- February 3, 2015
मनरेगा में मध्यप्रदेश को दसवें राष्ट्रीय पुरस्कार
मनरेगा में उत्कृष्ट कार्यों के लिये मध्यप्रदेश को दसवें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री वीरेन्द्र सिंह ने मनरेगा के दसवें सम्मेलन में नई दिल्ली में एक समारोह में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव को दिया। मनरेगा में सौ दिन का काम करने वाले चयनित श्रमिक और पंचायत राज संस्थाओं के प्रतिनिधि दल ने भी सम्मेलन में भागीदारी की। इस मौके पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सर्वश्री सुदर्शन भगत, राम कृपाल यादव और निहाल चंद उपस्थित थे। मध्यप्रदेश को वर्ष 2013-14 में मनरेगा और अन्य योजनाओं के साथ कन्वर्जेंस से ग्रामीण अंचलों में स्थाई आजीविका के अवसर उपलब्ध करवाने और स्थाई परिसंपत्तियों के निर्माण में किये गये उत्कृष्ट कार्यों के लिये यह पुरस्कार दिया गया। मनरेगा कन्वर्जैंस से स्थायी परिसंपत्तियों के निर्माण में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है और देश का रोल मॉडल बनकर उभरा है। प्रदेश में मनरेगा से 74 फीसदी स्थायी परिसंपत्तियों का निर्माण हुआ। मनरेगा तथा अन्य योजनाओं के साथ कन्वर्जेंस से किये गये विकास कार्यों को देशभर में सराहा गया है। मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने विभाग की योजनाओं के बारे में प्रदेश में किये गये उल्लेखनीय कार्यों का वर्णन किया और कहा कि प्रदेश में योजनाएँ सफलता से संचालित की जा रही हैं। श्री भार्गव ने बताया कि प्रदेश में मनरेगा में कुल 1 करोड़ 2 लाख जॉबकार्डधारी परिवार हैं। प्रदेश में कुल 179 करोड़ 11 लाख मानव दिवस सृजित हुए हैं। इसमें से अजा के 32 करोड़ 52 लाख, अजजा के 73 करोड़ 88 लाख और महिला श्रमिकों 77 करोड़ 36 लाख मानव दिवस का रोजगार दिया जा चुका है। अपर मुख्य सचिव श्रीमती अरूणा शर्मा ने बताया कि मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी के त्वरित भुगतान तथा हिसाब-किताब में परदर्शिता के मकसद से मध्यप्रदेश में अप्रैल 2013 से इलेक्ट्रॉनिक फंड मेनेजमेंट व्यवस्था (ई-एफएमएस) लागू की गयी। इस अनूठी व्यवस्था से मजदूरों को उनकी मांग पर रोजगार मुहैया करवाने के साथ उन्हें समय पर मजदूरी का भुगतान भी सुनिश्चित हुआ है। ग्रामीण श्रमिकों को मजदूरी के साथ ही वेंडरों को सामग्री का भुगतान सीधे उनके बेंक खातों में पहुँच रहा है। मध्यप्रदेश ई-एफएमएस व्यवस्था को लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। प्रदेश में ई-एफएमएस में अब तक 30 लाख से अधिक ई-मस्टर जारी किये गये। इस प्रणाली से 4 करोड़ 71 लाख ट्रांजेक्शन कर 5617 करोड़ रुपये का भुगतान मजदूरों तथा सामग्री प्रदाता वेंडारों के बेंक खातों में किया जा चुका है। |
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दुर्गेश रायकवार |