• February 28, 2015

मुद्दा: संसद में उठाया शिशु और मातृ मृत्यु दर – सांसद श्री ओम बिरला

मुद्दा: संसद में उठाया शिशु और मातृ मृत्यु दर – सांसद श्री ओम बिरला

जयपुर -केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने बताया है कि देश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत देश में नवजात और मातृ मृत्यु दरों में कमी लाने के लिए जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई), ग्रामीण क्षेत्रों में आउटरीच कार्यक्रम के रूप में ग्राम स्वास्थ्य तथा पोषण दिवस, किशोर प्रजनन यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम (एआरएसएच), सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम (यूआईपी) नामक टीकाकरण कार्यक्रम तथा भारत नवजात कार्य योजना (आईएनएपी) आदि कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

कोटा-बूंदी सांसद श्री ओम बिरला द्वारा शुक्रवार को संसद में शिशु और मातृ दर संबंधी मामले के प्रश्न का उत्तर देते हुए श्री नड्डा ने बताया कि उच्च नवजात मृत्यु दर वाले चार राज्यों- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान में एकीकृत निमोनिया और अतिसार कार्य योजना (आईएपीपीडी) जैसे कार्यक्रम शुरू किया गया है।

श्री नड्डा ने बताया कि राज्य कार्यक्रम कार्यान्वयन योजना (एसपीआईपी) के अंतर्गत मातृ स्वास्थ्य के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2014-15 में दिनांक 31 दिसम्बर 2014 तक देश के विभिन्न राज्यों/संघ राज्यों को कुल 3,72,157.74 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई तथा 87,555.86 लाख रुपये की धनराशि राज्यों द्वारा व्यय की गई। इस योजना के अंतर्गत उक्त वित्तीय वर्ष में राजस्थान को 33,700.11 लाख रुपये स्वीकृत किए गए जिसमें से राज्य ने 10,565.29 लाख रुपये व्यय किए हैं।

उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा बाल स्वास्थ्य के अंतर्गत चालू वित्तीय वर्ष में देश के विभिन्न राज्यों को 32,558.24 लाख रुपये स्वीकृत किए गए जिसमें से राज्यों द्वारा 12,405.30 लाख रुपये का व्यय किया गया है। केन्द्र द्वारा राजस्थान को बाल स्वास्थ्य के अंतर्गत 2,440.05 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से राज्य ने 541.26 लाख रुपये व्यय किए।

उन्होंने बताया कि भारत के महापंजीयक (आरजीआई) की नमूना पंजीकरण प्रणाली रिपोर्ट, 2013 के अनुसार भारत में नवजात शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 40 है और इस रिपोर्ट के 2011-13 के अनुसार देश में मातृ मृत्यु अनुपात प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 167 है।

श्री नड्डा ने बताया कि सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य (एमडीजी) के अनुसार एमडीजी 4 का लक्ष्य वर्ष 1990 से 2015 के बीच दो तिहाई बच्चों में मृत्यु दर में कमी लाना है। भारत के मामले में यह नवजात मृत्यु दर में वर्ष 1990 में प्रति हजार जीवित जन्मों पर 88 से वर्ष 2015 में 29 तक कमी लाने के लक्ष्य में परिणत करना है।

एमडीजी 5 के अंतर्गत लक्ष्य वर्ष 1990 और 2015 के बीच तीन तिमाही तक मातृ मृत्यु दर अनुपात को कम करना है। यह एमएमआर का वर्ष 1990 में 560 से कम करके वर्ष 2015 तक 140 तक लाने का मूर्त रूप देता है। नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) की 2013 की रिपोर्ट के अनुसार देश में असम और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा आईएमआर 54 है तथा सबसे कम आईएमआर 9 गुजरात में है। एमएमआर के मामले में इसकी 2011-13 रिपोर्ट के अनुसार असम में सबसे ज्यादा एमएमआर 300 है तथा सबसे कम एमएमआर 61 केरल में है।

यू एन इंटर एजेंसी विशेषज्ञ समूह के एमएमआर सम्बंधी प्राक्कलनों ”मातृ मृत्यु दर में रुझान: 1990-2013” के प्रकाशन के आधार पर वर्ष 1990 में 1,00,000 जीवित शिशु जन्मों पर 560 का आधार लेकर वर्ष 2015 तक 1,00,000 जीवित जन्मों पर एमएमआर 140 होने का अनुमान है। यदि एमएमआर में इसी गति से गिरावट आती रही तो भारत वर्ष 2015 तक प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर 140 एमएमआर हासिल कर लेगा तथा एमडीजी का लक्ष्य भी हासिल कर लेगा।

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