- February 26, 2019
राइजिंग इंडिया समिट
पीआईबी——————– वर्ष 2014 के पहले देश में महंगाई दर 10 प्रतिशत का आंकड़ा भी पार कर गई थी। लेकिन हमारी सरकार में महंगाई दर गिरकर 2-4 प्रतिशत के आसपास रह गई है।
इनकम टैक्स पर छूट की सीमा पहले ढाई लाख रुपए तक की, फिर 5 लाख तक की आय के लिए टैक्स को 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया और इस बार तो 5 लाख तक की टैक्सेबल इनकम को ही टैक्स के दायरे से बाहर कर दिया है।
2014 में एक बार फिर हमने इस चुनौती को स्वीकार किया।
आज एक बार फिर GDP Growth Rate को हमारी सरकार ने 7 से 8 प्रतिशत के बीच पहुंचा दिया है। वो बढ़े हुए को घटा के गए और हमने घटे हुए को फिर बढ़ा दिया। ये हमारी प्राथमिकता है।
भारत की Global Standing ——-हम सब पढ़ते आए थे कि इक्कीसवीं सदी भारत की सदी है। लेकिन यूपीए सरकार में क्या हुआ? भारत को 2013 तक आते-आते दुनिया के ‘Fragile Five’ देशों में पहुंचा दिया गया।
आज एक बार फिर सरकार के दृढ़ निश्चय और सवा सौ करोड़ देशवासियों के परिश्रम के बल पर भारत ‘Fastest Growing Major Economy’ बन गया है।
Ease of Doing Business की रैंकिंग में भी पिछली सरकार ने जाते जाते देश का नाम डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। ये कांग्रेसी संस्कृति का ही परिणाम था कि साल 2011 के 132वें नंबर से फिसलकर भारत की रैंकिंग 2014 में 142 तक चली गई।
इस रैंकिंग में सुधार करके देश को 77वें स्थान पर पहुंचाने का काम हमारी सरकार ने किया है।
ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस में देश की रैंकिंग इसलिए भी फिसल रही थी, क्योंकि भ्रष्टाचार का ग्राफ आसमान छू रहा था। स्पेक्ट्रम से लेकर submarine तक, और Coal से लेकर CWG तक, कुछ भी भ्रष्टाचार से छूटा नहीं था।
उस दौर में हर संस्था चाहे वो सुप्रीम कोर्ट हो, CAG हो, मीडिया हो, हर जगह सरकारी भ्रष्टाचार की फाइलें खुल रही थीं।
हमारे देश में आजादी के इतने वर्षों बाद भी, आधे से ज्यादा लोगों के पास बैंक खाते नहीं थे। अब आज हमारी सरकार के प्रयासों की वजह से देश में 34 करोड़ से ज्यादा लोगों के बैंक खाते खुले हैं।
जनधन अकाउंट खुलने के बाद हमने उन्हें आधार नंबरों से जोड़ा, कोशिश की, कि ज्यादा से ज्यादा अकाउंट मोबाइल नंबर से भी जुड़ जाएं।
इधर हम देश में जनधन खाते खोल रहे थे, उधर उन सरकारी योजनाओं को भी खंगाला जा रहा था, जिसमें लाभार्थियों को पैसे दिए जाने का प्रावधान था।
पहले ये पैसे कैसे मिलते थे, कौन बीच में उन्हें पचा जाता था, ये भी आपको पता है।
सरकार की सवा चार सौ से ज्यादा योजनाओं का पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर हो रहा है।
हमारी सरकार के दौरान करीब-करीब 6 लाख करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने सीधे लाभार्थियों के खाते में भेजे हैं। और मुझे ये कहते हुए गर्व है कि पहले की तरह 100 में से सिर्फ 15 पैसे नहीं, बल्कि पूरे पैसे लाभार्थियों को मिल रहे हैं।
जनधन अकाउंट, आधार और मोबाइल को जोड़ने का नतीजा ये हुआ कि एक के बाद एक करके कागजों में दबे हुए फर्जी नाम सामने आने लगे। आप सोचिए, अगर आपके ग्रुप में या चैनल में 50 लोग ऐसे हो जाएं जिनकी हर महीने सैलरी जा रही हो, लेकिन वो हकीकत में हो ही नहीं, तो क्या होगा।
सरकार के इस प्रयास से एक लाख 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बच रहे हैं। और जब मैं ये कहता हूं कि 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपए बच रहे हैं, तो ये भी सोचिए कि पहले यही पैसे किसी और के पास जा भी तो रहे थे।
साल दर साल ये पैसे उन बिचौलियों के पास जा रहे थे, उन लोगों के पास जा रहे थे, जो इसके हकदार नहीं थे। अब ये सारी लीकेज हमारी सरकार ने बंद कर दी है।
