‘म.प्र. शाला गुणवत्ता कार्यक्रम”

‘म.प्र. शाला गुणवत्ता कार्यक्रम”

मध्यप्रदेश में गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिये शासकीय शालाओं में वर्ष 2014-15 से ‘म.प्र. शाला गुणवत्ता कार्यक्रम” शुरू किया गया है। प्रदेश की शासकीय शालाओं में गुणवत्तायुक्त शिक्षा के मानकों को स्थापित करने के लिये सबसे पहले भोपाल संभाग के 5 जिले में 2000 चयनित शालाओं में यह कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है।

कार्यक्रम में विकास एवं मार्गदर्शन, प्रबंधन, शिक्षण एवं अधिगम, बच्चों को संबल प्रदान करना, शाला प्रबंधन समिति की भूमिका और अभिभावकों एवं समुदाय का शाला से जुड़ाव, शैक्षिक परिणाम के साथ ही व्यक्तिगत तथा सामाजिक परिणाम जैसे सात मानक के आधार पर शालाओं की गुणवत्ता का आकलन किया जा रहा है। मानकों एवं विधियों के तहत तैयार की गई प्रश्नावली के माध्यम से शालाओं में गुणवत्ता का आकलन, आंतरिक एवं बाह्य मूल्यांकनकर्त्ताओं द्वारा किया जायेगा।

शालाओं में यह सम्पूर्ण प्रक्रिया एक अथवा दो दिवस में संस्था प्रमुख, शिक्षक, विद्यार्थी, पालक एवं शाला विकास समिति के सदस्यों के सहयोग और सहभागिता से पूर्ण की जायेगी। आकलन के माध्यम से शाला को, प्रत्येक मानक पर अपेक्षा से कम, अपेक्षा के निकट, अपेक्षा के अनुसार एवं बेहतर जैसी चार श्रेणी में वर्गीकृत किया जाता है। आकलन प्रक्रिया के माध्यम से शाला को अपनी कमियों को जानने का अवसर प्राप्त होता है। इस आधार पर शाला की बेहतरी के लिये शाला विकास योजना तैयार कर उसका सतत क्रियान्वयन करवाया जायेगा।

प्रथम आकलन के तीन माह बाद आकलनकर्ताओं द्वारा पुन: शाला अवलोकन कर शाला विकास योजना के क्रियान्वयन की प्रगति का विश्लेषण किया जायेगा। क्रियान्वयन के लिये जरूरी सुझाव भी लिये जायेंगे।

भोपाल संभाग में यह कार्यक्रम कक्षा 1 से 12वीं तक के विद्यालयों का विकास एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करने तथा शाला विकास योजना बनाने में सहयोगी बन रहा है। आगामी शैक्षणिक सत्र से कार्यक्रम संभागवार एवं चरणबद्ध क्रम में पूरे प्रदेश में लागू किये जाने का प्रयास होगा। कार्यक्रम का क्रियान्वयन 5 वर्ष में पूर्ण करने की योजना है।

प्रलय श्रीवास्तव

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