मुख्यमंत्री अमृत योजना : दूध के पैकेट में लीकेज, रिसाव या फूलापन होने पर बच्चों को दूध न पिलाएं

मुख्यमंत्री अमृत योजना : दूध के पैकेट में लीकेज, रिसाव या फूलापन होने पर बच्चों को दूध न पिलाएं

जांजगीर-चांपा—-(छ०गढ)—–  राज्य सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री अमृत योजना के तहत प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में तीन से छह वर्ष आयु के बच्चों को मीठा सुगंधित दूध दिया जा रहा है।

बच्चों को सुपोषित बनाने के लिए प्रदेश में शुरू की गई इस योजना में प्रत्येक बच्चे को सप्ताह में एक दिन सोमवार को 100 मिली लीटर दूध दिया जा रहा है।

बच्चों को वितरित मीठे सुगंधित दूध के सुरक्षित भंडारण और उपयोग के बारे में विभागीय अमले को प्रशिक्षित करने के लिए कल कलेक्टोरेट सभाकक्ष में जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण के दौरान दूध के सुरक्षित भंडारण, वितरण और उपयोग के संबंध में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

प्रशिक्षण – जिला कार्यक्रम अधिकारी और जिलेे के तीन सुपरवाईजर  को दूध वितरण, भण्डारण एवं वितरण के संबंध में राज्य स्तर प्रशिक्षण दिया गया।  राज्य स्तर पर प्रशिक्षितो द्वारा कल कलेक्टर सभाकक्ष में जिले के परियोजना अधिकारियों व सुपवाईजरो को पीपीटी स्लाईड के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया ।

वैद्यता – प्रशिक्षण में बताया गया कि दूध के पैकेट में लीकेज, रिसाव या फूलापन होने पर बच्चों को दूध न पिलाएं। दूध के प्रति एलर्जी अथवा अरूची होने पर भी बच्चे को दूध न पिलाये। पैकेट के खुलने के एक-दो घंटे बाद दूध का उपयोग न किया जाए। दूध गर्म न करें तथा उत्पाद तिथि से 90 दिन बाद इस दूध का उपयोग नहीं किया जाएं।

सहायिका एवं कार्यकर्ता स्वयं दूध पीकर गुणवत्ता सुनिश्चित करेंगी

वितरण – बच्चों को दूध पिलाने के लिए साफ-सुथरे गिलास और बर्तन का प्रयोग करना चाहिए। बच्चों को यह दूध पिलाने के पहले आंगनबाड़ी सहायिका एवं कार्यकर्ता स्वयं दूध पीकर गुणवत्ता सुनिश्चित कर लेनी चाहिए। दूध पीने के बाद बच्चों को उल्टी, सिरदर्द, पेट दर्द या दस्त की शिकायत होने पर उन्हें तुरंत निकट के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में ले जाए।

भण्डारण – प्रशिक्षण कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञों ने बताया कि सुगंधित मीठे दूध के पैकेट को सामान्य तापमान, सूखे और स्वच्छ स्थान पर रखा जाना चाहिए। पैकेट को चूहे एवं कीड़े-मकोड़ों से दूर सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए। योजना में वितरित यू.एच.टी.दूध पूर्ण रूप से स्टर्लाइज्ड है।

अतएव इसमें बैक्टिरिया, फंगस, चींटी व चूहों द्वारा पैकेट क्षतिग्रस्त करने या छेद होने आदि कारणों से दूध खराब होने की आशंका रहती है। अतएव अमृत योजना के तहत वितरित दूध को पूर्णतः सुरक्षित रखना और सुरक्षित तरीके से वितरित किया जाना चाहिए।

सामान्य तापक्रम में  90 दिनों तक खराब नहीं होता
सुरक्षित निर्माण एवं परिवहन – सुदूर ग्रामीण अंचलों तक सुरक्षित रूप से दूध पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ मर्यादित द्वारा अत्याधुनिक संयंत्र में यू.एच.टी. प्रोसेस द्वारा दूध तैयार कराया जाता है।

यू.एच.टी प्रोसेस में दूध को तीन सेकेण्ड के लिए 140 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान पर ले जाया जाता है, इसके बाद बाद इसे एक सेकेण्ड में तत्काल 25 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान पर ठण्डा कर दिया जाता है। इस थर्मल शॉक द्वारा तैयार किया गया दूध पूर्णतः जीवाणु मुक्त (स्टेराईल) होता है, जिसे पीने के पहले उबालने की आवश्कता नहीं होती है।

