- March 11, 2016
मनवाखेड़ा स्वच्छता पैगाम :- – डॉ. दीपक आचार्य, उप निदेशक
उदयपुर — (सूचना एवं जनसंपर्क)——— स्वच्छ भारत मिशन की स्वच्छता प्रसार से संबंधित गतिविधियों ने विभिन्न क्षेत्रों में साफ-सफाई का संदेश देते हुए परिवेशीय एवं सामुदायिक स्वच्छता का माहौल ही पैदा नहीं किया अपितु जन-जन के लिए व्यक्तिगत सहूलियतें देने में भी यह अभियान पीछे नहीं है।
घर-परिवार और जीवन निर्वाह की तमाम चुनौतियों के बावजूद आम जन स्वच्छता के अभियान में अपनी भागीदारी का निर्वाह करने के लिए भी उत्साह के साथ आगे आ रहे हैं।
स्वच्छता से संबंंधित गतिविधियों के शहरों और गांवों में व्यापक स्तर पर संचालन और लोक जागरण के चलते स्वैच्छिक भागीदारी का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। गांवों में मामूली समझाईश से ही अब घरों में शौचालय निर्माण की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
उदयपुर जिले में एक और जहां कई ग्राम पंचायते खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुकी हैं वहीं बहुत सी ग्राम पंचायतों में लोग अपने घरों में शौचालय निर्माण का दौर जारी रखे हुए हैं और इन सभी की तमन्ना है कि उनका गांव और ग्राम पंचायत भी जितना जल्दी हो सके, ओडीएफ अर्थात खुले में शौच से मुक्त घोषित होने का गौरव हासिल करे।
उदयपुर जिले की कई ग्राम पंचायतें ऎसी हैं जिसके बाशिन्दे अपनी ग्राम पंचायत को ओडीएफ घोषित कराने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। इससे ग्रामीणों में भी उत्साह का माहौल है। अपने घर में शौचालय होने से अब ग्रामीणों के लिए न बाहर का डर है,न अशक्ति, बीमारी और वृद्धावस्था में जंगल जाने की दूरी का संकट, घर की माँ-बहन-बेटियों के लिए तो स्वच्छ भारत मिशन युग परिवर्तन का संदेश ही लेकर आया है जिसने कई कही-अनकही चुनौतियों से मुक्ति दिलाकर दिली सुकून का अहसास कराया है।
उदयपुर शहर के निकट मनवाखेड़ा ग्राम पंचायत उन आदर्श क्षेत्रों में शुमार है जहां ग्राम्य विकास और स्वच्छता का भरा-पूरा माहौल है। नगरीय माहौल के समीपवर्ती होने के कारण इस ग्राम पंचायत मुख्यालय पर दो दर्जन घर ही ऎसे बचे थे जहां शौचालय नहीं था। इनमें भी अब शौचालय बन चुके हैं। शौचालय निर्माण की दृष्टि से अव्वल कहे जाने वाले मनवाखेड़ा में कई परिवारों के लिए अपने यहाँ बने शौचालय समस्याओं से मुक्ति दिलाने वाले वरदान साबित हुए हैं।
स्वच्छ भारत मिशन मनवाखेड़ा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर रहने वाले प्यारचन्द/ वेणीराम के लिए भी वरदान सिद्ध हुआ। घर के मुखिया प्यारचंद के बारे में बताया जाता है कि दमे की बीमारी से अशक्ति की वजह से उसका काम-धंधा भी प्रभावित हुआ। इस वजह से घर चलाने की जिम्मेदारी उसकी पत्नी पर आ पड़ी, जो कि आस-पास की बस्तियों मे बर्तन और साफ-सफाई के कामों से गुजारा चलाने को विवश है। आर्थिक विपन्नता की वजह से उसका परिवार चाहते हुए भी शौचालय नहीं बनवा सका था।
बीमारी की वजह से प्यारचंद को जंगल जाने में काफी दिक्कतें आती थीं वहीं घर के लोगों के लिए भी यह बहुत बड़ी समस्या थी। फिर इस बात की शर्म भी आती कि दूसरे सभी लोगों के घरों में ही शौचालय बन गए हैं और बाहर जाना बंद हो गया है।
इसी बीच सरपंच ललिता देवी, उप सरपंच बंशीलाल मेघवाल और ग्राम सचिव मोहनसिंह वर्मा ने उसके घर पहुंचकर समझाईश की। बाहर जाने से होने वाली समस्याओं और खुले में शौच से बीमारियों के बारे में बताया गया।
सारी बात प्यारचंद और उसके परिवार की समझ में आ गई लेकिन मामला आर्थिक तंगी की बात पर आकर अटक गया। इस पर उप सरपंच बंशीलाल मेघवाल ने उलझन को सुलझाते हुए उधार सामान देने की हामी भर ली।
कुछ ही दिन में प्यारचंद के घर में भी शौचालय बनकर तैयार हो गया जिसका पूरा परिवार उपयोग कर रहा है। अब प्यारचंद और उसके घर वाले खुश हैं, उनके लिए एक शौचालय ने जिन्दगी की अनेक समस्याओं का खात्मा कर डाला है।
मनवाखेड़ा ग्राम पंचायत में स्वच्छता का बेहतर माहौल बना हुआ है। पूरा क्षेत्र स्वच्छता लिखे नारों से भरा पड़ा है। मनवाखेड़ा की श्रीमती नवली बाई जैसी अकेली रहने वाली कई महिलाओं ने भी स्वच्छ भारत मिशन से प्रेरणा पाकर अपने घर में शौचालय बनवा दिया है।
मनवाखेड़ा में जिस तेजी के साथ स्वच्छता के पैगाम ने आकार पाया है उसने ग्रामीणों की जागरुकता और स्वच्छता के प्रति स्वाभाविक लगाव को अच्छी तरह व्यक्त किया है।
ग्राम्य परिवेश में स्वच्छता देखने लायक है। गांव के लोग अपने यहां गलियों और रास्तों को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए हमेशा सजग रहने लगे हैं। स्मार्ट सिटी की ओर डग बढ़ा रहे उदयपुर का यह पड़ोसी गांव भी अपने आपको स्मार्ट बनाए रखने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है।