राजनीतिक वित्त 2015 पर नई दिल्ली घोषणापत्र को मंजूरी : चुनाव आयोग

राजनीतिक वित्त 2015 पर नई दिल्ली घोषणापत्र को मंजूरी : चुनाव आयोग
“राजनीति में धन का इस्तेमाल और जनता के प्रतिनिधित्व पर इसके प्रभाव” विषय पर भारतीय निर्वाचन आयोग, इंटरनेशनल आइडिया और इंडिया इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट (आईआईआईडीईएम) द्वारा नई दिल्ली में 15 और 16 दिसंबर 2015 को संयुक्‍त रूप से आयोजित दो दिवसीय सम्‍मेलन आज संपन्न हुआ। सम्मेलन का उद्घाटन संयुक्त रूप से कल भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ नसीम जैदी और बेल्जियम के पूर्व प्रधानमंत्री रहे इंटरनेशनल आईडिया के महासचिव श्री यवेस लेटेर्मे ने किया था। सम्मेलन में भारत निर्वाचन आयुक्‍तों – श्री ए.के. जोति और श्री ओपी रावत ने भी भागीदारी की थी। 

बेल्जियम के पूर्व प्रधानमंत्री रहे इंटरनेशनल आईडिया के महासचिव श्री यवेस लेटेर्मे ने अपने स्‍वागत भाषण में गंभी मुद्दों को उठाकर चर्चा के लिए दरवाजों को खोल दिया था। उन्‍होंने कहा था – ‘’राजनीति पर धन के नकारात्मक प्रभाव का सवाल हमेशा अहम रहा है। क्‍यों? क्‍योंकि इससे लोकतंत्र की नींव को खतरा है। राजनीतिक तंत्र के कई स्‍तरों पर धन का प्रवाह होता है, पार्टी के वित्‍तपोषण से लेकर अभियान के दान और उम्‍मीदवारों के खर्चों तक सब कुछ कलंकित हो रहा है। अन्‍य समस्‍याओं के साथ इसमें शामिल हैं – पदधारियों द्वारा राज्‍य निधि का दुरुपयोग; आपराधिक धन का निर्णय कर्ताओं पर प्रभाव; और दान के माध्यम से राजनीति का “अपहरण” करने वाले कुलीन वर्गों, धनी व्यक्तियों के समूह या बड़े निगम। यह वार्ता और मसौदा घोषणा से सभी भागीदार देशों को ठोस रूपरेखा बनाने में मदद मिलेगी।‘’

इंटरनेशनल आइडिया और भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा “राजनीति में धन का इस्तेमाल और जनता के प्रतिनिधित्व पर इसके प्रभाव” विषय पर संयुक्त रूप से आयोजित इस क्षेत्रीय सम्मेलन में हितधारकों के लिए पहली बार क्षेत्रीय स्‍तर पर इन मुद्दों और उनके समाधानों पर चर्चा की गई। अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों में शामिल थे – मालदीव निर्वाचन आयोग के अध्‍ययक्ष श्री अहमद सुलेमान, नेपाल के मुख्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. अयोधी प्रसाद यादव, भूटान के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त दाशो कुनजांग वांगदी, पाकिस्तान इंस्टिट्यूट ऑफ़ लेजिस्लेटिव डेवलपमेंट एंड ट्रांसपेरेंसी (पीआईएलडीएटी) के अध्‍ययक्ष श्री अहमद बिलाल मेहबूब, डेमोक्रेसी एंड ह्यूमन राइट्स, सार्क सचिवालय के निदेशक श्री इब्राहिम गफूरी, और श्रीलंका निर्वाचन आयोग के डॉ. सैमुअल रतनाजीवन हर्बर्ट हूले।
अन्य प्रतिभागियों में भारत के राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, नागरिक समाज संगठन, दक्षिण एशिया के चुनाव प्रबंधन निकायों के प्रतिनिधि और पूर्व भारतीय मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त श्री नवीन चावला, डॉ एस.वाई. कुरैशी, श्री वी.एस. संपत, श्री एच.एस. शर्मा भी शामिल थे।

सम्मेलन के प्रतिभागियों ने आम सहमति बनाकर सत्र के अंत में घोषणा पत्र के मसौदे को अंतिम रूप दिया। मसौदे में राजनीतिक वित्त विनियमों, नियामक ढांचे में खामियों को बंद करने के उपाय और सभी हितधारकों के समन्वित प्रयासों के बारे में सिफारिशें शामिल हैं। घोषणा पत्र समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मार्गदर्शन भी देता है।

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ नसीम जैदी ने सम्मेलन के पूर्ण अधिवेशन की अध्‍यक्षता की और दो दिवसीय सम्मेलन में तैयार अंतिम निष्‍कर्षों को प्रस्तुत किया। दक्षिण एशिया में राजनीतिक वित्‍त विनियम के घोषणा पत्र को अंतिम रूप देने में प्रतिभागियों के दक्ष और सक्रिय विचार-विमर्श ने इसे संभव बनाया।

राजनीतिक वित्त 2015 पर नई दिल्ली घोषणापत्र राजनीतिक वित्त विनियमों और कार्यान्वयन के लिए व्‍यापक दिशा-निर्देशों के बारे में बताता है, वहीं राजनीतिक वित्त विनियमों और कार्यान्वयन के लिए प्रमुख दिशा निर्देश भी बता है।

इंटरनेशनल आइडिया की क्षेत्रीय निदेशक सुश्री लीना रिकिला लोकतंत्र में लैंगिक पूर्वाग्रह पर अपने संबोधन में कहा – “उम्मीदवार और सक्रिय पार्टी सदस्‍यों के रूप में उनकी भागीदारी [धन] की सीमा तय होनी चाहिए। विनियमों में राजनीतिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करना चाहिए।‘’

घोषणा पत्र के मसौदे को पेश करते हुए अपने समापन भाषण में डॉ. नसीम जैदी में कहा कि ‘’नई दिल्‍ली घोषणा पत्र 2015’’ एक ऐतिहासिक दस्‍तावेज है और भविष्‍य में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में ईएमबीएस द्वारा राजनीतिक वित्त आचरणों को बनाने में एक लंबा रास्ता तय करना होगा।

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