- December 11, 2015
यदि विपक्ष की भूमिका नकारात्मक हो तो विकास के प्रयासों की गति रुक जाती है
सभी चुनाव पाँच साल में एक बार किया जाना चाहिए। चाहे वह विधानसभा, लोकसभा, पंचायत और नगरीय निकाय के हों, जिनमें जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। प्रजातंत्र के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में ‘भारतीय जनतंत्र की प्रमुख चुनौतियाँ पर अपने विचार रखे।
श्री चौहान ने कहा कि विश्व में भारत ही सबसे अच्छा और शानदार लोकतंत्र है, जिसमें प्रजातांत्रिक व्यवस्था लागू है। भारत जैसे विशाल देश के लिए प्रजातांत्रिक प्रणाली को सबसे कारगर माना गया है। श्री चौहान ने कहा कि पिछले कुछ दशक से अनुभव किया जा रहा है कि अब हमें समीक्षा की जरूरत है, जिससे व्यवस्था में उत्पन्न विसंगतियों को दूर किया जा सके। श्री चौहान ने प्रजातंत्र के सामने भ्रष्टाचार को सबसे बड़ी चुनौती बताया। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए श्री चौहान ने सभी प्रकार के चुनावों को एकसाथ करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि चुनावों की स्टेट फण्डिग की व्यवस्था हो। चुनाव आयोग सभी पार्टी और उनके प्रत्याशियों को फण्ड उपलब्ध करवाये।
श्री चौहान ने संसद और विधानसभा में विभिन्न मुद्दों पर की जाने वाली बहस को लोकतंत्र की ताकत निरूपित करते हुए कहा कि सत्ता और विपक्ष को एक स्वस्थ परम्परा का निर्वहन करना चाहिए। केवल हाँ की जीत और न की हार पर ही नहीं केन्द्रित होना चाहिए। बहस एवं बातचीत के माध्यम से ही कठिन से कठिन समस्याओं का हल निकलता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की समीक्षक और निगरानी की भूमिका स्वस्थ जनतंत्र बनाये रखने में बहुत महत्वपूर्ण होती है और जनतंत्र को ताकतवर बनाती है। यदि विपक्ष की भूमिका नकारात्मक हो तो विकास के प्रयासों की गति रुक जाती है और चुनौती के रूप में सामने आती है। श्री चौहान ने कुशासन, अतिवाद और आतंकवाद को प्रजातंत्र की बड़ी चुनौती माना। उन्होंने इसके लिए लोगों में अशिक्षा और जागरूकता की कमी को दूर किये जाने की बात कही।
श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सबको साथ लेकर तथा सबकी सहमति से विकास करने की नीति अपनाकर प्रजातंत्र को मजबूत किया है। प्रधानमंत्री टीम इंडिया की भावना लेकर देश की विकास यात्रा पर अग्रसर हैं। श्री चौहान ने कहा कि और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखना प्रजातंत्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने निरंकुशता पर ध्यान रखे जाने की जरूरत बताई।
मध्यप्रदेश के संदर्भ में प्रजातांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार द्वारा लिए गये निर्णयों का उल्लेख करते हुए बताया कि प्रदेश में लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम, विशेष न्यायालय अधिनियम, ई-टेंडरिंग, ई-ट्रांजेक्शन जैसी व्यवस्था लागू की गई हैं। पारदर्शी प्रशासन ही जनता के लिए जवाबदेह होता है। श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश में नीति निर्माण में संबंधितों का मत और विचार को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में हमने प्रत्येक नीति निर्माण कार्य में हमेशा पंचायतें आयोजित की हैं, जिससे कि अच्छे सुझाव जनता के बीच से आ सकें और नीति व्यावहारिक बने। श्री चौहान ने बताया कि पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए पंचायतकर्मियों को उचित वेतनमान, वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार दिया गया है। साथ ही महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया गया है जिसके कारण नगरीय निकायों और पंचायतों में महिलाओं का नेतृत्व मुखर हुआ है। इसी प्रकार शासकीय सेवाओं में महिलाओं को सशक्त किया गया है तथा उनको 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।