राजकोषीय घाटे के लक्ष्‍य को पाने के प्रति कटिबद्ध

राजकोषीय घाटे के लक्ष्‍य को पाने के प्रति कटिबद्ध
अर्द्धवार्षिक आर्थिक विश्लेषण 2014-15 :

अर्द्धवार्षिक आर्थिक विश्लेषण  2014-15 भारत की वृहद अर्थव्‍यवस्‍था के अनेक पहलुओं पर तकनीकी दृष्टिकोण पेश करता है। अर्द्धवार्षिक आर्थिक विश्लेषण की प्रमुख बातें निम्‍नलिखित  हैं:

 वृहद अर्थव्‍यवस्‍था और निवेशक धारणा

      सरकार द्वारा सत्‍ता संभालने के बाद से ही भारत की वृहद अर्थव्‍यवस्‍था और निवेशक धारणा में उल्‍लेखनीय सुधार देखने को मिल रहा है। इसकी झलक कम होती महंगाई, अपेक्षाकृत कम चालू खाता घाटे, पूंजी के बढ़ते प्रवाह और शेयरों के भावों में दिखती है। पिछले तकरीबन तीन वर्षों से छाई आर्थिक सुस्‍ती से निजात पाने में भी इसकी झलक देखने को मिलती है। भारत मौजूदा समय में एक गतिशील अर्थव्‍यवस्‍था के तौर पर विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था का एक अहम हिस्‍सा है। मजबूत जनादेश के साथ सत्‍ता में आई नई सरकार के ठोस प्रयासों से ही ये बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

      सत्‍ता संभालने के बाद नई सरकार ने अनेक नीतिगत निर्णय लिये हैं। डीजल की कीमतों को नियंत्रण मुक्‍त करना, प्राकृतिक गैस की कीमत बढ़ाना, कृषि क्षेत्र में महंगाई के दबाव को कम करना, रक्षा क्षेत्र में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाना, वित्‍तीय समावेश में तेजी लाना और कोयले के विनियमन की ओर कदम बढ़ाना इन निर्णयों में शामिल हैं।

 राजकोषीय हालात

सरकार इस वर्ष के लिए तय राजकोषीय घाटे के लक्ष्‍य को पाने के प्रति कटिबद्ध है। अर्द्धवार्षिक आर्थिक विश्लेषण में सरकार के समक्ष मौजूद असामान्‍य परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया है, जिनमें निम्‍नलिखित शामिल हैं :

  • आर्थिक विकास की रफ्तार अपेक्षा से कम है जिससे राजस्‍व की वृद्धि दर प्रभावित हो रही है।
  • बजट में तय किये गए आशावादी राजस्‍व अनुमान सटीक साबित नहीं हो रहे हैं।
  • विरासत में मिले पूर्ववर्ती खर्च बजट पर भारी पड़ रहे हैं।

 महंगाई

      महंगाई दर में उल्‍लेखनीय कमी देखने को मिली है। रिजर्व बैंक एवं सरकार द्वारा उठाए गए नीतिगत कदमों, कृषि वस्‍तुओं की घटती कीमतों, तेल के कम होते मूल्‍यों और क्षमता के मुकाबले कम गति से आर्थिक तरक्‍की होने से ही महंगाई के मोर्चे पर राहत मिली है।

 भावी सुधार

      बीमा में एफडीआई को उदार बनाने के साथ-साथ आने वाले समय में भी आर्थिक सुधारों को लेकर आशा की किरण दिखाई दे रही है। दो व्‍यापक सुधारों की तरफ तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। ये हैं – वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और प्रत्‍यक्ष हस्‍तांतरण का बढ़ता उपयोग। जीएसटी सरकार के राजस्‍व का एक प्रमुख स्रोत साबित होगा जिससे राजकोषीय हालात निश्चित तौर पर बेहतर हो जाएंगे तथा इसके साथ ही भारत कहीं और ज्‍यादा साझा बाजार के रूप में उभर कर सामने आएगा। प्रत्‍यक्ष हस्‍तांतरण के बढ़ते उपयोग के तहत प्रधानमंत्री जन धन योजना आधार कार्ड से जुड़ जाएगी।

      केन्‍द्र सरकार द्वारा लागू किये जाने वाले आर्थिक सुधार विकास की गति बढ़ाने के साथ ही राज्‍यों के आर्थिक सुधारों के पूरक के रूप में भी काम करेंगे।

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