- May 18, 2016
माटी की मांग के अनुरूप खाद का उपयोग
छत्तीसगढ ———————————– मुझे अपने खेतों की सेहत का ज्ञान हो चुका है। मैं अब देखा-देखी और अंधाधुंध नहीं बल्कि माटी की मांग के अनुरूप खाद का उपयोग करूंगा। रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मेरे खेतों की माटी को पत्थर जैसे कठोर बना रखा है। उम्मीद है कि बहुत जल्द इसमें सुधार आएगा।
मिट्टी भुरभुरी होकर पौधों की जड़ों को जमने के लिए जगह देगी। मिट्टी की सेहत में सुधार के साथ-साथ पैदावार भी बढ़ेगी। यह सोचना है महासमुुंद जिले के बसना विकासखण्ड के ग्राम गढ़फुलझर निवासी किसान श्री ललित पांड़े का। श्री पांड़े को उनके ग्राम गढ़फुलझर में आयोजित लोक सुराज शिविर में मृदा-स्वास्थ्य कार्ड मिला है।
संसदीय सचिव श्रीमती रूपकुमारी चौधरी ने गढ़फुलझर स्कूल परिसर में आयोजित शिविर में किसान श्री ललित पांड़े सहित गांव के दस अन्य किसानों को कृषि विभाग की ओर से मृदा-स्वास्थ्य कार्ड दिए हैं। इसमें खेती जमीनों में मौजूद पौधों के पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, केल्शियम, सल्फर और मेगनिशयम की भी जानकारी दर्ज है।
मिट्टी के अम्लीय या क्षारीय होने के बारे में भी मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड में उपयोगी उल्लेख रहता है। श्री ललित पांड़़े दस एकड़ जमीन के मालिक हैं। उनकी इच्छा तो पहले से थी कि मिट्टी में मौजूद रासायनिक तत्वों की जांच करायी जाए, लेकिन इसकी जांच सुविधा आज जैसी सुलभ नहीं थी। केन्द्र सरकार की महती योजना के तहत मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इसे एक अभियान के रूप में चलाया, तो उनके गंव में भी कृषि विभाग के अधिकारी आए।
महज पांच रुपए शुल्क पर उनके खेतों की रिपोर्ट मिल गयी है। श्री पांड़े ने बताया कि यह रिपोर्ट एक तरह से खेतों के एक्सरे की तरह है। इस रिपोर्ट के आधार पर मैं जरूरत के मुताबिक और संतुलित रूप से खाद का उपयोग करूंगा। इससे मुझे खेतों की मिट्टी का इलाज करने में मदद मिलेगी। किसान श्री ललित पांड़े गोबर खाद और हरी खाद का अधिक से अधिक करने के इच्छुक हैं।