राज्य आपदा प्रबन्धन योजना पर कार्यशाला

राज्य आपदा प्रबन्धन योजना  पर कार्यशाला

शिमला (सू०ब्यूरो)—— राज्य आपदा प्रबन्धन योजना को अंतिम रूप देने के लिए राजस्व विभाग के आपदा प्रबन्धन प्रकोष्ठ द्वारा यूएनडीपी इंडिया के सहयोग से आज यहां एक राज्य स्तरीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया।

अतिरिक्त मुख्य सचिव (शहरी एवं नगर नियोजन, शहरी विकास एवं आवास) श्रीमती मनीषा नंदा ने कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश विभिन्न आपदाओं की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है क्योंकि यह नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र युक्त हिमालयी क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

उन्होंने कहा कि यद्यपि पर्वतीय राज्य में शहरीकरण कम है, लेकिन शहरों की ओर निरंतर प्रवासन को रोका जा सकता है और योजनाबद्ध, आपदा संरक्षित भवनों व अन्य अधोसंरचना को विकसित करने के कदम उठाए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि जोखिम के अन्तर्गत पहचाने गए बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों, कमजोर व बीमार व्यक्तियों, पशुधन इत्यादि के विस्तृत एवं अद्यतन रिकार्ड के अनुरक्षण की आवश्यकता है। इसके साथ विभिन्न आपदाओं से प्रभावित होने वाले बुनियादी ढांचें की भी विस्तृत सूची तैयार करने की आवश्यकता है। सम्बन्धित विभागों व हितधारकों के लिए यह उपयुक्त समय है कि आपदाओं का प्रबंधन विस्तृत और सहभागी रणनीति के माध्यम से किया जाए।

उन्होंने कहा कि न केवल अपने आप को बल्कि भावी पीढ़ियों को सुरक्षित रखने के लिए एक व्यापक योजना होनी चाहिए। हमें केवल अच्छाई के लिए सोचना चाहिए और बुराई से लड़ने को तैयार रहना चाहिए। उन्होंने आपदा से पहले एवं बाद में आम जन मानस को तैयार करने के लिए एक जागरूकता अभियान आरम्भ करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

विशेष सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबन्धन श्री देव दत्त शर्मा ने भारतीय हिमालयी क्षेत्रों की जटिलताओं पर चर्चा करते हुए कहा कि यह क्षेत्र विश्व के सर्वाधिक जटिल और विविध पर्वतीय पारिस्थितिकी प्रणालियों में शूमार है और अनुमानित 72 मीलियन लोगों का घर है। इस अनूठे पर्यावरण से उत्पन्न हाईड्रोलॉजिकल संसाधनों तथा पारिस्थितिकीय सेवाओं पर लगभग एक बिलियन लोग निर्भर हैं।

उन्होंने कहा कि हि.प्र. राज्य आपदा प्रबन्धन योजना इससे जुड़े लोगों, संस्थानों तथा सरकारी एजेंसियों द्वारा समय पर तैयार करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि उच्च स्तरीय समिति ने कुल 33 आपदाओं में से हिमाचल प्रदेश में 25 आपदाओं की पहचान की है, जो राज्य के विभिन्न भागों में आ सकती हैं।

उन्होंने हितधारक विभागों से सुरक्षित एवं आपदा लचीला हिमाचल प्रदेश के लिए राज्य आपदा प्रबन्धन योजना-2017 में निहित विषय-वस्तु व जानकारी का सदुपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि योजना को पूरी तरह क्रियाशील बनाया जाएगा और प्रदेश भर में कार्यान्वित किया जाएगा।

मुख्य सलाहकार एवं आपदा प्रबन्धन विशेषज्ञ श्री पी.जी.धर चक्रवर्ती ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने वर्ष 2012 में राज्य आपदा प्रबन्धन योजना तैयार की थी, जो काफी विस्तृत थी, लेकिन आधुनिक मानदंडों के अनुरूप इसे संशोधित करने की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि हिमाचल आपदा जोखिम अतिसंवेदनशीलता आंकलन (एचआर एटलस) तैयार करने वाला पहला राज्य है और यह एटलस सार्वजनिक डोमेन पर उपलब्ध है।

उन्होंने कहा कि हिमाचल में लगभग 30 विभागों ने अपनी आपदा प्रबन्धन योजनाएं तैयार की हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के मनरेगा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, स्मार्ट तथा समस्त अतरुत इत्यादि फ्लैगशिप कार्यक्रमों के अन्तर्गत 25 प्रतिशत धनराशि आपदा जोखिम को कम करने के कार्य पर खर्च की जा सकती है।

कार्यशाला में पुलिस महानिदेशक श्री संजय कुमार, आर्थिक सलाहकार श्री प्रदीप चौहान, सहित राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

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