मानव जाति के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरों पर चिंता–राजकुमार झांझरी

मानव जाति के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरों पर चिंता–राजकुमार झांझरी

असम —————- WHO के मुताबिक, दुनियाभर में मानसिक रोग से पीडि़त लोगों की अनुमानित संख्या करीब 45 करोड़ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2020 तक अवसाद विश्व में दूसरा सबसे बड़ा रोग होगा।

आँकड़ों के अनुसार विश्व की 12 प्रतिशत आबादी मानसिक बीमारियों की शिकार है। विश्व स्वास्थ्य photoसंगठन के अनुसार हर 5 में से 1 महिला और हर 12 में से 1 पुरुष मानसिक व्याधि का शिकार हैं। नेशनल कमीशन ऑन माइक्रोइकॉनामिक्स और हेल्थ के आंकड़े बताते हुए भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने लोकसभा में मई 2016 में जानकारी दी थी कि भारत में करीब 6 करोड़ लोग मानसिक तौर पर बीमार हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में 5 करोड़ लोग मानसिक रूप से बीमार हैं। आपको सूचित करना चाहूंगा कि इनमें से काफी संख्या ऐसे लोगों की है जो या तो घर के दक्षिण-पूर्व के कोने में सोते हैं, या बीम के नीचे सोते या लंबे समय तक बैठते हैं, या फिर उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोते हैं।

इन सभी कारणों से मनुष्य की दिमागी हालत बिगड़ जाती है और वह मानसिक रुप से सिर्फ बीमार ही
नहीं होता, बल्कि काफी लोग पूरी तरह पागल भी हो जाते हैं। काफी संख्या में मुसलमान धर्मावलंबी उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं।

उत्तर की ओर सिर करके सोने से मनुष्य की नींद पूरी नहीं होती और वह धीरे-धीरे अनिद्रा रोग का शिकार हो जाता है, जो बाद में क्रमश: मानसिक चिड़चिड़ेपन, स्वभाव में उग्रता, अस्थिरता तथा आखिर में मानसिक अस्वस्थता का शिकार हो जाता है। ये चंद उदाहरण हैं जिनसे पता चलता है कि सृष्टि की अवहेलना करने या सृष्टि के नियमों के विपरीत चलने की मानव जाति को कितनी बड़ी सजा भुगतनी पड़ रही है।

मैंने ऊपर जिन बातों का उल्लेख किया है, वे किसी उपन्यास या कहानी का हिस्सा नहीं बल्कि जीवन की सच्चाई है और विगत 20 सालों में मैंने भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों के 15,000 परिवारों को सृष्टि के नियमानुसार गृहनिर्माण की नि:शुल्क सलाह देकर पाये अनुभवों के आधार पर लिखी है। भारतवर्ष के पूर्वोत्तर के राज्यों के लोग विगत सैकड़ों सालों से सृष्टि के नियमों के पूरी तरह विपरीत गृह निर्माण करते आये हैं और इसी का परिणाम है कि भारत का समूचा पूर्वोत्तर विगत सैकड़ों सालों से उग्रवाद, अशांति व पिछड़ेपन से जार-जार हो रहा है।

विगत 20 सालों में हमने जिन परिवारों को सृष्टि के नियमानुसार गृहनिर्माण की सलाह दी है, उनमें से जिन परिवारों ने उसका अनुशरण कर गृहनिर्माण किया अथवा अपने गृह के ढांचे में फेरबदल किया है, आज उनकी खोई खुशियां पुन: लौट आई हैं तथा आज वे सुख, शांति, समृद्धि का जीवन यापन कर रहे हैं।

मैं समझता हूँ कि विश्व के लोग यदि धर्म व ज्योतिष के चंगुल से निकलकर अपने मन की शक्ति का भरपूर उपयोग करे तथा सृष्टि के नियमानुसार गृह निर्माण करें तो मनुष्य को स्वर्गसुख हासिल करने के लिए अगले जन्म का इंतजार नहीं करना पड़ेगा बल्कि इसी जन्म में, इसी दुनिया में उसे स्वर्ग सुख हासिल हो जायेगा। मुझे तो यहां तक विश्वास है कि अगर दुनिया के लोग अपने घरों में सही जगह पर बोरिंग/कुँआ तथा कीचन बनाना सीख जाये तो फिर दुनिया में कोई भी गरीब नहीं रहेगा।

आपने जिस धरती पर खतरनाक दौर की चेतावनी दी है, वही धरती हमारे लिए स्वर्ग सी सुंदर बन सकती है, बस जरूरत है धरती पर रहने वाले मानव समाज के मानव सृजित धर्मों व ग्रह-नक्षत्रों के बजाय धरती के नियमों पर चलने की।

वास्तु वैज्ञानिक व
अध्यक्ष, रि-बिल्ड नॉर्थ ईस्ट, गुवाहाटी, असम (भारत)
094350 10055

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