- August 28, 2016
मन की बात -3 : गरीब सुरक्षा की गुहार किससे करें ? – शैलेश कुमार
एक गरीब की बेटी को इज्जत लूट लिया जाता है। वह थाने में आता है । दरोगा उसे फटकार कर भगा देता है। वह फिर मुख्यमंत्री के पास जाता है। रोता है। बेेटी की सुरक्षा के लिए गिडगिड़ता है। लेकिन मुख्य मंत्री विवश हैं क्योेंकि वह उस बदमाशों के कारण सत्ता में आयें है।
बेटी के साथ सामुहिक बलात्कार होने के वजह से एक गरीब थाना में जाता है। दरोेगा उसके पत्नी से मालिश करवाता है।
दरोगा गरीबों के मुहल्ले में जाकर सरेआम उसके पत्नी को चीड हरण करता हैै । मारता है और फिर घसीटता है।
एक गरिब मजदूरी माॅगने के लिए थाना जाता है और थानेदार उसे फिर उसी मालिक के पास भेज देता है।
जहाँ न्याय पाने में 10 -20 वर्ष लग जाते हैं। न्याय के बहाने गरीबों को कोर्ट के सहारे सताया जाता है। जिस देश के न्यायालय में बलात्कार पीडितो से पूछा जाता है की तुम्हे बलात्कार कैसे किया गया है।
इसलिए आज मन की बात लिखने वाला मैं हॅू लेकिन बात आपकी ही लिखॅूगा। इसमें प्रश्न है कि गरीब सुरक्षा की गुहार किससे करें ?
देखिए! यह आज की ही समस्या नहीं है मानव के प्रादुर्भाव के साथ ही इसकी शुरूआत हुई। सुरक्षा और खतरे की भय से इन्द्र हमेशा सर्वाेच्च शक्ति के सामने घुटनें टेकते रहे। यह सर्वविदित है। यह भी सर्वविदित है कि आदिशक्ति महादेव को जब भस्समासुर से खतरा हुआ तो विष्णु सुंदरी के भेष में महादेव की सुरक्षा किये।
अर्थात किसी की सुरक्षा परम शक्ति ही कर सकते हैं। अगर वह परम शक्ति रावण के रूप में हो तो निर्दोष खून मटका में ही जमा होगा न ! अगर रक्षा करने वाला कमजोर हो तो उसे धरती में ही धॅसना पड़ेगा न ! जैसे रावण ने आदिशक्ति कहलानेे वाले को धरती में धॅसा दिया। आज भी लोगबाग देवघर में धॅसे हुए महादेेव की अर्चना करने जाते हैं ।
सोेचने की बात है कि जोे खूद डरपोक हो वह सुरक्षा कैसे कर सकता है! उसकी खुद अपनी जिंदगी भय में ऊब- डूब करता रहता है। अब सवाल है कि सुरक्षा करनेे वाला कैसा होे।
महाभारत युद्ध होे रहा था। एक धोबीन ने डरपोक पति को पांडव के पक्ष में लड़नेे के लिए भेजा। डरपोक पति सोेचने लगा यह दुष्ट औरत मुझेे मरवाकर किसी राजपुत से शादी करनेे के चक्कर में है। इसलिए वह मुझे मरवाने के लिए युद्ध में भेेज रही है। लेकिन मैं भी उस छली के जाल में फॅसनेे वाला नही हॅू। यह सोचकर वह युद्ध के मैदान से काफी दूर सड़क के किनारे पेड़ के आड़ में छुप गया और युद्ध का जायजा लेने लगा।
शाम होने को आया। उसी समय एक तीर दाॅयें हाथ को काटते हुए निकल गया। अब वह वहीं मूर्छित हो गया। होश आने पर घर लौटा तो पत्नी खुश थी। पति की वीरता पर गौरवांवित थी। घर – घर जाकर वीरता की गाथा सुनाने लगी।
रामायण में तुलसीदास अपने कुटी में ग्रंथ लिख रहेे थे। लेकिन चोेरी के डर सेे राम – और लक्ष्मण पहरेदारी करते थे।
वर्तमान में एक कैप्टन के पैतृक गाॅव में अपने घर पर एक खंडहर था उस खंडहर की पहरेदारी में जिला पुलिस के कप्तान दो पुलिस लगा रखेे थे,कारण था की उसके घर की देखभाल करने वाला ने कैप्टन को घर में चोरी होने की सूचना दी।
