- November 7, 2015
राज्य की बिजली वितरण कंपनियों की खस्ताहाल : सबसे ज्यादा कर्ज राजस्थान
राज्य की बिजली वितरण कंपनियों की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए केंद्र द्वारा राज्यों के पाले में गेंद डाले जाने के बाद राज्य भी इसके लिए योजना बनाने की तैयारियों में जुट गए हैं। बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) में सबसे ज्यादा कर्ज राजस्थान में है। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि राजस्थान, केंद्र सरकार की इस योजना में शामिल होने वाला पहला राज्य बन सकता है।
वित्तीय संकट से जूझ रहे बिजली वितरण क्षेत्र में सुधार लाने और कर्जदाताओं को राहत के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (उदय) को मंजूरी दी थी। देश की सभी डिस्कॉम पर कुल करीब 4.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इस योजना को केंद्र सरकार ने तैयार किया है और सभी राज्य सरकारें संबंधित डिस्कॉम के साथ आपसी समझौते (एमओयू) के जरिये इसे लागू कर सकती हैं।
उत्तर प्रदेश भी इस योजना में जल्द शामिल हो सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने बताया कि वे डिस्कॉम के कर्ज को अपने ऊपर लेने को तैयार हैं। उत्तर प्रदेश के वित्त विभाग के प्रधान सचिव राहुल भटनागर ने कहा, ‘अगर ब्याज की दरें आगे और कम होती हैं तो यूपी सरकार 75 फीसदी की जगह डिस्कॉम के पूरे कर्ज को लेने को तैयार है। लेकिन हम केंद्र से अनुरोध करना चाहते हैं कि ब्याज और मूलधन भुगतान को एफआरबीएम सीमा से अलग रखा जाए।’
राज्यों से कहा गया है कि वे 30 सितंबर, 2015 तक के डिस्कॉम के कर्ज का 75 फीसदी दो साल के अंदर खुद ले लें। 2015-16 में 50 फीसदी और 2016-17 में 25 फीसदी कर्ज। इसके बदले राज्य सरकार बॉन्ड जारी कर सकती है। अगले दो वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार इस कर्ज को राजकोषीय घाटे में शामिल नहीं करेगी।
इक्रा की ओर से आज जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकारों द्वारा कर्ज अपने ऊपर लेने से डिस्कॉम को ब्याज लागत में करीब 46,000 करोड़ रुपये की बचत होगी, जिससे माार्च 2018 से प्रति यूनिट बिजली दर करीब 50 पैसे कम की जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 4 राज्यों (तमिलनाडु, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा) में बिजली आपूर्ति की लागत 1 से 2 रुपये प्रति यूनिट तक कम हो सकती है।
डिस्कॉम पर कर्ज के मामले में शीर्ष चार राज्यों में राजस्थान पर सबसे ज्यादा 85,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, वहीं तमिलनाडु पर 70,000 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश पर 32,000 करोड़ रुपये और हरियाणा पर 10,000 करोड़ रुपये है। बिजली मंत्रालय के सचिव पी के पुजारी ने कहा, ‘मसौदा तैयार है और जब भी राज्य आगे आएंगे डिस्कॉम की वित्तीय स्थिति के मुताबिक प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी।
यह सुधार योजना है, न कि वित्तीय पैकेज। कर्ज की रकम, घाटे का फीसदी और सुधार योजना अलग-अलग हो सकती है।’ राजस्थान पहले ही सुधार मानदंडों के तहत कदम उठाते हुए बिजली शुल्क में बढ़ोतरी, तकनीकी सुधार और बिजली वितरण कंपनियों के लिए अलग से कंपनी बनाने की तैयारी कर रहा है।