- January 20, 2017
मानव श्रृंखला —सरकार है या घनचक्कर –शैलेश कुमार
बिहार में मानव श्रृंखला शराब बंदी का नाटक——–एक तरफ वाइन किंग तैयार दूसरे तरफ मानव श्रृंखला, समझ नहीं आ रहा है कि यह सरकार है या घनचक्कर।
शराब बंदी के जायय तरीकेः- एक वृत चित्र तैयार करें। इस चित्र को ग्रामीणों में प्रदर्शित करवायें।
इस वृत चित्र में शराबी के गतिविधियों को दिखायें- जैसे- शराब पीकर पीयक्कड कहाॅ -कैसे लेटा हुआ रहता है। मारपीट करता है। फिर घर पर बच्चों और पत्नियों के साथ किस तरह बर्ताव करता है। आमदनी का उपयोग और दुर उपयोग दिखायें।
टोल, मुहल्लें चौपालों पर (दृश्य) जैसे खेत और सडक के किनारें लेटे हुए, गालियां बकते हुए आदि, बैनर लगवायें, नुक्कड नाटक के माध्यम से पीयक्कडों के दृश्य दिखायें।
महिलाओं के छोटे- छोटे टीम बनाकर प्रतिदिन गाॅव व मुहल्लें में गीत व लघु नाटिका के माध्यम से जनता को समझायें,इस टीम के संचालन का भार थाना प्रभारी विशेषकर महिला पुलिस को सौपें।
पुलिस के माध्यम सें (दृश्य सहित) कानू्नों की जानकारी दें । जैसे – एक पीयक्कड को किस – किस धारा के तहत क्या- क्या सजा मिल सकती है। क्षेत्रीय थाना प्रभारी व प्रखंड विकास पदाधिकारी को ग्राम सभा लगवाने का निर्देश दे। इस सभा में उस पंचायत के सभी लोगों को उपस्थित रहने का निर्देश दे ।
इस टीम में कानून के जानकार वकिलों को सम्मिलित करें क्योंकि वकिल समाजिक धारा से बहुत दूर है । हाईस्कूल और कालेजों को उपयोग में लायें ।
तमाम माध्यमों से प्रयास कर समाज को बर्बाद करने वाले इस जहर को समाप्त करें।
अदयतन रिपोर्ट लें।
तमाम सूत्रों से जब यह सत्यापित हो जाय की उपयोगकर्ताओं और लोगों ने शराब पर 90 प्रतिशत पाबंदी लगा दिया गया है। तदुपरांत एक मानव श्रृंखला बना कर यह सावित करें की हमारी मिशन सफल है। जनता ने हमें साथ दिया है। हमें जनता ने स्वीकार किया है।
मानव श्रृंखला का अर्थ है कि परिवर्तनशील समाज ने समाजहित में बने कानून को स्वीकार कर लिया है, सरकार उसे लागू करें।
लेकिन यहां तो सरकार अपने मियां मिठठू बन रही है। नाहक में समय और धन का बर्बाद करने का एक स्वांग के रुप मे मानव श्रृंखला को प्रोपेगंडा कर रही है जिससे कुछ नही हासिल हो रहा है। अर्थात यथा ढोल में पोल वाला परिणाम ।
धरातलीय समस्या का समाधान के बदले बाप – बेटा जैसे ड्रामा, जनता स्वीकार नहीं कर पायेगी।