• October 13, 2015

भूजल पुनर्भरण एवं प्रबंधन की आवश्यकता – जलदाय मंत्री

भूजल पुनर्भरण एवं प्रबंधन की आवश्यकता – जलदाय मंत्री

जयपुर – जलदाय मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने कहा कि वर्षा जनित जल ईश्वर द्वारा प्रदत्त प्रसाद है। इसका ज्यादा से ज्यादा संरक्षण और पुनर्भरण करके ही हम आने वाले कल को बचा सकते हैं। जनता में जल संरक्षण एवं भूजल पुनर्भरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने भी वर्ष 2016 को ‘जल संरक्षण महाभियान” के रूप में मनाने की घोषणा की है।
श्रीमती माहेश्वरी सोमवार को दुर्गापुरा स्थित एसआईएएम सभागार में भूजल विभाग द्वारा वर्षा जल के पुनर्भरण (रेन वाटर हार्वेस्टिंग) विषय पर आयोजित राष्ट्र स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 1984 के मुकाबले हम 300 गुना ज्यादा जल का उपभोग कर रहे हैं लेकिन जल की बचत में यह आंकड़ा 20 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ता। हमें जल की बचत के लिए ज्यादा से ज्यादा जागरूकता लानी होगी। गरीब से लेकर अमीर व हर तबके को कम होते पानी और उसके पुनर्भरण के बारे में सोचना होगा।
जलदाय मंत्री ने कहा कि इस वर्कशॉप के माध्यम से हम उन पंरपरागत और नई तकनीकों को देखना और उन पर अमल करना चाहते हैं, जिससे भूजल का संरक्षण हो और गिरते भूजल स्तर में वृद्घि हो। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हम ट्यूबवेलों के साथ वाटर रिर्चाज सिस्टम भी लगाएंगे। उन्होंने कहा कि सबजन का यही प्रयास होना चाहिए कि पानी की एक-एक बूंद का इस्तेमाल हो सके।
प्रमुख शासन सचिव श्री जे.सी.मोहंती ने कहा कि भूजल पुनर्भरण के लिए एक कोर गु्रप का गठन किया जाएगा, जिसमें भूजल और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। जोकि राज्य में भूजल पुनर्भरण की संभावनाओं को तलाशेंगे। उन्होंने राजस्थान के परीप्रेक्ष्य में वर्षा जल पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण पर भी जोर दिया।
कार्यशाला में स्पेन, सिंगापुर समेत अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों ने भी अपने प्रजेंटेशन दिए। सिंगापुर से आए प्रतिनिधि श्री लुईस केसेटिलो और आकाश भावसार ने सेल्फ रिचार्जिंग वाटर वैल्स तकनीक के बारे में प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा कि यह तकनीक राज्य में भूजल के संरक्षण में प्रभावी भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, हरियाणा और राजस्थान में सेल्फ रिचार्जिंग वाटर वेल्स के बारे में सर्वे किया है, जिसके अनुसार यह तकनीक इन राज्यों में ज्यादा उपयोगी हो सकती है।
तमिलनाडू से आए मेट्रो वाटर के मुख्य अभियंता श्री राधाकृष्णन ने वर्षाजल पुनर्भरण के बारे चेन्नई में अपनाई जा रही तकनीक का प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा कि राजस्थान में तमिलनाडू के मुकाबले कम बारिश होती हैं, ऐसे में यहां रेन वाटर हार्वेटिंग की ज्यादा जरूरत है। श्री राधाकृष्णन ने रूफटॉप रेनवाटर व स्र्टोम वाटर हार्वेस्ंिटग को शहरी क्षेत्र में बनाए जाने की तकनीकी और डिजाइन को विशेषज्ञों के साथ साझा की।
इस अवसर पर रेन सेंटर चेन्नई के निदेशक श्री शेखर राघवन, आंध्रप्रदेश के भारती इंटीग्रेटेड रुरल डवलपमेंट सोसाइटी, कूरनूल के श्री पॉल राजा राव, दूदू के लापोडिया गांव के ग्राम विकास नवयुवक मंडल के भवानी सङ्क्षह, राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्री एम.के.पंडित, डॉ दिलीप सङ्क्षह चूड़ावत, श्री के.के.शर्मा जल पुनर्भरण की तकनीक से अवगत कराया। इस कार्यशाला में तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली व अन्य राज्यों में वर्षा जल के पुनर्भरण में किए गए उल्लेखनीय कार्यों एवं अपनाई जा रही तकनीकों का प्रजेंटेशन किया गया।
प्रारम्भ में श्रीमती माहेश्वरी ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। जल एवं स्वच्छता सहारा संगठन के निदेशक श्री हेमंत जोशी ने कार्यशाला में आए प्रतिभागियों का परिचय कराया। अधीक्षक भूजल वैज्ञानिक श्री बी.के. माहेश्वरी ने समन्वयक की भूमिका निभाई तथा डॉ. विनय भारद्वाज ने कार्यक्रम का संचालन किया।
कार्यशाला में जलदाय विभाग, भूजल एवं जल क्षेत्र के विशेषज्ञ, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर उद्योग जगत के प्रतिनिधि, भूजल वैज्ञानिक, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि व अभियंताओं ने भी हिस्सा लिया और अपने विचार और अनुभवों को आदान-प्रदान किया।

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