• December 16, 2014

रंग-रेखाओं में उभरा राजस्थान : ‘नया राजस्थान : नई सोच-नई दिशा’

रंग-रेखाओं  में उभरा राजस्थान : ‘नया राजस्थान : नई सोच-नई दिशा’

जयपुर – रामलीला मैदान में उत्सवधर्मिता का उल्लास है। दो दिन पहले गुलाबी ठंड ने करवट बदली, माहौल कुछ और सर्द हो गया पर रविवार दोपहर सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा एक वर्ष पूरा होने पर आयोजित विकास प्रदर्शनी में रंग-रेखाओं के साथ नाट्य प्रस्तुतियों ने माहौल में जैसे ताजगी पैदा कर दी। एक-एक कर रामलीला मैदान स्थित ‘नया राजस्थान : नई सोच-नई दिशा’ प्रदर्शनी में युवा कलाकारों का आगमन हेाता रहा और दोपहर तक प्रदर्शनी स्थल  खचाखच भर गया। रंग-बिरंगे कपड़ों में वहां उपस्थित युवा कलाकार जोश से लबरेज थे। किसी एक कला शिक्षण संस्था से नहीं बल्कि शहर भर की संस्थाओं से बल्कि स्वतंत्र रूप में कलाकर्म करने वाले युवाओं ने प्रदर्शनी स्थित विभिन्न विभागों की एक वर्ष की उपलब्धियॉ का अवलोकन किया। कोई एक घंटे के बाद सभी कलाकार वहीं प्रदर्शनी स्थल पर ही बैठ गए और उन्होंने जो कुछ विकास की झांकी अपनी आंखों से देखी, उसको कार्डशीट पर रंग रेखाओं से उकेरना प्रारंभ कर दिया।

लगा, यह प्रदर्शनी स्थल नहीं कलाकारों की कर्म स्थली है। हरी चटाई और उस पर कलाकार युवक-युवतियों ने रंग-रेखाओं के उजास में राजस्थान में हुए विकास को अपने तई उकेरना प्रारंभ कर दिया था। कलाकारों के अलावा अन्य दर्शक जो प्रदर्शनी देखने आए थे, वह भी उन्हें अपने काम की धुन में लगे देख उनके पास एकत्र होने लगे। भीड़ बढ़ती गई और धीरे-धीरे रामलीला मैदान में कलाकारों की कलाधर्मिता के साथ राजस्थान में हुए विकास की भांत-भांत की छवियां कार्डशीट पर उभरने लगी। किसी ने राजस्थान की लोक संस्कृति, दूर तक पसरे रेत के धोरों के साथ अधुनातन विकास को अपनी कल्पना से उकेरा तो किसी ने घर-घर शिक्षा से रोशन हुए परिवारों के हालांत रंग-रेखाओं से बंया किये। किसी ने गांव-ढाणियों में विद्युत प्रसार के अंतर्गत राज्य सरकार के किए विकास के जगमग को उकेरा तो किसी ने विकास के राज्य सरकार के संकल्प को ही मूर्त-अमूर्त में चित्रों से प्रकट किया। विभिन्न कला शिक्षण संस्थाओं, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट, पैरेफिन ग्रुप ऑफ आर्टिस्ट से जुड़े युवा कलाकारों ने राजस्थान में पिछले एक वर्ष में हुए विकास का अवलोकन करने के पश्चात कैनवस पर सर्वांगीण विकास की छवियों का मोहक चित्रण अपने तई किया।

खास बात यह थी कि युवा कलाकारों ने राजस्थान की परम्परा और संस्कृति की मोहक छवियों के साथ ही उसमें विकास से जुड़े सोपानों को मिलाते हुए कल्पनाओं से सुरम्य छवियों का अंकन किया। चित्रकारों ने मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के राजस्थान को समृद्घ और विकसित बनाने के संकल्प को भी उकेरा तो ऊर्जा कृषि, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, पर्यटन आदि क्षेत्रों में विभिन्न स्तरों पर हुए विकास के देखे रूपों को भी चित्रित किया। आयोजन स्थल पर ख्यात कलाकार विनय शर्मा और डॉ. कृष्णा महावर के निर्देशन में बाद में ‘पैरेफिन ग्रुप ऑफ आर्टिस्टÓ से जुड़े नाट्य कलाकरों ने  ‘नया राजस्थान : नई सोच-नई दिशाÓ के अंतर्गत चेहरे की भाव-भंगिमाओं तथा वहां एकत्र जन समुदाय से सीधे संवाद अदायगी के तहत राजस्थान में हो रहे विकास का जीवंत प्रदर्शन किया।

एक ओर कलाकारों ने प्रदर्शनी स्थल पर सांझ होते-होते विकास की मोहक छवियां उकेरी तो जैसे-जैसे सांझ ढ़लती गई, कठपुतली प्रदर्शन ने भी वहां आने वाले आगंतुकों को लुभाना प्रारंभ कर दिया। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से नुक्कड़ नाटकों की जो प्रस्तुतियां गाजे-बाजे के साथ हुई, उन्होंने भी लोगों को गहरे से आकृष्ट किया। कम उम्र में विवाह नहीं करने, जननी सुरक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, बच्चों को पोषण आदि विभिन्न संदेशों के साथ ही नुक्कड़ नाटकों के कलाकारों ने आगंतुकों से संवाद शैली में भावाभिनय के जरिए मोहक प्रस्तुतियां दी। खास बात यह भी थी कि इन प्रस्तुतियों में राजस्थान में एक वर्ष में हुए विकास से जगमग हुए चेहरों के उल्लास को जैसे व्यंजित किया गया था। यही कारण था कि दोपहर से कब सांझ ढल गई, कब सांझ रात में तब्दील हो गई-पता ही नहीं चला। लोग आते रहे, कारंवा बनता रहा। विकास की सजी राह पर ऐसे ही लोगों के आगमन के फूल बरसते रहे। बाद में इन कलाकारों की कला की सराहना करते हुए सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के निदेशक श्री अनिल गुप्ता ने कलाकारों को मौके पर ही सम्मानित भी किया। उन्होंने कहा कि कलाएं संवेदनशील मन की द्योतक होती है। राजस्थान मे जो विकास हुआ है, उसमें कलाकारों की उपस्थिति उत्साह बढाने वाली है। कलाकारों ने भी राजस्थान के विकास की झांकी का अवलोकन करने के बाद कहा भी ‘सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने एक ही छत के नीचे सर्वांगीण विकास का मोहक प्रदर्शन किया है।’

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