- June 3, 2021
मुंग के खेती ने रोका पलायन ——– विकास मेश्राम वागधारा
राजस्थान के बासवाडा जिले के आनदपूरी ब्लैक के सुद्राव गाव के संजू चमना गरासिया उम्र 26 साल, 5 भिघा वर्षा आधारितखेती हैं मेरे पास 2 बैल ,3 गाय,2 बकरी है| बचपन से ही माँ और अपने पिताजी को खेती से ही किसानों की कई तरह की समस्याओं को देखा और अनुभव किया था, खासकर रबी की फसल की खेती के दौरान जब पानी की कमी होती है। इसलिए, जब उन्होंने वागधारा आयोजित समेकित सच्ची खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम से सहभागी होने का अवसर मिला, इस प्रशिक्षण के बारे में मुजे वागधारा के सहजकर्ता मानसिंग निनामा ने बताया और जैविक खेती करने की मन में ठान लिया और खेती में पुरा समय तो मैंने आज़माने का फैसला किया।
प्रशिक्षण में बीज सुधार, मिट्टी पोषक तत्व प्रबंधन, रोग और कीट प्रबंधन और कम्पोस्ट एवं जीवामृत तयार करने की विधि बताई गई और फिर मुंग की खेती के बारे में जानकारी से अवगत किया| प्रशिक्षण में बताया की प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की उच्च सामग्री के कारण देश की पोषण सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं मुगं की खेती कितनी लाभकारी हो सकती है और कितने दिन में हो सकती है और इसके फायदे कोनसे है इसके बारे में बताया
वागधारा की पहल से और राजस्थान कृषि विभाग से मध्यम से मुझे 5 किलो मुगं मिला यह मुग मैंने 1.5 भिघा में बूआई की मुझे मुगं की फसल में 2500 /- रूपये का खर्चा आया | और 1.5 भिघा में मुझे 3.5 किटल मुंग का उत्पादन हुआ इसमे 3 किटल मुगं मैंने 8000 /- रूपये के भाव से मण्डी में बेचा उससे मुझे 24000/- रूपये मिले मेरा खेती का उपज खर्चा निकालके 21500/- फायदा हुआ
ये मुग की फसल मुझे फायदेमंद लगी क्यू की केवल 60 दिन में मुझे यह उत्पादन हुआ | इस फसल के पैसे से मैंने कुआ का गहरीकरन किया और मेरी अजिवाका में सुधार हुआ पाहिले मै गुजरात में रोजगार के लिए जाता था |अभी मेरे कुए के गहरीकरण से मै सालभर खेती के काम में व्यस्त रहता हु और अभी बहार रोजगार जाने का मन में ख्याल नही आत्ता |
मुंग से मेरे पशू के लिए चारा उपलब्ध हुआ और मैंने खाने हेतु और बीज के लिए मुंग घर पे रखा उससे मेरे परिवार का पोषण स्तर बढ़ा और मै अगले साल यही मुगं का बीज का बुवाई करूंगा तो मेरे बिज के पैसे बचेगे मै वाग्धारा संस्था का आभारी हु की मुझे मुगं के खेती के लिए प्रेरित किया और मेरी पलायन की समस्या से छुटकारा पाने में मदत किया