- March 5, 2022
माता-पिता के आपसी संबंधों का बच्चों के बाल मन पर बहुत गहरा असर पड़ता है— राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए परिवार का वातावरण बहुत महत्वपूर्ण है। माता-पिता के आपसी संबंधों का बच्चों के बाल मन पर बहुत गहरा असर पड़ता है। परिवार में बच्चों का स्वस्थ लालन-पालन कैसे हो, इस संबंध में बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा पहल की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी के विवाद में बेकसूर बच्चे पीड़ित होते हैं। परिवार का वातावरण सुखद और स्वस्थ हो। समाज को भी इस पर विचार करना चाहिए।
राज्यपाल श्री पटेल राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ”नेशनल वर्कशॉप विद स्टेट कमीशन्स फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स” कार्यशाला का शुभारंभ कर संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मंजुपारा महेंद्रभाई भी मौजूद थे।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा है कि बच्चे राष्ट्र का भविष्य होते हैं। उनके समग्र विकास में पति-पत्नी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। परिवार के सदस्यों के व्यवहार और उनकी भाषा का बच्चों के कोमल मानस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। माता-पिता की कलह और अलगाव से बेकसूर बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि मज़बूत राष्ट्र के लिए पारिवारिक वातावरण का स्वस्थ और सुखद होना जरूरी है। आज़ादी का अमृत महोत्सव भारतीय संस्कृति के गौरव से युवाओं को परिचित कराने का अवसर है। आज़ादी के जब 100 साल पूरे होंगे, तब हमारा देश कैसा हो, इसके लिए हमें अभी से प्रयास करने होंगे। हमारे पूर्वजों द्वारा आजादी के लिए किए गए संघर्ष और त्याग से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के प्रयास भी किए जाएँ।
केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. मंजुपारा महेंद्रभाई ने कहा कि संविधान में बिना किसी भेदभाव के बच्चों सहित सभी को समान अधिकार मिले हैं। साथ ही महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास के लिए विशेष प्रावधान भी किए गए हैं। सरकार द्वारा इस दिशा में प्रभावी प्रयास आयोग के माध्यम से किए जा रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में बाल अधिकारों पर कार्यशाला की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि वे व्यवसायिक रूप से हृदय रोग विशेषज्ञ चिकित्सक हैं। देश की हृदय स्थली मध्यप्रदेश में पहली बार आए हैं। प्रदेशवासियों की आत्मीयता ने उन्हें बहुत प्रभावित किया है।
आयोग के अध्यक्ष श्री प्रियंक कानूनगो ने स्वागत उद्बोधन में बताया कि बाल अधिकार और संरक्षण विषय पर स्वस्थ विचार-मंथन के लिए कार्यशाला की गई है। कोविड प्रकोप के दौरान माता-पिता अथवा इनमें से एक को खोने वाले करीब डेढ़ लाख बच्चों का लालन-पालन आयोग के संरक्षण में पारिवारिक वातावरण में हो रहा है। बच्चों को मादक पदार्थों से बचाने के लिए आयोग द्वारा मेडिकल स्टोर्स पर सी.सी.टी.वी. कैमरे लगवाने की पहल की गई है। सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए ”स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीज़र टू प्वाइंट जीरो” में व्यवस्थाएँ बनाई गई हैं।
आयोग की सदस्य सचिव श्रीमती रूपाली बनर्जी ने आभार माना। कार्यशाला में 27 राज्यों के बाल आयोग के पदाधिकारी उपस्थित थे।