जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री प्रोफेसर सांवर लाल जाट ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि भारत सरकार ने यमुना कार्रवाई संयंत्र (वाईएपी)-1 एवं दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के लिए वाईएपी-2 योजना तथा दिल्ली के लिए वाईएपी-3 की मंजूरी दी है। इनके लिए वित्तीय सहायता जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जेआईसीए) ने दी है। इनके तहत सीवर/पाबंदी और नालियों को मोड़ने, सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र (एसटीपी), कम लागत में स्वच्छता/सामुदायिक शौचालय संकुल, शवहदाह गृह में बिजली चालित/लकड़ी से जलाने आदि में सुधार के कार्य किए जाएंगे। वाईएपी-1 एवं वाईएपी-2 पर 1514.42 करोड़ रुपए (राज्य के हिस्से समेत) का खर्च किया जा चुका है जबकि वाईएपी-3 को मंजूरी दे दी गई है तथा इस पर 1656.00 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत आएगी।
भारत सरकार ने सोनीपत शहर तथा हरियाणा के पानीपत में यमुना नदी में प्रदूषण कम करने के लिए 217.87 करोड़ रुपए की दो परियोजनाओं के लिए मंजूरी दी है।
इसके अलावा शहरी विकास मंत्रालय (एमओयूडी) की परियोजना जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूवल मिशन (जेएनएनयूआरएम) पर दिल्ली जलबोर्ड कार्य कर रहा है। तीन प्रमुख नालों नजफगढ़, सप्लीमेंटरी और दिल्ली में शाहदरा के यमुना नदी में बहने की पाबंदी के लिए दिल्ली जल बोर्ड इंटरसेप्टर सीवर परियोजना लागू कर रहा है। इस पर 1357.71 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
दिल्ली के लिए वाईएपी-3 योजना के लिए धन जेआईसीए द्वारा दिया जा रहा है। इसको पूरा करने की समयावधि दिसंबर-2018 निश्चित की गई है तथा इंटरसेप्टर सीवर परियोजना को पूरा करने की समयावधि जून-2015 तय की गई है।
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गंगा की सफाई ः जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री प्रोफेसर सांवर लाल जाट ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि केन्द्रीय बजट 2014-15 के द्वारा गंगा संरक्षण के लिए 2037 करोड़ रुपए का आवंटन सहित ”नमामि गंगे” नामक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन की स्थापना की गई है। गंगा संरक्षण के लिए तैयार योजना राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) द्वारा पहले से ही स्वीकृत परियोजनाओं को शामिल करते हुए ‘अल्पकालिक’, ‘मध्यकालिक’ और ‘दीर्घकालिक’ कार्ययोजना हेतु प्रावधान है। वर्तमान में विश्व बैंक से सहायता प्राप्त 7000 करोड़ रुपए की राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन परियोजना (एनजीआरबीपी) और वाराणसी में जापान इनटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) से सहायता प्राप्त 496.90 करोड़ रुपए की परियोजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
गंगा के पूरे क्षेत्र में अभिज्ञात उचित स्थानों पर जल तथा प्रवाह गुणवत्ता, आईटी सक्षम प्रणाली का उपयोग करने, आदि जैसे गंगा संरक्षण के गंभीर पहलुओं की निगरानी के लिए नोडल केन्द्र के रूप में राष्ट्रीय गंगा निगरानी केन्द्र (एनजीएमसी) की संकल्पना की गई है। पेय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने 1508.76 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 1649 ग्राम पंचायतों को गंगा नदी के किनारे खुले में शौच करने से मुक्त करने के लिए एक कार्य योजना तैयार की है। इसके अतिरिक्त, गंगा नदी के किनारे स्थित 118 शहरी निवास स्थलों पर सीवरेज अवसंरचना को उचित कवरेज हेतु विस्तारित करने के लिए शहरी विकास मंत्रालय द्वारा अस्थायी रूप से अभिज्ञात किया गया है।