम्बाई में 1899 करोड़ की लागत से बनने वाली 15 सड़कों के ऋण प्रस्ताव को सैद्घान्तिक स्वीकृति इसी सप्ताह मिलने की उम्मीद है। इसी प्रकार विश्व बैंक से भी बीकानेर, उदयपुर एवं जोधपुर डिविजन की सड़कों के लिए 3 हजार करोड़ रुपए की सैद्घान्तिक सहमति 23 सितम्बर को विश्व बैंक मिशन के मुख्यमंत्री से बैठक के बाद मिलने की उम्मीद है।
सानिवि मंत्री ने सोमवार को निर्माण भवन में पीपीपी डिविजन की समीक्षा बैठक के बाद जानकारी देते हुए यह बात कही। उन्होंने बताया कि राज्य में 20 हजार किलोमीटर राजमार्ग एवं मुख्य जिला सड़को का विकास किए जाने के लिए प्रथम चरण में 8910 किमी लम्बाई की सड़कों का चयन कर साध्यता अध्ययन कराया गया। इस में वायबल आई सड़कों के तीन संशोधित प्रस्ताव दिल्ली भेज दिए गए हैं। जो सड़कें साध्यता अध्ययन में वायबल नहीं आई हैं उनका निर्माण एशियन डवलपमेंट बैंक, विश्व बैंक एवं जायका से ऋण प्राप्त कर एन्यूटी आधार पर कराया जाएगा।
एशियन डवलपमेंट बैंक पहले ही 3 हजार करोड़ के ऋण की सैद्घान्तिक सहमति दे चुका है और वल्र्ड बैंक से भी इतनी ही राशि का ऋण स्वीकृत होने की उम्मीद है। श्री खान ने बताया कि जो सड़कें वायबल नहीं हैं उन्हें एन्यूटी के आधार पर विकसित किया जाएगा। अर्थात लागत का 50 प्रतिशत ऋण के रूप में राज्य सरकार देगी एवं 50 प्रतिशत कन्सेशनर को लगाना होगा।
उन्होंने बताया कि राज्य में सड़कों के विकास के लिए 847 करोड की लागत से करीब 4 हजार क्षतिग्रस्त सड़कों के काम जारी हैं और मुख्यमंत्री ने 600 करोड़ और देने की सहमति व्यक्त की है। ग्रेफ द्वारा निर्मित अनूपगढ़-सूरतगढ सड़क अत्यधिक क्षतिग्रस्त है इसके लिए निविदाएं एक दो दिवस में ही लगा दी जाएंगी। इसके अलावा जहां ब्लैक कॉटन सॉयल के कारण सड़कें अत्यधिक क्षतिग्रस्त हैं वहां उन्हें सीमेंट का बनाया जाएगा।
सानिवि मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा है कि टोल बूथ से 10 किलोमीटर के घेरे (रेडियस) में स्थानीय निवासियों से टोल नहीं वसूला जाए। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री स्वयं यह समीक्षा कर रही हैं कि विभिन्न एजेंसियों के टोल बूथ परस्पर कितनी दूरी पर हैं। श्री खान ने बताया कि केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी भी टोल का विकल्प ढूंढने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
श्री खान ने बताया कि राज्य में ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर के तहत सबसे पहले विकसित की जाने वाली सड़क जैसलमेर से दिल्ली की दूरी को 100 किलोमीटर कम करेगी। यह सड़क हरियाणा बॉर्डर से प्रारम्भ होकर चिड़ावा, झूंझनू, मुकुन्दगढ, लक्ष्मणगढ़, सालासर, डीडवाना, तरनाउ, नागौर, फलौदी होते हुए जैसलमेर तक बनाई जाएगी। यह मार्ग पांच राज्यों से निकलेगा। जैसलमेर में लाइमस्टोन मिलने के बाद तीन कम्पनियों ने जमीन आरक्षित करवाई हैं अत: यहां औद्योगिक विकास बढ़ेगा एवं इसके अलावा यहां पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं क्योंकि रामदेवरा, जाम्बोजी, सालासर और अन्य कई मंदिर इसके क्षेत्र में पड़ते हैं साथ ही विश्वविख्यात हवेलियां भी हैं। श्री खान ने बताया कि यह मार्ग राज्य सरकार का एक ड्रीम प्रॉजेक्ट है और जैसलमेर-दिल्ली की राह 100 किमी कम हो जाने से समय और ईंधन दोनों बचेंगे। इसका निर्माण एन्यूटी पर होगा इसलिए इस पर टोल के बारे में स्थिति को देखकर उसी समय निर्णय किया जाएगा।
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