• April 9, 2015

राजस्थान नदी बेसिन और जल संसाधन योजना विधेयक, 2015 पारित

राजस्थान नदी बेसिन और जल संसाधन  योजना विधेयक, 2015 पारित

जयपुर -राज्य विधानसभा में बुधवार को राजस्थान नदी बेसिन और जल संसाधन योजना विधेयक, 2015 को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप ने विधेयक को सदन में विचारार्थ प्रस्तुत किया। सदन में विधयेक पर हुई बहस के बाद जल संसाधन मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने प्रदेश के दूरगामी हितों को ध्यान में रखते हुए नदियों को जोडने के ऐतिहासिक कार्य की शुरूआत की है। हमारी सरकार ने किसानों की बहबूदी के लिए जो काम हाथ में लिया है उसे पूरा करेंगे।

डॉ. रामप्रताप ने बताया कि दक्षिण आस्ट्रेलिया की मरे-डार्लिग नदियों का बेसिन ऑथोरिटी बनाकर उन्हें जोडने का जो कार्य हुआ है वह आज पूरे विश्व के सामने एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि देश में सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय नदियों को जोडने की दिशा में प्रयास हुए। उस समय श्री सुरेश प्रभू को इस मसले पर गठित टास्क फोर्स का चेयरमैन बनाया गया था। दुर्भाग्य से यह बात बीच में ही रह गई। इस कार्य को देश में आगे बढाने का काम किसी राज्य ने शुरू किया है तो वह राजस्थान है।

जल संसाधन मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार सतही जल, भू-जल, मृदा नमी व वर्षा जल की एक-एक बूंद का सदुपयोग करेगी।  प्रदेश में पानी की कमी को दूर करने के लिए फोर वाटर कन्सेप्ट के तहत कालीसिंध की सहायक आहू नदी तथा माही की सहायक बुनाड पर 127.87 करोड़ रुपये की लागत से दो पायलट प्रोजेक्ट आरंभ किये जिनके बहुत सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं। इसे देखते हुए सरकार ने लूणी, वेस्ट बनास तथा साबरमती क्षेत्र में 287 माईक्रो सिंचाई परियोजनाएं तथा 127 चैकडेम की स्वीकृतियां जारी की हैं। साथ ही राज्य में प्राचीन सरस्वती नदी के पोलियो चेनल का पता लगाने के लिए भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर के माध्यम से सर्वे कराया गया है, जिसमें यह नदी 3500 साल पुरानी पाई गई है।

विधेयक में प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार राज्य जल संसाधन सलाहकार परिषद् का गठन करेगी जिसकी अध्यक्ष मुख्यमंत्री होगी। मुख्य सचिव समिति के सदस्य सचिव होंगे। समिति में जल संसाधन, कृषि, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग, वित्त विभाग, योजना विभाग, नगरीय विकास एवं आवासन विभाग, उद्योग विभाग, पर्यावरण एवं वन विभाग के प्रभारी मंत्री तथा जल संसाधन विभाग के प्रभारी राज्य मंत्री  सदस्य होंगे।

इनके अतिरिक्त राज्य जल संसाधन सलाहकार परिषद् में जल संसाधन विभाग में मुख्य अभियंता के रूप में अनुभव रखने वाले तथा जल संसाधन सैक्टर में कम से कम 20 वर्षों का अनुभव रखने वाले 4 व्यक्ति भी समिति के सदस्य होंगे। यह समिति राज्य सरकार को नदियों को परस्पर जोडने एवं राज्य सरकार को अन्तर-बेसिन और उप-बेसिन जल अन्तरण की सिफारिश करेगी। इसके अतिरिक्त प्राधिकरण के कार्यों की मॉनिटरिंग का काम भी करेगी।

इस विधेयक के लागू होने के बाद राज्य सरकार राजस्थान नदी बेसिन और जल संसाधन योजना प्राधिकरण का गठन करेगी।  प्राधिकरण में एक अध्यक्ष सहित 14 सदस्य शामिल किए जाएंगे। प्राधिकरण के सदस्य सचिव राजस्थान नदी बेसिन और जल संसाधन योजना प्राधिकरण का आयुक्त होगा। अन्य सदस्यों में जल संसाधन, वित्त, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी, पंचायत राज एवं ग्रामीण विकास विभाग, नगरीय विकास एवं आवासन, स्थानीय स्व शासन, पर्यावरण एवं वन विभाग, उद्योग विभाग सिंचित क्षेत्र विकास विभाग एवं कृषि विभाग के सचिव शामिल होंगे।

जल ग्रहण मृदा संरक्षण विकास विभाग का निदेशक एवं जल संसाधन अभियांत्रिकी व जल संसाधन अर्थव्यवस्था के क्षेत्र से दो-दो विशेषज्ञ शामिल किये जाएंगे। यह प्राधिकरण भी नदियों को परस्पर जोडऩे सहित आदि जल वाले क्षेत्रो से अभावग्रस्त क्षेत्रों तक जल पहुंचाने के लिए समिति को सिफारिश करेगा।

इससे पहले सदन ने सदस्यों द्वारा विधेयक को जनमत जानने के लिए  परिचारित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।

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