• July 31, 2017

मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान—0.30 मीटर जल स्तर बढा

मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान—0.30 मीटर  जल स्तर बढा

जयपुर———-पूरे प्रदेश में जल संरक्षण की दिशा मुख्यमंत्री की खास पहल पर शुरू किया गया मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान पिछले साल हुई अच्छी बारिश के चलते कांठल इलाके लिए वरदान साबित हुआ।

गर्मियों में आमतौर पर पैदा होने वाले पेयजल संकट के निदान के लिए अभियान खासा कारगर रहा। अभियान के पहले चरण में जिले के पांचों ब्लॉक के जिन 94 गांवों में जल संरक्षण कार्य हुए, वहां इस बार की गर्मियों में एक भी पेयजल टैंकर की जरूरत नही पड़ी।

प्रतापगढ जिला कलक्टर नेहा गिरि के मुताबिक, इससे पिछले वित्तीय वर्ष में गर्मियों के दौरान इन 94 गांवों में 52 टैंकर ट्रिप्स प्रतिदिन के हिसाब से 1337 टैंकरों के जरिए जल परिवहन ग्रामीणों को पेयजल समस्या से निजात दिलाया गया था। इन गांवों में अभियान के पहले चरण में कराए गए 1495 कार्यों के चलते इलाके में बरसाती जल का संग्रहण व संरक्षण होेने से इस बार यहां एक भी पेयजल टैंकर की जरूरत नहीं पड़ी।

जलग्रहण विभाग के अधीक्षण अभियंता जीएल रोत ने बताया कि जलदाय विभाग की सूचना के मुताबिक पिछले साल 28 मई तक क्षेत्र में 24 प्रतिशत हैंडपंप सूख चुके थे, जबकि इस वर्ष केवल 18 प्रतिशत हैंडपंप्स के सूखने के ही समाचार हैं। इस प्रकार हैंडपंपों के सूखने की दर में भी गिरावट आई है।

भूजल विभाग के आंकड़ों के मुताबिक एमजेएसए प्रथम चरण के कार्यों के परिणामस्वरूप जिले के भूजल स्तर में 0.30 मीटर की बढोतरी दर्ज की गई है। कृषि विभाग के अनुसार एमजेएसए कार्यों से पानी की उपलब्धता बढने से सोयाबीन फसल का रकबा 10 से 15 प्रतिशत तक बढा है तथा रबी में गेहूं की फसल का रकबा 15 से 20 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है। पशुपालन विभाग के अनुसार वर्ष 2016-17 में चारा डिपो खोलने की कोई मांग प्राप्त नहीं हुई तथा पर्याप्त मात्रा में चारा उपलब्ध रहा।

जलदाय विभाग के अधिशाषी अभियंता एसएल ओस्तवाल ने बताया कि एमजेएसए में बने एमपीटी, एनिकट, गेबिन स्ट्रक्चर, स्टेगर्ड ट्रेंच गार्ड, मेड़बंदी, ट्रेंच आदि का निर्माण किया गया, जिससे भूजल स्तर तो बढा ही, लोगों के पेयजल संकट में भी राहत मिली और भूजल स्तर में इजाफा हुआ।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ वीसी गर्ग ने बताया कि एमजेएसए के पहले चरण के कार्यों के बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं। दूसरे चरण में भी जिले के 70 गांवों में 2886 कार्य स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से अधिकांश कार्य पूर्ण हो चुके हैं। दूसरे चरण में बने जल संरक्षण ढांचे भी इस बारिश में लबालब हो गए हैं। आने वाले दिनों में इसके और बेहतर परिणाम सामने आएंगे।

इन गांवों में हुए एमजेएसए कार्य

अभियान के पहले चरण में जिले के पीपलखूंट ब्लॉक के खाखरी खेड़ा, घंटाली, ठेचला, बोरी, बानघाटी, कुंडाली हमोता, कुंडाली गनावा, कुंडली, कुशालपुरा, कटारों की भै, कल्याणपुर, महुवाल, मउ, ठिकरिया, हिमातों की हरवर, लिंबोदी, लिंबोदा, पंंथोल, राणा की हरवर, रेला, सीदड़ी महुड़ी ए व बी, सुरपुर, सेमलिया, छरी, वरदा, चूली, जराली, जामली, जैथलिया, आमली का खेड़ा, गढा गांवों में जल संरक्षण कार्य कराए गए। इसी प्रकार अरनोद ब्लॉक के गांव अचनारा, कचनारा, बरखेड़ी, बडवास कला, उदियाखेड़ी, चूपना, टांडा, कोदिनेरा, मोहेड़ा, डोराना, मोवाई, दिवाला गांवों में, धरियावद ब्लॉक के आंतरोल, अंबाव, नरवाली, चरी, उलटन, दरागांव, पाटलाबावड़ी, पारसोला, पहाड़ा, हाडखेडा, मानपुर, कापडवा, बूझो का पाटला, खोखरी खुर्द गांवों में, छोटी सादडी ब्लॉक के बंबोरी, रघुनाथपुरा, करजू, रावतपुरा, हमेरपुरा, जलोदा जागीर, खेडी कुंडाल, बंबोरा जागीर, देवली, एकलिंगपुरा, हरिपुरा, किशनपुरा, मालीखेड़ा, मानपुरा जागीर, रूपपुरा गांवों में तथा प्रतापगढ ब्लॉक के सरीपीपली, बिल्लिखेड़ा, तिखीमगरी, उंटाखेड़ा, केसरपुरा, सेवरा, सांगामगरी, मधुरा तालाब सहित जिले के कुल 94 गांवों में जल संरक्षण कार्य कराए गए।

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