• September 21, 2018

युवा में न धर्म और न ही पंथ की भावना, वह निर्मल इंसान की तरह होता है —रिटायर्ड चीफ जस्टिस व चेयरमैन जस्टिस एसके मित्तल

युवा में न धर्म और न ही पंथ की भावना, वह निर्मल इंसान की तरह होता है —रिटायर्ड चीफ जस्टिस व चेयरमैन जस्टिस एसके मित्तल

देश में 2600 अलग-अलग भाषाएं व बोलियां बोली जाती हैं। चार हजार अलग-अलग जाति, पंथ, समुदाय व उपजातियों के लोग रहते हैं.
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सोनीपत——— राजस्थान हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस एवं हरियाणा मानव अधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस एसके मित्तल ने कहा कि बेहतर भविष्य के लिए आज से सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करना होगा। हावी हो रहे भीड़ तंत्र को दरकिनार कर भावी पीढिय़ों की सुरक्षा के लिए समाजिक व धार्मिक सद्भावना को मजबूत कर आगे बढऩे का संकल्प लेना होगा।

जस्टिस मित्तल शुक्रवार को टीकाराम गर्ल्स कालेज में समाजिक एवं धार्मिक सद्भावना में विद्यार्थियों की भूमिका विषय पर सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।

जस्टिस मित्तल ने कहा कि भारत का पूरी दुनिया में सदियों से एक अलग स्थान रहा है। बहुत सी विविधताएं, बहुत से धर्म यहां पनपे और बड़े हुए। भारत में 2600 अलग-अलग भाषाएं व बोलियां बोली जाती हैं। चार हजार अलग-अलग जाति, पंथ, समुदाय व उपजातियों के लोग यहां पर सदियों से मिल-जुलकर रहते हैं। सभी में बेहतर सद्भावना रही और शांति व अहिंसा जैसे मूल मंत्रों के सहारे ही हमने आजादी भी पाई।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें समानता का अधिकार दिया। संविधान निर्माताओं ने कहा कि भारत सभी क्षेत्रों के साथ तरक्की करता है। लेकिन आज ऐसा महसूस होने लगा है कि हम सही रास्ते पर नहीं है। क्या आज समाज का ताना-बाना टूट रहा है?

यही नहीं आदमी के दिमाग में एसी बाते आने लगी कि क्या भीड़ तंत्र हावी हो रहा है?

मॉब लिचिंग जैसे घटनाएं, झारखंड व उड़ीसा जैसे राज्यों में जादू टोने की घटनाएं, कोई आदमी शांतिपूर्ण ढंग से अपना व्यापार करता है तो उसकी दुकानों को जबरदस्ती बंद करवाना, छोटे-छोटे मामलों पर रोडरेज जैसी घटनाएं होना एक चिंतनीय विषय है।

उन्होंने कहा कि बोलने की आजादी हर आदमी को है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आम जनता को तंग करें। उन्होंने कहा कि यह भावी पीढ़ी के लिए चिंता का विषय है। आज अगर हमने इस सामंजस्य को कंट्रोल नहीं किया तो हम सभी को परेशानी उठानी पड़ेगी।

उन्होंने कहा कि आज हमारी 55 प्रतिशत आबादी युवाओं की है। जो युवा आज 18 साल के हैं यह परेशानी उन्हें 20 से 30 साल बाद आएगी। जस्टिस मित्तल ने कहा कि राजनेताओं की अपनी ड्यूटी है, पुलिस की अपनी ड्यूटी है लेकिन युवाओं की अपनी खुद की भी जिम्मेदारी बनती है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 51 में हर नागरिक का कर्तव्य है कि समाज का सामाजिक सद्भाव बनाए रखें और अगर मैं खुद ड्यूटी करता हूं तो दूसरों के अधिकार का उलंघन हो ही नहीं सकता।

कार्यक्रम में हरियाणा मानव अधिकार आयोग सदस्य जस्टिस केसी पुरी ने कहा कि सामाजिक एवं धार्मिक सद्भावना के लिए युवाओं की अहम भूमिका है। इसके लिए सबसे अहम आवश्यकता है सकारात्मक सोच। कभी भी जीवन में नकारात्मक न सोचें। सकारात्मक सोचने से सामाजिक सद्भावना बनी रहेगी।

कार्यक्रम में हरियाणा मानव अधिकार आयोग के सदस्य दीप भाटिया, हरियाणा मानव अधिकार आयोग के रजिस्ट्रार एससी गोयल, जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव व सीजेएम तैय्यब हुसैन, प्रो. ऊषा दहिया, टीकाराम गल्र्स कालेज की प्राचार्या मोनिका वर्मा, प्रो. अनिता सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति व स्कूल की सैकड़ों छात्राएं मौजूद थी।

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