मॉडल औद्योगिक केन्द्र विकसित की योजना

मॉडल औद्योगिक केन्द्र विकसित  की योजना

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में प्रस्तावित चारों नवीन औद्योगिक कॉरिडोर में मॉडल औद्योगिक केन्द्र विकसित किये जायेंगे। औद्योगिक विकास के लिये जरूरी प्रक्रियाओं को और सरल बनाया जायेगा। साथ ही उद्योग-धंधों की स्थापना में क्षेत्रीय भावनाओं को ध्यान में रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा उद्योग-धंधों की स्थापना के हर संभव प्रयास किये जायेंगे, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके।

श्री चौहान आज मंत्रालय में वाणिज्य-उद्योग विभाग की समीक्षा कर रहे थे। इस मौके पर वाणिज्य-उद्योग मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, मुख्य सचिव श्री अन्टोनी डिसा, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री एस.के. मिश्रा, प्रमुख सचिव उद्योग मोहम्मद सुलेमान, प्रमुख सचिव वित्त श्री आशीष उपाध्याय, उद्योग आयुक्त श्री बी.एल. कांताराव और एमडी ट्रायफेक श्री डी.पी. आहूजा भी मौजूद थे।

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत नियम-प्रक्रियाओं के सरलीकरण में तेजी लायी जाये। साथ ही ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2014 में आये प्रस्तावों पर अमल में गति लाई जाये। उन्होंने कहा कि वे हर माह के पहले सोमवार को इसकी स्वयं समीक्षा करेंगे तथा निवेशकों से नियमित चर्चा भी करेंगे। उन्होंने कहा कि निवेश लाने तथा प्रदेश में इसकी संभावनाओं के अध्ययन के लिये जरूरी हुआ तो जापान भी जायेंगे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नवीन औद्योगिक कॉरिडोर में आदर्श औद्योगिक केन्द्र विकसित करने के निर्देश दिये, जिनमें उद्योगों की स्थापना की सभी जरूरी सुविधाएँ उपलब्ध हों। इससे वहाँ ज्यादा उद्योग-धंधे आ सकें। उन्होंने कहा कि उद्योगों की स्थापना में क्षेत्रीय भावनाओं का भी ध्यान रखा जायेगा। साथ ही चम्बल के बीहड़ में उपलब्ध शासकीय भूमि की जानकारी एकत्र करने के निर्देश दिये ताकि वहाँ भी औद्योगिक विकास का कार्य हो सके।

पीपीपी मॉडल पर विकसित होंगे औद्योगिक केन्द्र

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर औद्योगिक केन्द्र विकसित किये जायेंगे। इस दिशा में कार्रवाही भी शुरू हो गई है। स्व-रोजगार के लिये पिछले वित्तीय वर्ष में 20 हजार लोगों को सहायता दी गई है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2014 में आये प्रस्तावों में 935 पर कार्यवाही शुरू हो गई है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अंतर्गत सरलीकरण के लिये 151 प्रक्रियाएँ चिन्हित की गई जिनमें 60 पूर्ण तथा 70 प्रक्रियाधीन हैं।

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