• September 12, 2015

मध्यप्रदेश में हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना

मध्यप्रदेश में हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना

10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में आज कवि प्रदीप सभागार में समानान्तर सत्र ‘अन्य भाषा-भाषी राज्यों में हिन्दी भाषा’ विषय पर डॉ. वाई. लक्ष्मी प्रसाद की अध्यक्षता में हुए सत्र में अनेक वक्ताओं ने मध्‍यप्रदेश में अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना को प्रशंसनीय बताया। पूर्वोत्तर के प्रतिभागियों ने पूर्वोत्तर में हिन्दी विश्वविद्यालय स्थापित करने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों की भाषाओं के साहित्य को देश के अन्य प्रान्तों के विद्यालयीन और महाविद्यालयीन पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।

बैंगलुरु के अखिल कर्नाटक हिन्दी साहित्य अकादमी के रजिस्ट्रार प्रो. बी.वाय. ललिताम्बा ने केन्द्र सरकार के हिन्दी संस्थानों में हिन्दीतर क्षेत्र से प्रतिनिधि नियुक्त और मनोनीत किये जाने का आग्रह किया। अन्य वक्ताओं ने भी सुझाव दिया कि केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान और हिन्दी के संवर्धन के लिए संचालित केन्द्र सरकार के संस्थानों में प्रमुख पदों पर हिन्दीतर क्षेत्र विद्वानों को पदस्थ होने का अवसर दिया जाए। दक्षिण भारत की भाषाओं की रचनाओं का अन्य भाषाओं में अनुवाद कार्य बढ़ाया जाए। यह भी सुझाव आया कि हिन्दीतर क्षेत्र में शोध कार्य के लिए अनुदान की व्यवस्था की जाए।

केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा जानकारी दी गयी कि निदेशालय ने ‘मानक वर्तनी’ पुस्तक का प्रकाशन किया है जिसे देश भर में वितरित किया गया है। आठवीं अनुसूची में शामिल अनेक भाषाओं के शब्दकोश तैयार किये गये हैं। इसके अलावा हिन्दीतर क्षेत्र में नवलेखक शिविर किये जा रहे हैं।

मिजोरम के प्रतिभागी ने बताया कि मिजोरम में प्रत्येक विद्यालय में कम से कम एक हिन्दी शिक्षक पदस्थ किया गया है। छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के प्रतिनिधि ने हिन्दी भाषा के संवर्द्धन के लिए किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। प्रो. एम. ज्ञानम और प्रो. रामचन्द्र राय ने भी विचार व्यक्त किये।

अशोक मनवानी

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