भोजपुरी के समादृत रचनाकर हरेन्द्रदेव नारायण

भोजपुरी के समादृत रचनाकर हरेन्द्रदेव नारायण

भोजपुरी के समादृत रचनाकर हरेन्द्रदेव नारायण जी का जन्म 04 जनवरी सन 1910 ई. में बिहार राज्य के सारण जिला के नयागाँव नामक ग्राम में हुआ था । इनके पिता का नाम रघुवीर नारायण था ।

हरेन्द्रदेव जी ने टी.एन.बी. कॉलेज ,भागलपुर से सन 1931 ई. में बी.ए. पास किया तथा आगे की पढ़ाई के लिए पटना विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. करने के लिए प्रवेश लिया किंतु परीक्षा नहीं दे पाए । नौकरी ना करके हरेन्द्रदेव जी ने स्वतंत्र लेखन की राह चुनी ।

हिन्दी,भोजपुरी और अंग्रेजी के प्रतिष्ठित विद्वान ,लेखक तथा ओजस्वी वक्ता एवं कवि के रूप में साहित्य जगत में अपनी प्रतिष्ठा बनाई ।

सन 1934 ई. से कविता लिखने की शुरुआत की । इनकी हिंदी कविता ‘ बाँसुरी ‘ अखबार में छपने के बाद काफ़ी चर्चा में रही । हरेन्द्रदेव जी एक प्रसिद्ध कवि के साथ ही सफल कथाकार,चिंतन प्रधान निबंध लेखक,गंभीर समालोचक और सफल अनुवादक थे । इनकी पत्नी प्रकाशवती नारायण भी उच्चकोटि की साहित्यिक थीं ।

इनका जुड़ाव ‘ बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन ‘ की स्थापना के समय से ही था । अपने समय में ये प्राय: बिहार में होने वाले साहित्यिक आयोजनों के अध्यक्ष बनाए जाते रहे ।

बिहार सरकार के राजभाषा विभाग ने सन 1979 ई. में हिंदी की दीर्घकालीन सेवा के लिए राजभाषा पुरस्कार प्रदान किया तथा भोजपुरी अकादमी ,पटना ने 02 मई सन 1982 ई. में भोजपुरी महाकाव्य *कुँवर_सिंह* की रचना के लिए इनका सारस्वत सम्मान किया ।

02 फरवरी 1983 ई.को हरेन्द्रदेव नारायण जी का निधन हुआ ।

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