- September 26, 2022
मां —- निशा गढ़िया :: गगरी — अंजली गोस्वामी
कपकोट, बागेश्वर
उत्तराखंड
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माँ कहती थी तू जान है मेरी।
प्यारी प्यारी मां है तू मेरी।।
मां एक भगवान है।
बच्चों के लिए मां उसकी जान है।।
मां ही मुझे दुनिया में लाई।
वही मेरी मां कहलाई।।
लोरी गाकर हमें सुलाती।
बचपन की बातें हमें बताती।।
बचपन में हमें उंगली पकड़ कर स्कूल ले जाती।
वही मेरी प्यारी प्यारी मां कहलाती।।
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गगरी — अंजली गोस्वामी
चोरसौ, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड
पानी क्या है, क्या है उसकी जाति?
पूछ गगरी से शीतल जल कैसे कर पाती?
गगरी हूं, मिट्टी पानी से बन जाती।
कुंभकार का पसीना मेहनत रंग लाती।
जल कर आती मैं अवगुणों को मार पाती।
हर प्यासे को शीतल जल ही पिलाती।।
है ज्ञान का मंदिर जहां, जाति कैसे बन जाती?
हुआ मुझसे, अपराध कैसे हुआ?
शरीर छोड़ आत्मा चली जाती।
समझो धर्म की जाति, जात की जाति।
ये इंसान नहीं बन पाती।
छोड़ दो धर्म जाति, गगरी हमें यह समझाती।
प्रजापति कुंभकार की क्या है जाति?
गगरी करती पुकार, उसको जाति में मत तोलो।
वो बिना जाति की मिट्टी बिन जाति का पानी।
लगी मेहनत कुंभकार की, गगरी हूं बन जाती।
अवगुणों के आवी में जलती।
तब जा कर सबको शीतल जल पिलाती।।
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