बैंक अकाउंट, Data और टेक्नॉलॉजी की यही ताकत आज दुनिया की सबसे बड़ी वेलफेयर स्कीम्स का मजबूत आधार बन रही हैं।
आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के लगभग 50 करोड़ गरीबों को जो 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज दिया जा रहा है, उसमें भी लीकेज की गुंजाइश नहीं है। इलाज का पूरा पैसा सीधे अस्पताल के अकाउंट में जाता है। जिसके लाभार्थी आधार नंबर से लैस हैं और उनका चुनाव 2015 में पब्लिश किए गए Socio-economic Survey के आधार पर किया गया है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की है। देश के लगभग 12 करोड़ किसान परिवारों को उसकी छोटी-छोटी जरूरत पूरा करने के लिए, जैसे चारा खरीदने के लिए, बीज खरीदने के लिए, कीटनाशक खरीदने के लिए, खाद खरीदने के लिए सरकार साल भर में लगभग 75 हजार करोड़ रुपए, सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर करने जा रही है। इस योजना में भी लीकेज संभव नहीं है।
अब सोचिए, किसी को चारा घोटाला करना हो तो कैसे करेगा? क्योंकि अब तो सीधे मोबाइल पर मैसेज आता है, कच्ची-पक्की पर्ची का तो सारा इंतजाम ही मोदी ने खत्म कर दिया है। इसलिए ही तो मुझे पानी पी-पी कर गाली दी जाती है !!!
यूपी में एक सिंचाई परियोजना है, बाणसागर के नाम से। ये योजना करीब-करीब 4 दशक पहले शुरु हुई थी। उस समय अनुमान लगाया गया था कि 300 करोड़ रुपए में इसका काम पूरा हो जाएगा। लेकिन ये लटकी रही, अटकी रही। 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद इस पर फिर से काम शुरू करवाया गया। तब तक इसकी लागत राशि बढ़कर 3 हजार करोड़ रुपए हो गई।
ऐसा तो था नहीं कि पहले की सरकारों को कोई काम करने से रोक रहा था, मना कर रहा था। तब 300 करोड़ रुपए की तंगी हो, ये भी मैं नहीं मानता। दरअसल काम समय से पूरा हो, इसकी भीतर से ही इच्छा नहीं थी। सोच यही थी कि ठीक है, देर होती है तो होती रहे, मेरा क्या नुकसान है।
एक और डैम परियोजना है, झारखंड की मंडल डैम———— ये भी चार दशक से अधूरी थी। जब इसकी शुरुआत की गयी तो इसकी लागत थी सिर्फ 30 करोड़ और अब ये बांध करीब 2400 करोड़ रुपये खर्च करके पूरा किया जा रहा है। यानि ये परियोजना लटकने की 80 गुना कीमत देश का ईमानदार करदाता चुका रहा है।
मैं एक-एक राज्य के मुख्य सचिव को लेकर बैठा हूं, एक-एक मंत्रालय के सचिव को लेकर बैठा हूं कि कुछ भी हो, लेकिन योजनाओं में देरी नहीं होनी चाहिए, जनता का पैसा बर्बाद नहीं होना चाहिए। साथियों, 12 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की पुरानी योजनाओं की समीक्षा मैंने खुद की है।
जितने भी प्रोजेक्ट्स की प्रगति के माध्यम से समीक्षा की गई, उनमें से अधिकतर पूर्वी भारत की हैं, नॉर्थ ईस्ट की हैं। ये भी हमारी सरकार की प्राथमिकताओं का एक और बड़ा हिस्सा रहा है। पूर्वी भारत को नए भारत की विकास का ग्रोथ इंजन बनाना, सबका साथ, सबका विकास के हमारे विजन का महत्वपूर्ण पहलू है।
आपने अनेक बार ये रिपोर्ट किया है कि कैसे पूर्वी और उत्तर पूर्वी भारत में दशकों बाद पहली बार रेल पहुंच रही है, पहली बार एयरपोर्ट बन रहे हैं, पहली बार बिजली पहुंच रही है।
सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण का फैसला हो या फिर श्रमिकों के लिए पेंशन की ऐतिहासिक योजना,
घुमंतु समुदाय के लोगों के लिए वेलफेयर डवलपमेंट बोर्ड बनाने का फैसला हो या फिर देश के करोड़ों मछुवारों के लिए एक अलग डिपार्टमेंट, हम सबका साथ-सबका विकास के मंत्र पर काम कर रहे हैं।
जब कई अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट कह रही हैं कि भारत सबसे तेजी से गरीबी हटा रहा है तो क्या ये संभव है कि बिना नौकरी के लोग गरीबी से बाहर आ रहे हों?
