• September 10, 2020

मत्स्य पालन, पषुपालन एवं डेयरी मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं का किया उद्घाटन एवं शिलान्यास — प्रधानमंत्री

मत्स्य पालन, पषुपालन एवं डेयरी मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं का किया उद्घाटन एवं शिलान्यास — प्रधानमंत्री

मत्स्य पालन, पषुपालन एवं डेयरी मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं का किया उद्घाटन एवं शिलान्यास — प्रधानमंत्री
पटना ——:- प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मत्स्य पालन, पषुपालन एवं डेयरी मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया गया। इस कार्यक्रम में राज्यपाल श्री फागू चैहान के साथ मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने भी वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का शुभारंभ करने के साथ ही बिहार के लिए केंद्र स्वीकृत मात्स्यिकी विकास परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। आज के कार्यक्रम में किसानों के लिए ई-गोपाला एप्प, पूर्णिया में पशु वीर्य केंद्र, बरौनी से अत्याधुनिक नस्ल सुधार तकनीक की शुरुआत एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना में आई0बी0एफ0 लैब का उद्घाटन किया गया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री जी आज कई चीजों का उद्घाटन एवं शिलान्यास के लिए आपको धन्यवाद देता हूं। आज के इस कार्यक्रम में मत्स्य योजना संपदा को लांच किया जा रहा है इसके साथ-साथ बिहार की कई अन्य योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया जा रहा है, यह खुशी की बात है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्णिया के मरंगा में सिमेन स्टेशन का उद्घाटन किया गया है जिसका शिलान्यास 12 मई 2018 को हमलोगों ने किया था। इतने कम समय में यह काम पूर्ण हो गया यह प्रसन्नता की बात है। इसके पूर्ण होने से इसकी प्रति वर्ष क्षमता 50 लाख सिमेन स्ट्रॉ होगी, जिसका उपयोग कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया जाएगा। इससे बिहार तथा पूर्वोत्तर राज्यों एवं अन्य राज्यों के लोगों को भी सुविधा मिलेगी। इसके लिए 80 एकड़ जमीन राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी है।

यह संस्थान पूर्ण क्षमता एवं बेहतर गुणवत्ता के साथ चलता रहे इसके लिए 59 पदों को स्वीकृत किया गया है और उसके संचालन के लिए राज्य सरकार ने भी अपनी तरफ से 47 करोड़ रूपये का प्रावधान किया। उन्होंने कहा कि डॉ0 राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय जो अपने बिहार का ही विश्वविद्यालय था, जिसे बाद में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के रुप में परिणत किया गया। उसके अधीन पूसा में स्कूल ऑफ एग्री मैनेजमेंट भवन का उद्घाटन किया जा रहा है, जिसकी लागत राशि 11 करोड़ रुपए है।

यहां के छात्रों के लिए हॉस्टल, स्टेडियम एवं अंतरराष्ट्रीय गेस्ट हाउस के भवन का भी शिलान्यास किया जा रहा है। इसकी कुल प्राक्कलित राशि 63 करोड़ रूपये है। पटना के एनिमल हस्बेंड्री कॉलेज को पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के रुप में परिणत किया गया है। आज यहां भू्रण प्रत्यारोपण तकनीकी प्रयोगशाला का उद्घाटन किया जा रहा है। इससे दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी होगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

किशनगंज में कृषि महाविद्यालय की स्थापना की गई, जिसका नामकरण पूर्व राष्ट्रपति डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम साहब के नाम पर किया गया है। यह परिसर अद्भुत है, इतना बड़ा एरिया देश के किसी भी कृषि विश्विद्यालय के पास नहीं है। यहां हमलोगों ने मत्स्य कॉलेज स्थापित कर दिया है और यहां वेटनरी कॉलेज खोलने का निर्णय लिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की 89 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है और 76 प्रतिशत आबादी आजीविका के लिए कृषि और इससे संबंधित अन्य चीजों पर निर्भर है। इसलिए इसके उत्थान के लिए हमलोगों ने बहुत आंकलन और अध्ययन किया। जब हमारी सरकार बनी तो उसके बाद यहां से पहली बार मत्स्य पालकों को सेंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ फिषरीज एजुकेशन, काकीनाडा (आंध्र प्रदेश) एवं सेंट्रल इनलैंड फिषरीज इंस्टीच्यूट, कोलकाता भेजकर ट्रेनिंग दिलायी गयी।

हमलोगों ने कृषि रोड मैप की शुरूआत की। पहला कृषि रोडमैप वर्ष 2008-12 तक, दूसरा कृषि रोडमैप वर्ष 2012-17 तक था। तीसरे कृषि रोडमैप वर्ष 2017-22 पर अभी काम चल रहा है। कृषि रोडमैप के कारण दूध के अलावा मांस और अंडे समेत कई चीजों के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। अंडा का वार्षिक उत्पादन वर्ष 2007-08 में 106 करोड़ प्रतिवर्ष था, जो अब बढ़कर 274 करोड़ प्रतिवर्ष हो गया है।

मांस का उत्पादन 1.8 लाख मीट्रिक टन था जो अब बढ़कर 3.8 लाख मीट्रिक टन हो गया है। अब राज्य में केवल 65 हजार मीट्रिक टन ही मछली बाहर से आ रही है, बाकी की पूर्ति राज्य से ही की जा रही है। उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर और पशुपालन के छात्रों की सुविधा के लिए हमलोगो ने कई कदम उठाए हैं। हर छात्र को 2 हजार रूपये प्रतिमाह तथा 6 हजार रुपये किताब खरीदने के लिए दिए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में करीब 9 लाख हेक्टेयर चैर का एरिया है जहां खेती नहीं हो पाती है। उन्होंने कहा कि हमने खुद चैर इलाके का भ्रमण किया है। चैर क्षेत्र के विकास के लिए भी हमलोगों ने कई कार्य शुरु किए हैं। चैर एरिया में लोगों को प्रेरित कर रहे हैं कि उसके एक हिस्से को तालाब में परिवर्तित करें और दूसरे हिस्से में उसी मिट्टी को भरकर खेती का कार्य करें। तालाबों में मछली का उत्पादन और खेती वाले इलाके में फल फूल की खेती की जा सके।

यहां लेमन ग्रास और खस के उत्पादन से किसानों को तो लाभ होगा ही साथ ही घोड़परास (नीलगाय) को भी फसल क्षति से दूर रखा जा सकेगा। घोड़परास लेमन ग्रास और खस से दूर भागता है। चैर इलाके के विकास से यहां के लोगों की आमदनी बढ़ेगी। आपके द्वारा शुरु की गई योजनाओं से भी इसका लाभ यहां के लोगों के साथ-साथ देशभर के लोगों को मिलेगा। हमलोगों ने ‘नीचे मछली और ऊपर बिजली’ योजना पर काम प%

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