आजकल पुलिस कप्तान को देखिए । क्षेेत्र में निकलते ही आगे – पीछेे सुरक्षा बल। रास्ते में आनेे वालेे थाना चौकस । यही नही। सुरक्षा की गारंटी देने वाले सर्वशक्तिमान को देखिए। निजी सुरक्षा चैनल से लैश होते हैं। निजी सुरक्षा चैनल का अर्थ है “गुंडों का दल”।
इस अवस्था में गरीबों की सुरक्षा कौन करे। अगर किसी कारणवश किसी ने सुरक्षा की सोच भी लिया तोे फिर उसे खैर नहीं। वह ठाकुरवाड़ी की शोभा बढ़ाते है।
आलाकमान को क्षेत्र से आमदनी चाहिए। अगर आमदनी नहीं मिला तो उसे दीयरा, पहाड़ी क्षेत्र में भेज दिया जायेगा। जहाॅ जिंदगी का कोई भरोसा नहीं। किधर सेे आकर गोली लगेगी और कहाॅं जायेगा। अस्पताल भी लापता होता है। अपनी जिंदगी किसको वला है।
इसलिए आलाकमान कोे मासिक सुनिश्चित राशि चाहिए और यह तभी संभव है जब क्षेत्र में गरीबों पर अत्याचार हो। अत्याचार के बाद जो राशि मिलती है उस राशि को विभिन्न चैनल के माध्यम से उसे पहुँचाया जाता हैं । नौकरी उसका करते हैं अतः उनकी इच्छा पूर्ति करना एक कर्तव्य है।
गरिबों के लिए नौकरी करते नहीं है। इसलिए गरिबों से राॅयल्टी लेना नैतिक कर्तव्य हैै। कर्तव्यों का पालन करना धार्मिक कर्तव्य है। गीता में भी यही लिखा है — कर्तव्य करतेे जाओं ,फल देने के लिए ———(गरीब) है। उसके उत्पीड़न का परिणाम ही ’’ फल’ है। जैसेे पक्केे हुए आम पर गोला (मिटटी या ईट के टुकड़े) फेकोे तो आम मिलता है। उसी तरह गरीबों को सताओं तो रूप्या रूपी फल मिलता है।
आजकल हत्या और बलात्कार कांड में आमदनी की पाॅव बारह है। निकम्मा शरीर को रामदेव बाबा की तरह आसन- वासन करने का अवसर भी मिल जाता हैै। घटना के बाद अंजाम तक पहुॅचनेे के लिए हैसियत से सौदेबाजी की जाती है।
अगर वादी कमजोर है और प्रतिवादी मजबूत है अर्थात वह सत्ता दल से हैै तो वादी नाक रगड़ कर रह जायेे उसे पेड़ की डाली से झूलना ही पड़ेगा। अगर वादी और कमजोर है तो बलात्कार टीम उसे बार- बार बलात्कार करेगा। आजकल सुरक्षा व्यवस्था पांडवों की तरह लाचार है।
हम देेखते है कि वर्तमान में गरीबों की रक्षा करनेे वाला कोई नहीं है। मत्स्य न्याय चरम पर है। मत्स्य न्याय व्यवस्था में एक ही कानून है – बड़ी मछली, छोटी मछली को निगल जाती है।
अगर कंस के राज्य में न्याय होता तो कृष्ण के 7 बहनें क्यों मारे जाते। वह भी गर्भ निस्पात के बाद सात दिनों के अंदर मेें ? साथ ही कृष्ण को क्योें जन्म लेना पड़ता!!
अगर रावण के राज्य में न्याय होता तो ऋषि- मुनियों के ’’खून ’’ कर में क्यो लिया जाता। शित के फाड़ से सीता को जन्म क्यों लेना पड़ता। अगर राजदरबारी निष्पक्ष और निर्भय राजा बिंबसार को साथ देते तो सैल्युकस की बेटी रानी क्यों बनती और मगध राजदरबार षडयंत्र का शिकार नहीं होता साथ ही क्रूर सम्राट महान अशोक पैदा न होेते।
चंन्द्रगुप्त के मरने के साथ ही गरीबों के लिए न्याय भी दफन हो गया। उस खेत में पल रहे काश का क्या दोष जिससेे कौटिल्य का अंगूठा कट गया । कौटिल्य देख कर क्यों नही चल रहा था। जबकि उसे पता था की इस रास्ते में काश ही काश है फिर वह उतनेे ही काश को क्यो नही काटा जितने रास्ते पर आ गया था। उसने पूरे खेत को ही साफ कर दिया।
वर्तमान में गरिबों के लिए वही कौटिल्य जैसा कुटिल सुरक्षा है। आजकल समाज में गरीब होना अभिशाप है।
(संपादक)