ये कौन सा जीएसटी है ?— शैलेश कुमार

ये कौन सा जीएसटी है ?— शैलेश कुमार

मोदी को हटाने वाले ये बताएं की ये कौन सा जीएसटी है ?
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आज जो व्यक्ति यह कहते फिर रहे है की मोदी को हटाओं – इसका आशय है की वे नोटबंदी का शिकार हैं और गरीबों के दुश्मन हैं।

सरकार ने 10 लाख तक की आमदनी वाले को नोटबंदी नियम के तहत कोई छूट नहीं दी है।

इन दसलखिया लोगों से टैक्स वसूली जा रही है। इसलिए ये प्राणी किसी न किसी बहाने सरकार के विरुद्ध षडयंत्र रच रहें हैं।

अनैतिक रूप से धन अर्जन करना ही शोषण है और आमदनी के अनुसार राष्ट्र के लिए धन न देना आर्थिक राष्ट्रीय अपराध है।

देश में दो आपातकाल की स्थिति की व्यवस्था है। (क) आंतरिक अशांत की अवस्था , बाहरी आक्रमण। (ख) आर्थिक स्थिति जब डगमगा जाती है तो , आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए –आर्थिक आपातकाल की व्यवस्था।

हमारे देश में फ़िल्मी हीरो है , मुझे फ़िल्मी लोगों के बारे में अधिक जानकारी नहीं है लेकिन जितनी जानकारी है उस स्तर पर वे जनकल्याण के लिए कोई निवेश नहीं करते हैं। समाज कल्याण से उनका कोई लेना देना नहीं है। यहां तक की कला और संस्कृति को प्रश्रय देने के बदले ह्रासित करते हैं।

निवेशक — सरकार द्वारा पृथक सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। निवेशक बैंक से लोन लेते है। ये लोग बैंक और मजदूरों को लुटने और शोषण करने के लिए स्वतंत्र है। मजदूरों के लिए पुलिस नहीं, लेबर यूनियन नहीं, लेबर कोर्ट नहीं, लेबर आयुक्त नहीं, श्रम मंत्रालय से लेकर आयुक्त और कोर्ट तक सब के सब हाथी के दांत हैं।

सरकार चूं तक नहीं अलगाती है। इतने सुविधा देने के बावजूद भी ये लोग टैक्स चोरी करते हैं। सत्ता पार्टी और तगड़ा विरोधी दलों को बोरिया बाँध -बांध कर रुपया पहुँचाते हैं। लेकिन मजदूर जिनके बल पर ये ऐश करते रहते हैं ,उनके बारे में सिर्फ दो शब्द — करों या भाग जाऊं।

उद्योगपतियों में मनुष्यता नहीं है, न देश से और न ही समाज से ही मतलब है। उनका अलग दुनिया है। उनका मकसद लूट -लाट करके अमेरिका , इंग्लैंड, जर्मनी , साइप्रस आदि जगह, भाग जाना है। ध्रूत और फरेब का दूसरा नाम उद्योगपति है। इसके बारे में कोई नियम नहीं है। जबकि विदेश में ऐसी व्यवस्था नहीं है ,वह फैक्ट्री बेच नहीं सकता है , भागने का सवाल ही नहीं उठता है। आयरन किंग लक्ष्मी मित्तल को फ़्रांस की सरकार ने बम बजा दिया था।

जो जितने उच्च आय श्रोत वाले है. देश और समाज से उनका कोई वास्ता नहीं है। वे हमेशा शोषण के लिए नए – नए तरीकों पर शोध करतें रहते हैं।

दुकानदार से लेकर थोक बिक्रेता तक, ग्राहको का मुँह -कान देखकर तोल- मोल करते हैं। ये कौन सा जीएसटी है ?

घाटा -घाटा की छाती पीटते रहते हैं। ऐसे लोग टैक्स चोरी करने में महारथ हासिल किये हुए है।

वर्तमान की सरकार ने नोटबंदी और आधार कार्ड के माध्यम से इन चोरों को अपने गिरफ्त में लिया है। हर हमेशा छाती पीटने वाले दुकानदार , टैक्स डिपार्टमेंट के चोर अधिकारी के माध्यम से हमेशा घाटा दिखलाने वाले उद्योगपति ,जन सेवा के नाम पर लूटेरे डॉक्टर , स्कूल व्यवस्थापक सभी कटघरे में आ चुके है।

प्रशासनिक तरीके और सलीकों से इनलोगों की हजामत हो रही है इस विकार को निकालने के लिए वे मोदी विरोधी मूर्ख घोर निंदक को साथ दे रहे हैं।

गरीब लोगों से लिया गया नाजायज दाम , नाजायज डॉक्टरी इलाज का शुल्क ,काम करवा कर भगा देने वाले फैक्ट्री मालिकों पर अगर शिकंजा कसा जाता है तो क्या गलती है ?

