- November 24, 2015
मेवाड़ परिक्रमा लोक आस्था का केन्द्र महाकालेश्वर मन्दिर – डॉ. दीपक आचार्य उप निदेशक
उदयपुर – अनुपम लोक सांस्कृतिक विरासतों, गर्वीली परंपराओं, शौर्य-पराक्रम और अदम्य साहस से परिपूर्ण वीरगाथाओं से भरे इतिहास, पुरातात्विक धरोहरों और नैसर्गिक उपहारों की दृष्टि से मेवाड़ की धरा सदियों से प्रसिद्ध रही है। यहां का कण-कण गौरवशाली थातियों का गवाह रहा है वहीं जन-मन का उत्साह हर युग में हिलोरें लेता रहा है।
विभिन्न उपासना पद्धतियों के संगम स्थल मेवाड़ मेंं शैव उपासना की परंपरा प्राचीनकाल से समृद्ध रही है जहाँ हर कोने में भगवान भोलेनाथ के प्राचीन मन्दिर शिवभक्तों की परंपरागत आस्था और श्रद्धा के प्रतीक रहे हैं।
इसी तरह का एक शिवालय है -महाकालेश्वर मन्दिर। उदयपुर जिले में मावली क्षेत्र अन्तर्गत गुड़ली से मावली मार्ग पर अवस्थित ओड़वाड़िया गांव में सड़क के किनारे प्राचीन महाकालेश्वर मन्दिर क्षेत्र के लोगों की आस्था का केन्द्र है।
इस प्राचीन मन्दिर में सभामण्डप में नंदी और गणेशजी की प्रतिमा है जबकि निज मन्दिर की पाश्र्व दीवारों पर गणेश और भैरव की मूर्तियां स्थापित हैं। इन सभी मूर्तियों को रंगीन बनाकर आकर्षक स्वरूप प्रदान किया गया है।
गर्भगृह में श्वेत पाषाण की जलाधारी पर लगभग आधे फीट का रक्ताभ शिवलिंग स्थापित है। इसके पीछे दाहिनी ओर गणपति तथा बांयी ओर भगवान भैरवनाथ की मूर्ति है। शिखरबंदी शिवालय के इर्द-गिर्द परिक्रमा स्थल के साथ ही मन्दिर के बांयी ओर सुन्दर तोरणद्वार निर्मित है।
मन्दिर के प्रति लोक आस्था का दिग्दर्शन होता हैं साल भर में विशेष अवसरों पर यहाँ श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहता है और विशेष भजन-कीर्तन तथा अनुष्ठान होते हैं जिनमें गांव तथा आस-पास के क्षेत्रों से भक्तगण भाग लेते हैं। इस मन्दिर के प्रति क्षेत्र भर के लोगों में विशेष श्रद्धा भाव है।