• December 17, 2022

मृत्यु भोज निषेध कानून 1960

मृत्यु भोज निषेध कानून 1960

प्रतापगढ़———–  माननीय राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के एक्शन प्लान की पालना में गांव अमलावद में आम चौराहे  पर स्थित माताजी का मंदिर प्रांगण में प्राधिकरण सचिव, अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश शिव प्रसाद तम्बोली द्वारा विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया  गया।

आयोजित शिविर में माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाएं यथा असंगठित क्षेत्र के मजूदरों के लिए विधिक सेवाएं योजना 2015, बच्चों में मेत्रीपूर्ण संबंध एवं उनका संरक्षण योजना 2015 एवं वरीष्ठ नागरिकों के अधिकार एवं विधिक सेवाएं योजना 2016 के बारे में जानकारी प्रदान की गई।

प्राप्त जानकारी अनुसार प्राधिकरण सचिव तम्बोली ने गांव अमलावद पहॅूच कर आम चौराहे एवं मंदिर प्रांगण में मौजूद ग्रामीणजन/आम जन एवं काश्तकारों के लिये जागरूकता शिविर का आयोजन किया। जहां उपस्थित गांववासियों को डाकन प्रथा निषेध कानून वरीष्ठ नागरिकों के अधिकार, मोटर वाहन दूर्घटना अधिनियम आदि के बारे में समझाया। बाल विवाह निषेध कानून के बारे में जोर देते हुए कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र की कन्या और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह बाल विवाह की श्रेणी में आता है। यह कानूनन अपराध है और इसके लिये 02 लाख रूपये जुर्माना और एक वर्ष कारावास का प्रावधान है।

मृत्यु भोज कानून के बारे में बताते हुए कहा  मृत्यु भोज करना भी कानूनन अपराध है।

मृत आत्मा की शांति हेतु 40 ब्राह्मणों को भोजन कराया जा सकता है। मृत्यु हो जाने के बाद धार्मिक परम्परा मानते हुए समाज के लोगों एवं परिचितों को बुलाकर नुक्ता, गंगा प्रसादी, मौसर आदि का आयोजन करना मृत्यु भोज की श्रेणी में आते हैं।

उपस्थित ग्रामीणजनों को अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने हेतु प्रेरित किया और मोबाईल फोन के उपयोग को विद्यार्जन और ज्ञानार्जन हेतु ही उपयोग में लेने हेतु समझाने की अपील की। उपस्थित आम जन को अपनी दिनचर्या को संतुलित रखने के बारे में समझाया।

उपस्थित काश्तकारों को उन्नत खेती के बारे में भी समझाया गया। प्राधिकरण सचिव तम्बोली ने काश्तकारों को रासायनिक खाद एवं रासायनिक कीटनाशक के दुष्प्रभावों के बारे में बताया। ऐसे किटनाशकों के छिड़काव एवं खाद के उपयोग से केंसर जैसे घातक रोग की सम्भावना भी बनी रहती है। कईं बार रासायनिक कीटनाशक के छिड़काव से किसान बेहोश हो जाता है और उसकी मौत तक हो जाती है। साथ ही इससे उत्पन्न होने वाली फसल की पौषकता भी नष्ट हो जाती है, जिससे मानव जीवन को खतरा भी रहता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है और बीमारियों का खतरा बढ़ता जाता है। इसलिये देशी खाद व देशी कीटनाशक के प्रयोग करने से खेती की लागत तो कम होती ही है, वरन् उत्पादित फसलें भी पौष्टिक होती है।

इसी के साथ उपस्थित ग्रामीणजनों को बड़ौदा स्वरोजगार विकास संस्थान प्रतापगढ़ द्वारा संचालित विभिन्न निःशुल्क प्रशिक्षणों के बारे में बताया। 18 से 45 वर्ष आयुवर्ग के पुरूष व महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के लिये एवं स्वयं का रोजगार चलाने के लिये उक्त संस्थान में निःशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। जिनमें केंचुआ खाद बनाना, पापड़ बनाना, अगरबत्ती निर्माण, गुलकन्द बनाना, सिलाई, मोबाईल रिपेयरिंग जैसे कुल 52 प्रकार के प्रशिक्षण निःशुल्क प्राप्त कर सकते हैं।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
प्रतापगढ़ (राज.)

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