राजनीतिक दलों के बदमाशों को अगर इनकाउंटर में मारा जाता है तो इसमें क्या गलती है ?
बदमाशों के बलपर चुनाव लड़ना और उसके बाद समाज हित की नीतियों से बलात्कार कर सरकार को बदनाम करने वाले के गिरोह ख़त्म होना ही चाहिए ?

श्री कृष्ण ने किसी दूसरे को संहार नहीं किया, सिर्फ अपने और अपने को ही। इसका आशय समझें ।

उदाहरण — ईएसआई ने घोषणा किया की 1 अप्रैल से फैक्ट्री के सभी मरीजों का ट्रांसफर ऑनलाइन होगा उसके बाद ही उस प्राइवेट अस्पताल को सरकारी सुविधाएं मिलेगी, जो हरियाणा सरकार के ईएसआई पैनल में हैं।

बस ! क्या था , सभी प्राइवेट अस्पताल के भर्ती मरीजों को सड़क पर फेंक दिया गया। आज तक ईएसआई हरियाणा की ऑनलाइन व्यवस्था नहीं हो सकी है।

इसलिए आम गरीब जनता को विरोधी राजनीतिक दलों, विरोधी कवियों और लोगों के बहकावे में नहीं आना चाहिए क्योंकि उनका सबसे बड़ा दुश्मन सरकार नहीं समाज की उच्चश्रृंखल व्यक्तियों का समूह है। ये वर्ग आस्तिन के सांप हैं।

दवा , खाद्य सामग्रियों और आवश्यक वस्तुओं पर पहले दुकानदार मनमानी ढंग से पैसा वसूलता था। दाम जब बढ़ता था तो दुकानदार का दाम बढ़ता था लेकिन जब दाम घटता था , उसका दाम नहीं घटता था। इस आमदनी पर कोई टैक्स नहीं । यह कौन सा जीएसटी था।

प्राइवेट इलाज –एक्सरे फिल्म — 30 रूपये का । एक्सरे फिल्म का मरीजों से 80 -200 रूपये तक लिया जाता था और हैं , यह कौन सा जीएसटी है ? जबकि चिकित्सा पर न्यूनतम सेवा शुल्क है ?

सरकारी अस्पताल में जो आपरेशन 20-30 हजार रुप्ये में होता है वही आपरेशन प्राइवेट अस्पताल में 100000 रुप्ये में होता है , ये कौन सा जीएसटी है ?

सरकारी अस्पताल में 10 रुप्ये के पर्ची पर आंख कि जांच की जाती है लेकिन वहीं प्राइवेट अस्पताल में 200 रुप्ये में सिर्फ जांच -जांच की जाती है।

विद्यालय — एलकेजी के एक बच्चा से एक मुश्त 30000 रूपये लिया जाता है। प्रति माह उस बच्चे पर अर्थानुसार 2000 अतिरिक्त खर्च। लेकिन उस स्कूल के मास्टर को 2000 -3000 रुपया वेतन दिया जाता है।

यह कौन सा जीएसटी है। जबकि शिक्षण व्यवस्था पर न्यूनतम सेवा शुल्क निर्धारित है।

उत्पाद मूल्य 50 रूपये और बाजार मूल्य 200 रुपया , ये कौन जा जीएसटी है ।

पुलिस — पीड़ित से मुँह मांगे घुस लेना , घुस लेने के लिये नए -नए तरीकों का इस्तेमाल करना,जबकि –सुरक्षा –सेवा के तहत है, ये कौन जा जीएसटी है ?

एसडीओ ,बीडीओ, एसडीएम,समाहरणालय / लघु सचिवालय में कल्प वृक्ष है ? जो घर जाते समय पॉकेट भर जाता है, ये कौन सा जीएसटी है।

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