गरीबों के लिए लाखों मकान बनाने से लेकर नए पुल, नए बांध, नए हवाई अड्डे जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर के दूसरे प्रोजेक्ट पर रिकॉर्ड कार्य हो रहा है। पर्यटन के क्षेत्र में निवेश बढ़ रहा है, तो क्या ये संभव है कि इन सारी गतिविधियों से रोजगार पैदा नहीं हुए हों?
आपने अपने आसपास के माहौल में डॉक्टर, इंजीनियर या चार्ट्ड एकाउंटेंट को आगे बढ़ते देखा होगा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार वित्तीय वर्षों के दौरान सिस्टम में 6 लाख Professionals जुड़े। इनमें से प्रत्येक प्रोफेशनल्स को सपोर्ट स्टाफ की भी जरूरत पड़ी होगी। ऐसे में हम अनुमान लगा सकते हैं कि इन्हीं प्रोफेशनल्स ने पिछले 4 वर्षों में लाखों लोगों को रोजगार दिया है।
कहने का मतलब ये है कि पिछले 5 वर्षों में ट्रांसपोर्ट सेक्टर में जबरदस्त बूम आया है। कमर्शियल वाहनों की ही बात करें तो पिछले साल ही भारत में लगभग साढ़े 7 लाख गाड़ियां बिकी हैं। क्या ये मुमकिन है की नौकरियों के बिना इतनी commercial गाड़ियाँ बिक रही है?
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ———- कई लाभार्थियों से तो मैं खुद मिला हूं, उनकी सफलता की कहानियां मैंने खुद जानी हैं।
इस योजना के तहत 15 करोड़ से अधिक उद्यमियों को 7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन दिया गया है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इनमें से 4 करोड़ से ज्यादा युवा उद्यमी ऐसे हैं, जिन्होंने अपने बिजनेस के लिए पहली बार लोन लिया है।
EPFO के आंकड़ों से 50 प्रतिशत overlap भी मानें, तब भी formal workforce में हर महीने लगभग 10 लाख लोग शामिल हुए हैं। यानि 1 करोड़ 20 लाख नौकरियां प्रति वर्ष।
बीते 4 वर्षों में विदेशी पर्यटकों की संख्या में क़रीब 45 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। पर्यटन से होने वाली विदेशी मुद्रा की कमाई भी बीते 4 वर्षों में 50 प्रतिशत बढ़ गई है। इतना ही नहीं भारत के एविएशन सेक्टर में भी ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है। पिछले वर्ष 10 करोड़ से अधिक लोगों ने हवाई सफर किया। क्या इन सबसे रोजगार के अवसर सृजित नहीं हुए हैं?
पश्चिम बंगाल सरकार कह रही है कि पिछले साल उसने नौ लाख नौकरियां सृजित की हैं। और 2012 से 2016 तक अ़ड़सठ लाख नौकरियां दी हैं। कर्नाटक सरकार कहती है कि पिछले पांच साल में 53 लाख नौकरियां दी हैं।
इस न्यू इंडिया को बनाने में, सशक्त करने में मीडिया की, आप सभी की भूमिका भी बहुत अहम है। सरकार की, सिस्टम की कमियों को उजागर करना आपका स्वभाविक अधिकार है, लेकिन देश में सकारात्मकता के माहौल को और सशक्त करना भी आप सभी की ज़िम्मेदारी है।
मुझे विश्वास है कि New India के Rise में आपकी ये भूमिका और सशक्त रहने वाली है और मजबूत होने वाली है।