- April 30, 2015
मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक निर्माण के लिए राशि की मांग
जयपुर – कोटा-बूंदी सांसद श्री ओम बिरला ने केन्द्र सरकार से कोटा, उदयपुर एवं बीकानेर मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशिलिटी ब्लॉकों के निर्माण के लिए राशि जारी करवाई जाने का आग्रह किया है।
श्री बिरला ने बुधवार को संसद में वर्ष 2015-16 के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अनुदान की मांगों पर चर्चा में भाग लेते हुए यह आग्रह किया।
श्री बिरला ने बताया कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तीसरे चरण में 39 मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं के विस्तार हेतु सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक बनाए जाकर उनका अपग्रेडेशन किया जाना निर्धारित किया गया था। उक्त योजना के अन्तर्गत राजस्थान के कोटा, उदयपुर व बीकानेर स्थित मेडिकल कॉलेज चुने गए थे। प्रत्येक में 150-150 करोड की लागत से सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक्स का निर्माण किया जाना था जिसमें राज्य सरकार द्वारा जमीन व अपने हिस्से के रूप में 20 प्रतिशत राशि वहन करनी थी।
राज्य सरकार द्वारा अपने स्तर पर समस्त औपचारिकताऐं पूर्ण करके चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार को भेजी जा चुकी है। उक्त कार्य नवम्बर 2014 से प्रारम्भ किया जाना प्रस्तावित था, लेकिन अभी तक उक्त तीनों मेडिकल कॉलेजों में सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक के निर्माण हेतु आवश्यक राशि रिलीज नहीं हो पाई है। जिसके कारण निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं किया जा सका है। अत: उक्त राशि को शीघ्र रिलीज करने की महत्ती आवश्यकता है।
श्री बिरला ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाओं में वृद्घि करने का आग्रह भी किया तथा सुझाव दिया कि दिल्ली में एम्स पर बढ़ते दबाव के मद्देनजर देश के अन्य भागों में ज्यादा संख्या में एम्स जैसे चिकित्सा संस्थान खोले जाएं। विशेषकर राजस्थान जैसे विशाल प्रदेश में एक से ज्यादा एम्स जैसे संस्थान खोले जाने चाहिए।
श्री बिरला ने कहा कि भारत में जन सामान्य के स्वास्थ्य के संबंधित कुछ आंकडे स्वत: ही बता रहे हैं कि वैश्विक परिदृश्य में हम कहां खडे हैं और हमारे बीच क्या-क्या चुनौतियां है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य मानकों में भारत 112वें नम्बर पर है।
देश में प्रति 1200 व्यक्तियों पर 1 डॉक्टर उपलब्ध है। लगभग 1 लाख 6 हजार सरकारी डॉक्टर्स में से 29 हजार सरकारी डॉक्टर्स अर्थात केवल 33 प्रतिशत सरकारी डॉक्टर ही ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाऐं दे रहे हैं। अस्पतालों की कुल बेड क्षमता 6 लाख 28 हजार बेड है तथा शिशु मृत्यु दर व स्त्री पुरूष लिंग अनुपात व विभिन्न संक्रामक व असंक्रामक रोगों से निदान की चुनौतियां समक्ष खड़ी हुई है।
श्री बिरला ने कहा कैंसर जैसे गम्भीर रोगों के इलाज के लिए प्रधानमंत्री सहायता कोष एवं राष्ट्रीय आरोग्य नीति के तहत 2 लाख रुपए तक वित्तीय सहायता तत्काल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। इस संबंध में मेरा आग्रह है कि लीवर व किडनी संबंधित गंभीर रोगों के इलाज के लिए वित्तीय सहायता की सीमा बढाई जाए और उन्हें आवेदन के सात दिन के भीतर सहायता उपलब्ध हो सके यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
श्री बिरला ने कहा कि ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में व्याप्त भारी अन्तर को कम करना होगा। 90 फीसदी ग्रामीण आबादी को सामान्य से सामान्य रोग के उपचार के लिए स्वास्थ्य केन्द्र तक जाने के लिए न्यूनतम 8 किलोमीटर की यात्रा तय करनी पडती है।
श्री बिरला ने सुझाव देते हुए कहा कि हम प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना एवं तीन ग्राम पंचायतों पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना किया जाना सुनिश्चित करें और वर्तमान में संचालित पीएचसी, सीएचसी में जांच सुविधाऐं व चिकित्सा सुविधाऐं व चिकित्सकों के खाली पद भरने की महत्ती आवश्यकता है।
श्री बिरला ने कहा कि देश में स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की महती आवश्यकता है। एक मरीज के इलाज पर होने वाले खर्च में स्टेट गवर्नमेंट 15 प्रतिशत राशि खर्च करती है। मात्र 4 प्रतिशत लोग सामाजिक बीमा करवाते हैं और निजी बीमा का प्रतिशत मात्र 1.4 प्रतिशत है। वहीं 80 प्रतिशत खर्च जनता को अपनी जेब से खर्च करना पडता है। आज भी देश की 20 प्रतिशत जनता को बीमारियों के इलाज के लिए अपनी जमीन अथवा सम्पत्ति बेचनी अथवा गिरवी रखनी पड रही है।
श्री बिरला ने कहा कि भारत में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित समस्त कार्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन है किन्तु दवाओं एवं सर्जिकल इम्प्लांट्स के मूल्य के निर्धारण जो कि चिकित्सा व्यय में सबसे बडा सेक्टर है उसे नियंत्रित करने अथवा कम करने का अधिकार दूसरे मंत्रालय को है। देश में सस्ती एवं जैनेरिक दवाओं के प्रचार एवं प्रोत्साहन की महती आवश्यकता है। मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अन्तर्गत स्वदेशी फार्मास्यूटिकल कम्पनियों को विश्व स्तरीय दवा एवं सर्जिकल उत्पाद का निर्माण बढाने के लिए कार्ययोजना बनाने की भी आवश्यकता है।
श्री बिरला ने कहा कि देश में सस्ती एवं जैनेरिक दवाओं के प्रचार एवं प्रोत्साहन की महती आवश्यकता है। मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अन्तर्गत स्वदेशी फार्मास्यूटिकल कम्पनियों को विश्व स्तरीय दवा एवं सर्जिकल उत्पाद का निर्माण बढाने के लिए कार्ययोजना बनाने की भी आवश्यकता है।
श्री बिरला ने बताया कि भारत में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित समस्त कार्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन है किन्तु दवाओं एवं सर्जिकल इम्प्लांट्स के मूल्य के निर्धारण जो कि चिकित्सा व्यय में सबसे बडा सेक्टर है उसे नियंत्रित करने अथवा कम करने का अधिकार दूसरे मंत्रालय को है।
श्री बिरला ने कहा कि महिला एवं बच्चों का स्वास्थ्य हम सभी के लिए एक बडी चुनौती है। भारत में शिशु मृत्यु दर, नवजात शिशु मृत्यु दर, कुपोषण को समाप्त करने के लिए दीर्घकालीन अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। साथ ही तहसील स्तर पर नवजात शिशुओं के इंटेंसिव केयर के लिए स्वास्थ्य इकाईयां स्थापित करना अत्यन्त आवश्यक है ताकि आपातकालीन स्थिति में शिशुओं को समय पर चिकित्सा सुविधाऐं उपलब्ध कराई जा सके। मिशन इन्द्रधनुष है के अन्तर्गत 2020 तक 100 प्रतिशत बच्चों को टीकाकरण का लाभ का जो लक्ष्य रखा गया है, इस हेतु भी अभियान चलाया जाना आवश्यक है।
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