दूध को विशेष तरह की सात परत की पैकेजिंग मटेरियल से एसेप्टिक कण्डिशन में पैक किया जाता है, जिसके कारण दूध को सामान्य तापक्रम पर भंडारण किया जा सकता है। इस तरीके से तैयार दूध 90 दिनों तक खराब नहीं होता है। दूध को सुगंधित एवं मीठा बनाने के लिए भारत सरकार के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा निर्धारित नेचर आईडेन्टीकल कलर एवं फ्लेवर का प्रयोग किया जाता है। दूध में किसी तरह का प्रिजरवेटिव प्रयोग नहीं किया जाता।

यू.एच.टी. दूध उत्पादन के बाद एफ.एस.एस.आई द्वारा निर्धारित मापदण्ड के अनुसार पांच दिवस तक दूध का भौतिक, रासायनिक एवं माईक्रोबायोलाजिकल परीक्षण संयंत्र की अत्याधुनिक प्रयोगशाला में किया जाता है। परीक्षण के बाद मापदण्डों में खरा उतरने पर ही यू.एच.टी. दूध को वितरण हेतु प्रदान किया जाता है।

भरपूर पौष्टिक – योजना के तहत एक बच्चे को सप्ताह में एक दिन सोमवार को 100 मिलीलीटर दूध दिया जा रहा है। इस 100 मिलीलीटर दूध में तीन ग्राम प्रोटीन, ऊर्जा 97 किलो कैलोरी, टोटल फैट 03 प्रतिशत, एस.एन.एफ. 8.5 प्रतिशत, कार्बोहाइट्रेड (टोटल) 14 ग्राम और ऐडेड शुगर 10 ग्राम शामिल है।

प्रयोगशाला रिपोर्ट – विगत दिनों नवागढ़ के ग्राम बर्रा आंगनबाड़ी केन्द्र में दूध पीने के बाद 05 बच्चों ने उल्टी की शिकायत की शिकायत की थी।

बच्चों को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराकर प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करवाई गई। चिकित्सकों की निगरानी में रखने के बाद बच्चों का अस्पताल से सामान्य अवस्था में अगले दिन सुबह छुट्टी दे दी गई थी।

कलेक्टर डॉ एस. भारतीदासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए उक्त आंगनबाड़ी केन्द्र के बचे दूध को खाद्य एव औषधि प्रशासन के स्टेट फुड लेबोरटरी रायपुर में परीक्षण के लिए भेजा गया था। जिसकी रिपोर्ट 07 जून को प्राप्त हो गई है। रिपोर्ट में दूध में किसी भी प्रकार के हानिकारक तत्व नहीं पाया गया है।

सवधानियां – बच्चों को नास्ते के उपरांत दूध दिया जाना चाहिए। कुछ बच्चों में दूध के प्रति अरूचि या एलर्जी हो सकती है। ऐसे बच्चों को दूध नहीं दिया जाना चाहिए। दूध पहली बार देने से पहले अभिभावक से चर्चा करने के निर्देश आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिया गया है।

अतिकुपोषित बच्चों को दूध देने से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। दूध सेवन के बाद दूध के साथ विपरित प्रतिक्रिया करने वाले खा़द्य पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए। सावधानियों के संबंध में अभिभावकों को भी जानकारी देने कहा गया है।

 

Related post

साइबर अपराधियों द्वारा ‘ब्लैकमेल’ और ‘डिजिटल अरेस्ट’ की घटनाओं के खिलाफ अलर्ट

साइबर अपराधियों द्वारा ‘ब्लैकमेल’ और ‘डिजिटल अरेस्ट’ की घटनाओं के खिलाफ अलर्ट

गृह मंत्रालय PIB Delhi——–  राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर साइबर अपराधियों द्वारा पुलिस अधिकारियों,…
90 प्रतिशत से अधिक शिकायतों का निपटारा किया गया : निर्वाचन आयोग

90 प्रतिशत से अधिक शिकायतों का निपटारा किया गया : निर्वाचन आयोग

कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर अन्य पार्टियों की ओर से कोई बड़ी शिकायत लंबित नहीं है…
अव्यवस्थित सड़क निर्माण भी विकास को प्रभावित करता है

अव्यवस्थित सड़क निर्माण भी विकास को प्रभावित करता है

वासुदेव डेण्डोर (उदयपुर)———– देश में लोकसभा चुनाव के तीसरे फेज़ के वोटिंग प्रक्रिया भी समाप्त हो…

Leave a Reply