- June 5, 2020
* मैथिल आंगन * —- राशन पर कटाक्ष
हे गई , चंपा, अतेक दिन स हम , हमर घरवाला, बेटा कोटा पर स राशन कार्ड स , अंगूठा छाप स राशन उठबैत आवि रहल छी।
लेकिन काइल्ह कोटा पर गेलियई त डिलरवा कहलक जे अहि पर अंगूठा दियों। जखने अंगूठा देलियऊ, डिलरवा कहैया की , राशन नही मिलत , अंगूठा नहि मिलैया।
ह गई दीदी, एक बितक आऊर करिया छै, एतेक टा।
महाठग , अपने स एकटा लोल्ला खरीद लेने छै और कहै छै जे सरकार देने अछी।
नम्बरी ठग। 2 किलो , 1 किलो घट्ठी देताऊ , कहताऊ जे सरकारें घट्टी दई छै।
हे गई चपा,
सरकारों के कम् नहि बुझी, ऑफिस में धुथुर मुन्हा सब बैसल रहई छै, उ हो लै ते हेतई। सबटा बोरा स गेंहू, चावल हेराएते देखबही।
देखही ने,
रधिया के बेटा उ छौरा , लोफरवा , नै छै , रधीया के ओकर हिस्सा मुंह चोरवा राशन नहीं देलकई। रमुआ कहलक जे ओकरो हिस्सा कोटा पर उठई छै।
रमुआ, त बनहुलुक छै, 2 रुपया द दही , अा कहीं जे नगटे नाच, त नाच लगतऊ। उ टुनकी वाला झगड़ा लगवई में लुत्ती छै।
ई सरधुआ, नबरी चुगलाहा। ओकरा लग किछु बजबही , सट्ट द जा क डिलरवा के कहीं देताऊ।
राशन नही देलकऊ त चल दुन्नू गोटे, BDO, C.O के पास, कहवई जे कोटा वाला के जे अंगूठा वाला लॉल्ला देने छियई, ओकरा फेंकू , हमरा सब , मउगी मेहर के अंगूठे छाप स राशन दियऊ। लॉला में किदन – कहां बाजै छै। ऊ लॉल्ला के भाषा नहीं समझ में एबैया।
ह गई , चंपा
कहई त ठी के छै। लेकिन ई लोल्ला त उ है , सब देने हतई ने। सब मुरी मचरुआ , ए कै दाईब स लारल- चारल छौ।
नै देलकऊ त कि कर बिही छोरी देबही।
जीविका दीदी कहई छल जे जिला में दु महला पर सब स पैघ अफसर बैसई छै, हुनका लग जाउ।
इ छोटका, मोटका कुकुरहा सब लग की जायब।
त चल,
** मैथिल आंगन **
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रचना याचक — शैलेश कुमार