- April 10, 2019
यातनाओं के खिलाफ महिलाऐं किसी भी देश के किसी भी हिस्से में मुकदमा दर्ज करा सकती हैं –सुप्रीम कोर्ट
अब दहेज या अन्य प्रकार की यातनाओं के खिलाफ महिलाएं देश के किसी भी हिस्से में मुकदमा दर्ज करा सकती हैं.
सी.आर.पी.सी की सेक्शन 177 के मुताबिक कोई भी अपराधिक मामला उसी जगह दर्ज ही सकता है जहां वह घटना घटी है. यानी अगर किसी महिला पर उसके ससुराल में अत्याचार हो रहा है तो वो सिर्फ अपने ससुराल के इलाके के थाना या कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकती है.
महिलाओं पर दहेज के लिए दबाव बनाया जाता है या फिर किसी और वजह से मानसिक या शारीरिक यातनाएं दी जाती है. ऐसे में उसे सिर्फ अपने ससुराल के इलाके में पड़ने वाले थाने या कोर्ट में शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है.
कई बार ऐसे मामले महिला के मायके में ट्रांसफर हो जाते हैं लेकिन उसके लिए उसे एक अलग कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होता है. इससे महिलाओं को बहुत दिक्कत होती है. कोई भी महिला जिसे अपने ससुराल से निकाल दिया गया हो या फिर वो जगह उसे छोड़ कर भागना पड़ा हो. वहां जा कर कोई मुकदमा दर्ज करना मुश्किल होता है.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश बेहद अहम हो जाता है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने फैसला दिया है कि अब कोई भी महिला अपने पति या ससुराल वालों के खिलाफ अपराधिक मामला उस जगह या शहर में दर्ज करा सकती है जहां वह रहती है. इससे महिलाओं के लिए मुकदमा करना आसान हो जाएगा और पति को मुकदमा लड़ने उस शहर में जाना होगा जहां वो महिला रहती है.
ये मामला कई सालों से एक कानूनी मसला बना हुआ था क्योंकि इस पर अलग अलग तरह के फैसले थे. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया है. 2015 में सुप्रीम कोर्ट के सामने एक ऐसा ही मामला आया था जिसके बाद कोर्ट ने इसपर विस्तृत फैसला देने के लिए तीन जजों की पीठ में मामला रेफर कर दिया.
रूपाली देवी नाम की एक महिला ने अपने मायके आ कर अपने पति के खिलाफ मानसिक और शारीरिक यातना देने का मुकदमा दर्ज कराया था. लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसे यह कह कर खारिज के दिया कि कानून के मुताबिक ये मामला मायके में दर्ज हो ही नहीं सकता. रूपाली को ये मुक़दमा अपने ससुराल में दाखिल करना चाहिए था क्योंकि उसे यातना ससुराल में मिली है.
रूपाली ने सुप्रीम कोर्ट में उस आदेश को चुनौती दी और कहा कि वह ससुराल जा कर मुकदमा नहीं लड़ सकती. वहां उसके ससुराल वालों का रसूख है और वह शहर उसके लिए अजनबी है. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने रूपाली के तर्क को सही माना और उसे कहीं भी शिकायत दर्ज करने का अधिकार दिया जहां वह अपने ससुराल से भाग कर रह रही है. ये आदेश सभी महिलाओं पर लागू होगा.