- February 20, 2017
*****माॅ का देहावसान :: तथ्य से बेखर****-शैलेश कुमार
माॅ के देहावसान से ठीक एक सप्ताह पहले हमारे सर के सामने एक सफेद साडी में एक बुढिया आती है और लुढक जाती हैं तथा लुप्त हो जाती है।
मैं सहम गया और निश्चित हुआ की किसी का देहावसान हुआ है ।
ठीक एक सप्ताह बाद हमने अपने अनुज को फोन कर जिज्ञासा की तो पता चला की माॅ सिधार गई।
दिसंबर में मैं जब विवाह में घर गया तो मा गंभीर बिमार थी। हमें मा के पास सोने के लिए कहा गया और मैं मा के पास सो गया। ठीक एक बजे रात्रि में जब मा की नींद खुली तो बोली – बौआ ! खाना खाया। अब दिल्ली नहीं जाना। वहाॅ अच्छे लोग नहीं रहते है। अब भैया के पास ही रहना। कहते – कहते सो गई।
दूसरे रात्रि जब सो रही थी तो भगवती की मंत्र जाप कर रही थी। मैने पूछा यह किसने करने को कहा!
मा – भैया ने कहा था। यह भगवती मंत्र है। मैने गुरू दक्षिणा नही ली है। क्या होगा ?
मैने कहा मा! आप चिंता न करें। मरने के ठीक बाद एक कन्या पैदा होगीं,वह आप हो रहीं है।
माॅ के अस्पष्ट आवाज के कारण शब्द नहीं समझ सका । शायद वह मुझे पागल कह रही होगीें। शुरू से जो उनकी आदत थीं।
जब मैं ट्रेन पकडा, उस बाॅगी में दरभंगा स्टेशन पर एक मुस्लिम परिवार चढा। मै नीचे में बैठा था। उसने मुझे चाय आफर किया। मैने ले लिया । लेकिन कुछ दूरी तय किया तो हमने भी पूरे परिवार को चाय आफर किया। लेकिन वह अस्वीकार कर दिया। हालांकि वे परिवार काफी मिलनसार थे।
खाना खाने के बाद सभी सो गये। मध्य सीट मैने उसको दे दिया । नीचे का सीट वह मुझे दे दिया। सिलसिला यहाॅ तक ठीक था।
हुआ यो की ,ठीक बारह बजे, मैंने मोबाईल खोल कर गीत सुनने लगा। सुनते -सुनते नींद आ गई। पूरा ट्रेन सोया था। मुस्लिम के पति और पत्नी ने हताश होकर सबको जगाया। इस कंपार्टमेंट में सांप है।
भयंकर रूप में एक बुढा मुझे मांस ठॅूस-ठूूॅस कर खिला रहा है। नहीं खाता हूॅ तो मारने के लिए दौड रहा है। दोनो की अस्पष्ट आवाजे थी।
एक यात्री ने हमारे सीने से मोबाईल लेकर बंद कर दिया। झट से नींद खुली । कंपार्टमेंट में शोरगुल था।
जिसने मोबाईल बंद किया था – ने कहा! धन्य हैं प्रभू , आज आपकी मोबाईल के श्लोक से इन दोनों की जानें आफत में आ गई।
पति और पत्नी को देख, मुझे हंसी आने लगी। मैने कहा मुझे कुछ पता नहीं । यह मंत्र तो मेरे लिए मनोरंजन हैं। बाथरूम में भी गुनगुनाने लगता हॅॅू।
भाई ! आप लोग डरे सहमे क्यों है ।
उस कंपार्टमेंट में एक बुजुर्ग जो किसी संप्रदाय से लग रहे थे। उन्होने कहा आप जो भी कहें ,मेरे ख्याल से यह मंत्र है। मंत्र आहवान करने का यह वक्त है। इस वक्त जो दुष्ट आत्मा इर्द-गिर्द रहता है वह खत्म हो जाता है। इसकी भी यही हालत होता। घर पर मौत की खबर जाती।
लेकिन मैं जानता हॅू कि आपकों इस बारे में कोई खबर नहीं है। फिर वह अपने बर्थ पर ले गया। हमसे जानने की बहुत कोशिश की।
उसे यह यकीन नहीं हुआ की इसे खबर नहीं है। अंत में कह ही दिया की ज्ञान के आदान – प्रदान करने से अपने आप में ज्ञान की गंभीरता महसूस होने लगता है। इसके लिये आपको एक शिष्य की आवश्यकता है और मैं इसके लिये तैयार हूं।
मैने कहा- अगर यह बात है तो निश्चित ही हमें योग्य व्यक्ति चाहिए। लेकिन इसके लिए आप सही नहीं है।
आप -अपने से ग्रसित लोगों के संपर्क में मैं नहीं रहता हॅॅू।—-बेचारे इस तीखी वचन से बहुत ही आहत हुए।
दिल्ली रेलवे स्टेशन से जब बाहर हुआ तो मुस्लिम परिवार ने आग्रह और विनय पूर्वक अपने घर पर चलने के लिए मजबूर किया।
मैंने मुस्कुराते हुए कहा – आप किसी कथानक में न रहे। यह सब भ्रम है। भ्रम से आदमी किसी हद तक पहुॅच जाता है। आप भ्रम से दूर रहे। ट्रेन में जो हुआ वह सब बकवास था। सही तथ्य पर आयें।